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Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने क्यों कहा कि साल 2020 खराब नहीं है, चीनी सेना से झड़प पर कही बड़ी बात, पढ़ें मुख्य बातें…

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Mann ki baat, PM narendra modi: लद्दाख की गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत, भारत में कोरोना का विकराल होता स्वरूप और देश में मानसून की आमद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देश को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इन सबके बीच, हमारे कुछ पड़ोसियों द्वारा जो हो रहा है, देश उन चुनौतियों से भी निपट रहा है.

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लद्दाख की गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत, भारत में कोरोना का विकराल होता स्वरूप और देश में मानसून की आमद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देश को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इन सबके बीच, हमारे कुछ पड़ोसियों द्वारा जो हो रहा है, देश उन चुनौतियों से भी निपट रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि अभी, कुछ दिन पहले, देश के पूर्वी छोर पर तूफान अम्फान आया, तो पश्चिमी छोर पर साइक्लोन निसर्ग आया. कितने ही राज्यों में हमारे किसान भाई–बहन टिड्डी दल के हमले से परेशान हैं और कुछ नहीं, तो देश के कई हिस्सों में छोटे-छोटे भूकंप रुकने का ही नाम नहीं ले रहे.

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पीएम ने कहा कि साल 2020 को खराब न मानें. उन्होंने कहा कि लोग अक्सर बोलते दिखे कि ये साल कब बीतेगा. फोन पर लोग यही बात करते हैं कि साल कब बीतेगा. लोग कह रहे कि यह साल अच्छा नहीं, यह शुभ नहीं. लोग चाहते हैं कि यह साल जल्द बीत जाए. पीएम मोदी ने कहा कि इस साल देश ने कोरोना संकट देखा. उस बीच अम्फान, निसर्ग तूफान भी आए. फिर टिड्डी दल और भूकंप के इतने झटके. इस बीच पड़ोसी देशों से विवाद भी हुआ, लेकिन इस सब के बावजूद साल को खराब कहना ठीक नहीं. पीएम मोदी बोले कि मुश्किलें आती हैं, संकट आते हैं लेकिन आपदाओं की वजह से साल को खराब मानना ठीक नहीं.

यह सोच लेना कि पूरा साल ही ऐसा है ठीक नहीं. एक साल में एक चुनौती या 50 चुनौती उससे साल खराब नहीं होता. उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास चुनौतियों सो भरा रहा है. सैकड़ों आक्रांताओं ने देश पर हमला किया लेकिन इससे भारत और भी भव्य होकर सामने आया. उन्होंने गीत गाया- कलकल छलछल बहती क्या कहती गंगा धारा, सदियों से बहती यह पुण्य प्रताप हमारा..बोले कि संकटों से हमे आगे बढते रहना है. पीएम मोदी ने आगे देशवासियों को आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी. कहा कि यह सैनिकों की मदद होगी. मोदी ने कहा कि ऐसे कई लोगों के संदेश उन्हें मिलते हैं कि वे लोग आत्मनिर्भर बन रहे हैं.

भारत को आंख दिखाने वालों को मिला करारा जवाब

पीएम मोदी ने कहा कि लद्दाख में भारत की भूमि पर, आंख उठाकर देखने वालों को, करारा जवाब मिला है. भारत, मित्रता निभाना जानता है, तो, आंख-में-आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है. लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है. पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है. इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय, इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार के रहने वाले शहीद कुंदन कुमार के पिताजी के शब्द तो कानों में गूंज रहे हैं.

वो कह रहे थे, अपने पोतों को भी, देश की रक्षा के लिए, सेना में भेजूंगा. यही हौंसला हर शहीद के परिवार का है. वास्तव में, इन परिजनों का त्याग पूजनीय है. भारत-माता की रक्षा के जिस संकल्प से हमारे जवानों ने बलिदान दिया है, उसी संकल्प को हमें भी जीवन का ध्येय बनाना है, हर देश-वासी को बनाना है. हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने – यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी.

बच्चों से विशेष आग्रह

पीएम मोदी ने कहा हमारे यहां एक और पारंपरिक गेम रहा है– गुट्टा. बड़े भी गुट्टे खेलते हैं और बच्चे भी – बस, एक ही आकार के पांच छोटे पत्थर उठाएं और आप गुट्टे खेलने के लिए तैयार. एक पत्थर हवा में उछालिए और जब तक वो पत्थर हवा में हो आपको जमीन में रखे बाकी पत्थर उठाने होते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि मुझे मालूम है आज जब मैं ये बात कर रहा हूं तो कितने ही लोग अपने बचपन में लौट गए होंगे. कितनों को ही अपने बचपन के दिन याद आ गए होंगे.

मैं यही कहूंगा कि उन दिनों को आप भूले क्यों हैं? उन खेलों को आप भूले क्यों हैं. उन्होंने बच्चों से गुजारिश की. कहा कि जब टाइम मिले तो घर के बुजुर्गों का वीडियो इंटरव्यू करें. उनसे पूछे कि बचपन में क्या खेलते थे, छुट्टियों में क्या करते थे. त्योहार कैसे मनाते थे. घर के बुजुर्ग भी इससे खुश होंगे. 40-50 साल पहले क्या होता था, भारत कैसा था बच्चों को भी जानने को मिलेगा. आपके लिए एक अच्छा वीडियो एलबम भी बन जाएगा.

Posted By: Utpal kant

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