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PM Modi, Krishi Bill 2020: किसान बिल के बारे में फैलाया जा रहा झूठ, मोदी सरकार ने बताया क्या है सच

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किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार का कहना है कि किसानों को भ्रामक जानकारी दी जा रही है. उन्हें जानबूझकर उत्तेजित किया जा रहा है. खुद पीएम मोदी ने किसानों से कहा है कि कृषि बिल को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है. पीएम मोदी ने इन्हीं भ्रामक जानकारियों को हटाने के लिए कृषि बिल से जुटे तथ्यों को सामने रखा है.

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Kisan Bill 2020 : केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली में सियासी तपिश बढ़ती जा रही है. किसानों का आंदोलन और तेज होती जा रहा है. आंदोलन को लेकर किसानों ने (Farmers Protest 2020) दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे (Delhi Agra Expressway) और दिल्ली-जयपुर हाइवे (Delhi Jaipur highway) को ठप करने की चेतावनी दी है. किसान नये कृषि कानून को वापस लेने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी की मांग पर अड़े हैं.

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वहीं, किसानों के आंदोलन को शांत करने के लिए सरकार जी जान से जुटी है. केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर किसानों के साथ कई राउंड की बातचीत कर चुके हैं. वहीं, किसान आंदोलन को लेकर सरकार का यह भी कहना है कि किसानों को भ्रामक जानकारी दी जा रही है. उन्हें जानबूझकर उत्तेजित किया जा रहा है. खुद पीएम मोदी ने किसानों से कहा है कि कृषि बिल को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है. पीएम मोदी ने इन्हीं भ्रामक जानकारियों को हटाने के लिए कृषि बिल से जुटे तथ्यों को सामने रखा है.

नये कृषि कानूनों में क्या नहीं होगा-

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सिस्टम खत्म नहीं होगा.

एएमपीसी (AMPC) मंडिया बंद नहीं होंगी. यानी, किसानों को एमएसपी मूल्य मिलता रहेगा.

किसानों की जमीन कोई नहीं छीन सकता.

कितानों एग्रीमेंट द्वारा बंधन नहीं होगा.

इन कानूनों से क्या होगा

बंधनमुक्त राष्ट्रीय बाजार से किसानों की आय बढ़ेगी

MSP) सिस्टम जारी रहेगा, किसान अधिक दाम के लिए खरीदार से मेलभाव कर सकते हैं.

किसान एपीएमसी मंडियों में और बाहर भी, जहां दाम अधिक मिले, बेच सकते हैं.

फसल के मूल्यों में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव से मुक्ति मिलेगी, आमदनी बढ़ेगी.

उच्च मूल्य की नई किस्मों के लिए बाजार उपलब्ध होगा.

फसल बुआई से पहले और कटाई के बाद, दोनों स्थिति में आवश्यकता से अमुरूप कमाई के बेहतर विकल्प.

ग्रामीण युवाओं के लिए कृषि व्यवसाय में अधिक अवसर

ग्रमाण क्षेत्रों में अधिकत निवेश और एनोवेशन, ग्रामीण युवाओं में अधिक रोजगार के अवसर.

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झूठ पर विश्वास न करें, सच को जानें

झूठ: न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी, MSP) खत्म हो रही है.

सच: एमएसपी सिस्टम जारी है, जारी रहेगा.

झूठ: एपीएमसी मंडियां खत्‍म हो जाएंगी.

सच: एपीएमसी मंडी सिस्‍टम जैसा है, वैसा ही रहेगा.

झूठ: किसानों की जमीन खतरे में है.

सच: एग्रीमेंट फसलों के लिए होगा, जमीन के लिए नहीं. सेल लीज और गिरवी समेत जमीन के किसी भी तरह के हस्तांतरण का करार नहीं होगा.

झूठ: किसानों पर किसी भी प्रकार के बकाये के बदले कॉन्‍ट्रैक्‍टर्स जमीन हथिया सकता है.

सच: परिस्थिति चाहे जो भी हो, किसानों की जमीन सुरक्षित है.

झूठ: कॉन्ट्रेक्ट फर्मिंग के मामले में किसानों के मूल्य की कोई गारंटी नहीं है.

सच: फर्मिंग एग्रिमेंट में कृषि उपज का खरीद मूल्य लर्ज किया जाएगा.

झूठ- किसानों को भुगतान नहीं किया जाएगा.

सच- किसानों का भुगतान तय समय सीमा के अंदर करना होगा, अन्यथा कानूनी कार्रवाई होगी औऱ जुर्माना लगेगा.

झूठ – किसान कॉन्ट्रेक्य को खत्म नहीं कर सकते.

सच- किसान किसी भी समय बिना किसी शर्त के कॉन्ट्रेक्य को खत्म कर सकते हैं.

झूठ- पहले कभी कॉन्ट्रैक्ट फर्मिंग की कोशिश नहीं की गई.

सच- कई राज्यों ने कॉन्ट्रैक्ट फर्मिंग मंजूरी दे रखी है. कई राज्यों में तो कॉन्ट्रैक्ट फर्मिंग संबेधी कानून तक हैं.

झूठ- इन कानूनों को लेकर कोई सलाह मशविरा या कोई चर्चा नहीं की गई

सच- दो दशकों तक विचार विमर्श हुआ. साल 2000 में शंकरलाल कमेटी में इसकी शुरूआत हुई थी. इसके बाद 2003 में मॉडल एपीएमसी एक्ट, 2007 में एपीएमसी रूल. 2010 में हरियाणा, पंजाब, बिहार एवं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों की समिति व 2013 में 10 राज्यों के कृषि मंत्रियों संस्तुति, 2017 का मॉडल एपीएलएम एक्ट और आखिरकार 2020 में संसद द्वारा इन कानूनों की मंजूरी है.

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Posted by: Pritish Sahay

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