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मानसून सत्र में आज फिर छाया रहेगा मणिपुर हिंसा मामला, दोनों सदनों में हंगामे के आसार, विपक्ष कर सकता है बैठक

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कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा को लेकर संसद के दोनों सदनों में जारी गतिरोध के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. विपक्ष का कहना है कि अगर केंद्र सरकार इस मामले में गंभीर है और सिर्फ चर्चा के नाम पर औपचारिकता नहीं निभाना चाहती तो सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के भीतर वक्तव्य दें

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Parliament Monsoon Session, Manipur violence: संसद के मानसून सत्र का आज तीसरा दिन है. संसद के दोनों सत्रों में आज भी मणिपुर हिंसा को लेकर जोरदार हंगामे के आसार हैं. बीते दो सत्रों में मणिपुर हिंसा को लेकर लोकसभा और राज्य सभा में जोरदार हंगामा देखने को मिला है. इस कारण अधिकांश समय दोनों सदन स्थगित ही रहे. बता दें, कांग्रेस मणिपुर हिंसा मामले में सरकार को घेरने में लगी है. इधर सत्ता पक्ष बंगाल और राजस्थान की घटना को लेकर विपक्ष पर पलटवार करने को तैयार है. गौरतलब है कि मणिपुर हिंसा पर विपक्ष सदन में चर्चा को लेकर अड़ा है. विपक्ष का कहना है कि  जब तक मणिपुर में हुई हिंसा पर खुद पीएम मोदी सदन में आकर जवाब नहीं देते हैं तब तक विपक्ष की मांग जारी रहेगी. इधर हिंसा मामले में सरकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जवाब के साथ मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने पर सहमत है.

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विपक्ष से हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं कि मणिपुर पर संसद की चर्चा में शामिल हों: अनुराग ठाकुर
इधर, मणिपुर में हिंसा को लेकर मॉनसून सत्र में जारी गतिरोध के बीच केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने विपक्ष से अपील की है वो सदन को चलने दें. उन्होंने ‘हाथ जोड़कर’ विपक्ष से अनुरोध किया कि वे इसपर चर्चा में हिस्सा लें. ठाकुर ने विपक्ष से अनुरोध किया है कि वह पूर्वोत्तर राज्य में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का राजनीतिकरण नहीं करे. बता दें, विपक्षी दलों ने आज यानी सोमवार को संसद परिसर में प्रदर्शन करने की योजना बनाई है. ठाकुर ने कहा कि महिलाओं के प्रति अत्याचार पीड़ादायी है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि पीड़िता किस राज्य की रहने वाली है. ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाना राज्य की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल व मणिपुर जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के मामलों पर सरकार चर्चा कराना चाहती है.

विपक्षी दल कर सकते हैं बैठक
आज यानी सोमवार को मणिपुर हिंसा मामले को लेकर विपक्ष सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले बैठक सकता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बैठक के बाद सभी विपक्षी दलों के नेता संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं. इसके अलावा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अगुवाई में विपक्षी दलों के नेता बैठक कर मणिपुर हिंसा मामले में आगे की रणनीति तय कर सकते हैं. बता दें, विपक्ष मणिपुर हिंसा मामले में सदन में पीएम मोदी के बयान के साथ-साथ प्रदेश के सीएम एन बीरेन सिंह को हटाने और काम रोको प्रस्ताव के तहत दीर्घकालिक चर्चा की मांग रखी है.

विपक्ष ने की राष्ट्रपति शासन की मांग
कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा को लेकर संसद के दोनों सदनों में जारी गतिरोध के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. विपक्ष का कहना है कि अगर केंद्र सरकार इस मामले में गंभीर है और सिर्फ चर्चा के नाम पर औपचारिकता नहीं निभाना चाहती तो सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के भीतर वक्तव्य दें, और संसद को दोनों सदनों में मामले पर विस्तार से चर्चा कराई जाए. मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. विपक्ष ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग भी की है.

मणिपुर में सुरक्षा और कड़ी  मिजोरम में भी बढ़ी सतर्कता
गौरतलब है कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ दुष्कर्म का मामला पिछले दिनों सामने आने के बाद पुलिस व केंद्रीय बलों ने पूरे राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी है. इस मामले से जुड़े बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस लगातार अभियान चला रही है. बता दें, इस मामले में अब तक छह आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. दूसरी तरफ, इस घटना का असर अब पड़ोसी राज्य मिजोरम पर भी पड़ने लगा है. मिजो संगठनों के राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन और मेइती समुदाय के लोगों के राज्य छोड़ने की खबरों के बीच मिजोरम में भी पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हैं. इस बीच मिजोरम में रह रहे मैतेई समुदाय के कई लोगों के राज्य छोड़ने की खबर है. रविवार को तीन विमानों से 78 लोग मणिपुर के लिए रवाना हुए. शनिवार को 65 लोगों ने पड़ोसी राज्य की यात्रा की थी. वहीं, मिजोरम के 41 मेइती लोग सड़क मार्ग से असम के कछार जिले में चले गये. इसके अलावा मणिपुर के 31 मिजो छात्र मिजोरम लौट आये हैं. दरअसल, मणिपुर की घटना का वीडियो सामने आने के बाद पूर्व उग्रवादियों के एक समूह ने मेइती समुदाय को कथित तौर पर राज्य छोड़ने के लिए कहा था.

अफवाह व फर्जी खबरों से बढ़ी हिंसा- सुरक्षा एजेंसियां      
मणिपुर में तीन मई से भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. राज्य में हालात पर नजर रखने वाली विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों का मानना है कि हिंसा को बड़े पैमाने पर अफवाहों और फर्जी खबरों के कारण बढ़ावा मिला. सुरक्षा एजेंसियों के विश्लेषण से साफ हो गया है कि स्थानीय स्तर पर प्रसारित की जा रही फर्जी खबरों पर कोई नियंत्रण नहीं है. पुलिस ने लोगों से फिर से फर्जी खबरों से बचने की अपील की है. पुलिस ने सोशल मीडिया या किसी भी जानकारी की पुष्टि करने व दुष्प्रचार के प्रसार को रोकने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है.

डीसीडब्ल्यू प्रमुख मालीवाल पहुंचीं मणिपुर
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल रविवार को मणिपुर पहुंचीं. उन्होंने कहा कि वह यहां लोगों की सहायता के लिए आयी हैं. मणिपुर यात्रा के दौरान मालीवाल ने प्रदेश के सीएम एन बीरेन को एक पत्र भी लिखा था. अपने पत्र में मालीवाल ने कहा कि मैं मणिपुर में मानवाधिकारों के उल्लंघन और यौन उत्पीड़न के मामलों के अत्यंत प्रासंगिक मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री के साथ एक अति आवश्यक बैठक करना चाहती हूं. राज्य में जारी हिंसा से बचने के लिए कई मणिपुरी महिलाएं दिल्ली आई हैं. मैं आपसे उनके कल्याण से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा करना चाहती हूं. उन्होंने हिंसा प्रभावित उन राहत शिविरों का दौरा करने के लिए भी मुख्यमंत्री से सहयोग देने का आग्रह किया, जहां यौन उत्पीड़न की पीड़िताएं इस समय रह रही हैं.

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