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मणिपुर वीडियो मामला: सुप्रीम कोर्ट ने DGP को किया तलब, पुलिस कार्रवाई पर भड़के CJI कहा- FIR में हुई देरी

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सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर पुलिस से नाराजगी जताते हुए कहा कि घटना की जांच बहुत सुस्त है और राज्य में कानून एवं व्यवस्था और संवैधानिक तंत्र पूरी तरह चरमरा गया है. पुलिस ने राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर से नियंत्रण खो दिया है और अगर लोगों की रक्षा नहीं कर सकता तो नागरिकों का क्या होगा.

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मणिपुर हिंसा मामले पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई. जिसमें सीजेआई ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाया और कहा, घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देरी हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने संबंधी वीडियो को बेहद परेशान करने वाला बताया. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, एक चीज बहुत स्पष्ट है कि वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देरी हुई. अब इस मामले में अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी.

हिंसा भड़कने के बाद 6523 एफआईआर दर्ज की गयी

सुनवाई शुरू होने पर मणिपुर सरकार ने पीठ को बताया कि उसने मई में जातीय हिंसा भड़कने के बाद 6,523 प्राथमिकियां दर्ज कीं. केंद्र तथा मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में राज्य पुलिस ने जीरो प्राथमिकी दर्ज की थी. मेहता ने कोर्ट को बताया कि मणिपुर पुलिस ने वीडियो मामले में एक नाबालिग समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है. उन्होंने पीठ को बताया कि ऐसा लगता है कि राज्य पुलिस ने घटना का वीडियो सामने आने के बाद महिलाओं के बयान दर्ज किए.

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कार्रवाई को बेहद सुस्त बताया

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर पुलिस से नाराजगी जताते हुए कहा कि घटना की जांच बहुत सुस्त है और राज्य में कानून एवं व्यवस्था और संवैधानिक तंत्र पूरी तरह चरमरा गया है. इसने कहा कि यह साफ है कि पुलिस ने राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर से नियंत्रण खो दिया है और अगर कानून एवं व्यवस्था तंत्र लोगों की रक्षा नहीं कर सकता तो नागरिकों का क्या होगा. इसने कहा कि राज्य पुलिस जांच करने में अक्षम है, उसने स्थिति से नियंत्रण खो दिया है. कोर्ट ने पूछा कि क्या महिलाओं को भीड़ को सौंपने वाले पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गयी.

Also Read: Manipur Violence: मणिपुर में आदिवासी महिलाओं ने किया प्रदर्शन, मोरेह से पुलिस बल हटाने की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के डीजीपी को किया तलब

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि मणिपुर के डीजीपी शुक्रवार को दोपहर 2 बजे कोर्ट के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहेंगे और अदालत को जवाब देने की स्थिति में होंगे. कोर्ट ने बार-बार नाराजगी जताते हुए पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाया.

मणिपुर हिंसा में आधिकारिक रूप से अबतक 150 लोगों की हुई मौत

सुप्रीम कोर्ट ने उस रिपोर्ट को रिकॉर्ड किया है जो मणिपुर की ओर से दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि 25 जुलाई, 2023 तक 6496 एफआईआर दर्ज की गई हैं. स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 150 मौतें हुईं, 502 घायल हुए, 5,101 मामले आगजनी की और 6,523 एफआईआर दर्ज की गईं. 252 लोगों को गिरफ्तार किया गया. स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 एफआईआर के सिलसिले में 7 गिरफ्तारियां की गई हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सीबीआई पर अधिक बोझ नहीं डाला जा सकता

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इन 6500 एफआईआर को विभाजित करने के लिए एक तंत्र की आवश्यकता है क्योंकि सीबीआई पर सभी 6500 का बोझ नहीं डाला जा सकता है अन्यथा इसके परिणामस्वरूप सीबीआई तंत्र भी टूट जाएगा.

क्या है मामला

दरअसल 3 मई को मणिपुर में मैतेई समुदाय के एसटी दर्जे के खिलाफ कुकी समुदाय द्वारा विरोध मार्च का आयोजन किया गया था. जिसमें हिंसा भड़क उठी थी. उसके ठीक दूसरे दिन 1000 से अधिक लोगों की भीड़ एक गांव पर हमला कर दिया और दो महिलाओं को निर्वस्त्र का सड़क पर घुमाया कराया था. उस घटना के करीब 75 दिनों के बाद 19 जुलाई को उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जिसके बाद पूरे देशभर में आक्रोश भड़क उठा. सड़क से संसद तक इस घटना की निंदा की गयी. वीडियो सामने आने के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी निंदा की और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया.

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