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मणिपुर में निर्वस्त्र करने से दिल्ली में राॅड से मारकर हत्या तक,महिलाओं के साथ हुए इन अपराधों की क्या है सजा?

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अगर महिलाओं के खिलाफ अपराध की एक लिस्ट तैयार की जाये, तो हमारे सामने चौंकाने वाले आंकड़े उपस्थित हो सकते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर महिलाओं के खिलाफ इतने अपराध क्यों? ऐसा नहीं है कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए कानून नहीं हैं. कई कानून हैं और सख्त कानून हैं.

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Crime against women : दिल्ली में काॅलेज के बाहर खड़ी लड़की की राॅड से मारकर हत्या, वहीं एक महिला की उसके घर के बाहर हत्या, मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया, झारखंड में एक महिला का अपहरण कर उसे पहले पीटा और फिर कपड़े फाड़कर रात भर पेड़ से बांधकर रखा. कर्नाटक में एक लड़की का वाथरूम में वीडियो बनाया गया.

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सख्त कानून के बावजूद बढ़े हैं अपराध

यह चंद उदाहरण हैं उन घटनाओं के जो हमारे देश में हालिया दिनों में महिलाओं के साथ घटे हैं. अगर महिलाओं के खिलाफ अपराध की एक लिस्ट तैयार की जाये, जो एक सप्ताह की ही हो, तो हमारे सामने चौंकाने वाले आंकड़े उपस्थित हो सकते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर महिलाओं के खिलाफ इतने अपराध क्यों? ऐसा नहीं है कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए कानून नहीं हैं. कई कानून हैं और सख्त कानून हैं, बावजूद इसके प्रतिघंटे आपराधिक घटनाएं घट रही हैं और सभ्य हतप्रभ खड़ा है, कुछ करने की स्थिति में नहीं है. कुछ लोग विरोध प्रदर्शन करते हैं, कुछ कलम चलाते हैं, लेकिन नतीजा सिफर ही सामने आता है. वजह साफ है-पितृसत्तामक सोच. दिल्ली में आज जिस लड़की की राॅड से मारकर हत्या की गयी है उसके पीछे की वजह यह है कि उस लड़की ने आरोपी लड़के को शादी से मना कर दिया था. झारखंड में महिला को चरित्रहीन बताकर दुर्व्यवहार किया गया. मणिपुर में सामाजिक बदले की भावना से दो महिलाओं को निर्वस्त्र किया गया.

पितृसत्तामक सोच घटनाओं के लिए जिम्मेदार

पितृसत्तामक सोच के महिलाओं को उपभोग की सामग्री की तरह देखता है. नतीजा कभी बदले की प्रवृत्ति में कभी सामाजिक कारणों से तो कभी तुष्टि के लिए महिलाएं दमित की जाती हैं. महिलाओं के खिलाफ हिंसा हमारे समाज का असली चरित्र बताता है. अपने आसपास के वातावरण पर ही अगर हम ध्यान दें तो पायेंगे कि कई ऐसी छोटी-बड़ी चीजें हैं जो महिलाओं को अपमानित करती हैं.

आपराधिक घटनाओं में 15 फीसदी से अधिक की वृद्धि

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध की संख्या 2020 में 56.5% से बढ़कर 2021 में 64.5% हो गयी. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि 31.8 प्रतिशत महिलाएं अपने पति या रिश्तेदारों द्वारा पीड़ित हैं. 20 प्रतिशत महिलाएं हिंसा का शिकार शील भंग करने के उद्देश्य से होती हैं. वहीं 7.4 प्रतिशत के साथ बलात्कार होता है और 17.6 प्रतिशत का अपहरण होता है. कुछ साल पहले तक महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएं नाॅर्थ-ईस्ट के राज्यों में बहुत कम होती थीं, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बदल गयी. 2021 के आंकड़ों में असम महिलाओं के खिलाफ अपराध में तेजी से ऊपर आया है.

महिलाओं की मानसिक सेहत होती है खराब

आंकड़ों की बात ज्यादा ना भी करें, तो यह जानना बहुत जरूरी है कि इन घटनाओं का महिलाओं पर क्या असर होता है. मणिपुर में जिन दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया, उनकी मानसिक स्थिति क्या सामान्य हो पायेगी. वाचिक और मानिसक हिंसा की शिकार महिलाएं अकसर डिप्रेशन में चली जाती हैं और उन्हें उस स्थिति से निकाल पाना संभव नहीं होता है. निर्वस्त्र होना या करना एक घृणित अपराध है क्योंकि समाज इसे प्रतिष्ठा से जोड़ता है अन्यथा तो इंसान के अलावा धरती पर सभी जीव नग्न ही रहते हैं. ऐसे अपराध की शिकार महिलाएं कई बार आत्महत्या जैसा कदम भी उठाती हैं और जिसमें लगातार बढ़ोतरी देखी गयी है.साल 2021 में 46 हजार से अधिक महिलाओं ने आत्महत्या की है.

क्या हैं कानून

-महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में बलात्कार सबसे प्रमुख है. 2012 के निर्भया कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की घटनाओं में मौत की सजा का भी प्रावधान किया है. हालांकि दुष्कर्म की घटनाओं में अधिकतर सात की सजा का प्रावधान है.

-महिलाओं के साथ अभद्रता करने के खिलाफ भी कई कानून हैं, जिनमें चोरी से उनका वीडियो बनाना, उनकी नग्न तसवीर लेना, उन्हें निर्वस्त्र होने के लिए बाध्य करना सहित उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले अपराधों के लिए भी सजा का प्रावधान है. काफी संशोधनों के बाद अब महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले अपराध को गैरजमानती करार दिया गया है. ऐसे अपराधों में एक से 10 साल तक की कठोर सजा का प्रावधान किया गया है. आईपीसी की धार 354 के तहत यह प्रावधान किया गया है. आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के अनुसार यह व्यवस्था की गयी है.

– हत्या के मामले में आजीवन कारावास और मौत की सजा तक का प्रावधान है. हालांकि मौत की सजा रेअर मामलों में ही मिलती है. पहले आजीवन कारावास में 14 साल की सजा होती थी, लेकिन अब अपराध जघन्य होने पर आजीवन कारावास यानी दोषी के जीवनकाल तक की सजा का प्रावधान भी किया गया है. यह तमाम प्रावधान आईपीसी धारा 302 में वर्णित है.

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