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Malnutrition: थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया से ग्रसित लोगों के लिए फायदेमंद है फोर्टिफाइड चावल

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कई वैज्ञानिक शोध से यह बात साबित हुई है कि फोर्टिफाइड चावल सभी के लिए सुरक्षित है. थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया से ग्रसित लोगों के लिए भी यह चावल फायदेमंद है.

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Malnutrition: देश में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. इसे दूर करने के लिए हाल में केंद्रीय कैबिनेट ने सरकार की सभी योजनाओं और अन्य कल्याणकारी योजना के तहत फोर्टिफाइड चावल मुहैया कराने के फैसले को मंजूरी दी. कैबिनेट के फैसले के तहत फोर्टिफाइड चावल जुलाई 2024 से दिसंबर 2028 तक मुहैया कराया जायेगा. कई वैज्ञानिक शोध से यह बात साबित हुई है कि फोर्टिफाइड चावल सभी के लिए सुरक्षित है. थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया से ग्रसित लोगों के लिए भी यह चावल फायदेमंद है. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड कानून 2018 के तहत पहले फोर्टिफाइड चावल के पैक पर थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया पीड़ित लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी दिशा निर्देश लिखे होते थे.

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लेकिन वैज्ञानिक ने ऐसे दिशा निर्देश पर सवाल उठाते हुए कहा कि दूसरे देशों में ऐसा नहीं है. इसे देखते हुए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली विभाग ने वर्ष 2023 में एक वर्किंग ग्रुप का गठन कर फोर्टिफाइड चावल के थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया पीड़ित लोगों की सुरक्षा का अध्ययन करने को कहा. वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया कि फोर्टिफाइड चावल का कोई नुकसान नहीं है. फोर्टिफाइड चावल खाने से  थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया पीड़ित लोग काफी कम मात्रा में आयरन लेते है. इस रिपोर्ट का आकलप बाद में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(आईसीएमआर) की एक उच्च स्तरीय कमेटी ने किया और फोर्टिफाइड चावल को पूरी तरह सुरक्षित करार दिया. 

झारखंड और महाराष्ट्र में व्यापक पैमाने पर हो रहा है वितरण


भारत में व्यापक स्तर पर फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया जा रहा है. झारखंड और महाराष्ट्र में इसके 2.64 लाख लाभार्थी हैं और इन राज्यों में इस चावल को लेकर कोई गंभीर शिकायत नहीं मिली है. भारत में फोर्टिफाइड चावल मुहैया कराने की योजना वर्ष 2019 में शुरू की गयी और इसे तीन चरणों में लागू किया गया. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के आधार पर भारत में फोर्टिफाइड चावल का निर्माण किया जा रहा है. जिन देशों में चावल मुख्य भोजन है, वहां फोर्टिफाइड चावल को जरूरी कर दिया गया है. ऐसे में भारत की कुल आबादी में 65 फीसदी चावल खाते हैं, ऐसे में फोर्टिफाइड चावल का महत्व बढ़ गया है.

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत सालाना 5.20 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल की खरीद करेगी. मौजूदा समय में देश में 1023 मिल की सालाना 111 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल उत्पादन की क्षमता है. देश में चावल फोर्टिफिकेशन का इकोसिस्टम काफी बड़ा है. देश के 30 हजार चावल मिल में से 21 हजार ने फोर्टिफाइड चावल उत्पादन के लिए जरूरी मशीन को लगा लिया और वे हर महीने 223 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल का उत्पादन कर सकते हैं. ऐसे चावल की गुणवत्ता के लिए कई लैब का गठन हो चुका है. 

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