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नेशनल पार्टी का दर्जा मिलने के नियम क्या हैं? इन दलों से इस कारण वापस लिया गया टैग

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National Party Status: चुनाव आयोग ने सोमवार को तीन बड़ी पार्टियों एनसीपी, टीएमसी और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी का नेशनल पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया है. वहीं, आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया है.

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National Party Status: चुनाव आयोग ने सोमवार को दलों के नेशनल स्टेटस को लेकर बड़ा फैसला लिया. आयोग ने तीन बड़ी पार्टियों एनसीपी, टीएमसी और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी का नेशनल पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया है. वहीं, आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया है. आयोग का कहना है कि इन दलों को दो संसदीय चुनावों और 21 राज्य विधानसभा चुनावों के पर्याप्त मौके दिए गए थे, लेकिन अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए. इसी कारण उनका यह दर्जा वापस ले लिया गया. आइए जानते है, किस आधार पर किसी राजनीतिक दल का नेशनल दर्जा बरकरार रहता है या छिन जाता है.

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नेशनल पार्टी का दर्जा मिलने के जानिए क्या हैं नियम

पार्टी को चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला होना चाहिए. वहीं, तीन राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 3 प्रतिशत सीटें जीती हुई होनी चाहिए. साथ ही, चार लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 4 राज्यों में 6 प्रतिशत वोट हासिल किया जाना जरूरी है.

नेशनल पार्टी का दर्जा मिलने के फायदे?

नेशनल पार्टी का दर्जा मिलने पर दल देश में कहीं भी चुनाव लड़ सकेगा. किसी भी राज्य में उम्मीदवार खड़ा कर सकेगा. दल को पूरे देश में एक ही चुनाव चिह्न आवंटित हो जाता है यानी वह चिह्न दल के लिए रिजर्व हो जाता है तथा कोई और पार्टी उसका इस्तेमाल नहीं कर सकेगी. चुनाव में नामांकन दाखिल करने के दौरान उम्मीदवार के साथ एक प्रस्तावक होने पर भी मान्य किया जाएगा. चुनाव आयोग मतदाता सूची संशोधन पर दो सेट मुफ्त में देता है. साथ ही उम्मीदवारों को भी मतदाता सूची मुफ्त में देता है. पार्टी दिल्ली में केंद्रीय दफ्तर खोलने का हकदार हो जाता है, जिसके लिए सरकार कोई बिल्डिंग या जमीन देती है. साथ ही दल चुनाव प्रचार में 40 स्टार कैंपेनर्स को उतार सकेगी और इन पर होने वाला खर्च पार्टी प्रत्याशी के चुनावी खर्च में शामिल नहीं होगा. इसके अलावा, चुनाव से पहले दूरदर्शन और आकाशवाणी के जरिए जन-जन तक संदेश पहुंचाने के लिए एक तय समय मिल जाता है.

नेशनल पार्टी नहीं रहने पर छिन जाती हैं ये सुविधाएं

नेशनल पार्टी का दर्जा छिन जाने पर ईवीएम या बैलट पेपर की शुरुआत में दल का चुनाव चिह्न नहीं दिखाई देगा. चुनाव आयोग जब भी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाएगा तो यह जरूरी नहीं कि उस पार्टी को भी बुलाया जाए. पॉलिटिकल फंडिंग प्रभावित हो सकती है. इसके अलावा, दूरदर्शन और आकाशवाणी में मिलने वाला टाइम स्लॉट छिन जाता है. वहीं, चुनाव के दौरान स्टार प्रचारकों की संख्या 40 से घटकर 20 हो जाएगी. साथ ही राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए पार्टी को अलग सिंबल लेना होगा.

जानिए क्यों वापस लिया गया इन दलों का टैग

चुनाव आयोग के अनुसार, टीएमसी को 2016 में राष्ट्रीय पार्टी का टैग दिया गया था, लेकिन गोवा और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में इसके खराब प्रदर्शन के कारण यह दर्जा वापस लेना पड़ा. अरुणाचल प्रदेश से पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में एक राज्य पार्टी के मानदंडों को पूरा नहीं किया. वहीं, शरद पवार ने एनसीपी का गठन 1999 में किया था. 2000 में इसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज मिल गया था, लेकिन गोवा-मणिपुर और मेघालय में खराब प्रदर्शन के कारण पार्टी ने यह दर्जा खो दिया. इधर, सीपीआई की स्थापना 1925 में हुई थी. 1989 में इसे राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता मिली थी, लेकिन पश्चिम बंगाल और ओडिशा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद उससे यह टैग वापस ले लिया गया.

5 साल में इन दलों से छिना स्टेटस

चुनाव आयोग ही मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दलों के स्टेटस की समीक्षा करता है जो सिंबल ऑर्डर 1968 के तहत एक सतत प्रक्रिया है. साल 2019 से अब तक चुनाव आयोग ने 16 राजनीतिक दलों के स्टेटस को अपग्रेड किया है और 9 राष्ट्रीय एवं राज्य राजनीतिक दलों के करंट स्टेटस को वापस लिया है.

चुनाव आयोग द्वारा बदलाव के बाद भारत में अब राष्ट्रीय दलों की सूची

आम आदमी पार्टी

बहुजन समाज पार्टी

भारतीय जनता पार्टी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी)

चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देगी TMC

TMC ने नेशनल पार्टी का तमगा छीनने के चुनाव आयोग के फैसले पर नाराजगी जताई है. न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि टीएमसी आयोग के इस फैसले को चुनौती देने के लिए कानूनी विकल्प को तलाश कर रही है. पार्टी ने कई राज्यों में बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि, सीएम ममता बनर्जी ने इस फैसले पर कोई आधिकारित बयान नहीं दिया है. वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ट्वीट किया है, टीएमसी ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया और एक क्षेत्रीय पार्टी के रूप में पहचानी जाएगी. टीएमसी को विकसित करने की दीदी की आकांक्षा को कोई जगह नहीं मिली, क्योंकि लोग जानते हैं कि टीएमसी सबसे भ्रष्ट, तुष्टिकरण और आतंक से भरी सरकार चलाती है. इस सरकार का पतन भी निश्चित है, क्योंकि बंगाल के लोग इस सरकार को लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं करेंगे.

AAP को लड़नी पड़ी कानूनी लड़ाई

गुजरात चुनाव के बाद AAP राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने का हकदार हो गई थी, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से यह दर्जा मिलने में देरी हो रही थी. इसके बाद, पार्टी ने कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख कर लिया था. आम आदमी पार्टी कर्नाटक के संयोजक पृथ्वी रेड्डी की तरफ से कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इसमें कहा गया था कि AAP राष्ट्रीय पार्टी बनने की सभी शर्तें पूरी करती है, इसके बावजूद दर्जा मिलने में देरी हो रही है. इस कोर्ट ने चुनाव आयोग को 13 अप्रैल तक यह फैसला करने को कहा कि AAP राष्ट्रीय पार्टी बनती है या नहीं.

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