18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Kinnaur Landslide: विस्फोट, ड्रिलिंग की वजह से कमजोर हो रहे पहाड़, देश के इन राज्यों में भूस्खलन का खतरा

Advertisement

Kinnaur Landslide: सड़क चौड़ीकरण और विकास कार्यों के लिए होने वाले विस्फोट, ड्रिलिंग की वजह से पहाड़ कमजोर हो रहे हैं. इसलिए आये दिन पहाड़ी राज्यों में पहाड़ दरकते हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Kinnaur Landslide: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के किन्नौर में पहाड़ टूटकर गिरने (Kinnaur Landslide) और उसकी चपेट में एक बस, ट्रक और कार के आने की वजह से एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि यह प्राकृतिक आपदा है या हादसा. पर्यावरणविदों की मानें, तो ये प्राकृतिक आपदा नहीं हैं. विकास की भूख ऐसी आपदा को आमंत्रित कर रहे हैं. इसका दुष्परिणाम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

- Advertisement -

सड़क चौड़ीकरण और विकास कार्यों के लिए होने वाले विस्फोट और ड्रिलिंग की वजह से पहाड़ कमजोर हो रहे हैं. इसलिए आये दिन पहाड़ी राज्यों में पहाड़ दरकते हैं. हादसों में लोगों की जानें चली जाती हैं. ऐसा भी होता है कि कई-कई दिन तक सड़क मार्ग अवरुद्ध हो जाता है. हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में हुए हादसे के बाद पर्यावरणविद चेता रहे हैं कि अगर अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण कार्य जारी रहे, तो ऐसे हादसों की संख्या तेजी से बढ़ेगी.

विशेषज्ञों का मानना है कि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स, सुरंगों और सड़कों के निर्माण के लिए होने वाले जोरदार विस्फोट और ड्रिलिंग से कंपन होता है, जिसके कारण पहाड़ों की ऊपरी सतह और पत्थर हिल जाते हैं. यही वजह है कि पहाड़ का हिस्सा टूटकर गिर जाते हैं. केलांग और उदयपुर सबडिवीजन के जिलों में हाल के वर्षों में बादल फटने के बाद अचानक बाढ़ की 12 घटनाएं हुईं. लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिले भूगर्भीय और पारिस्थितिकी के हिसाब से काफी संवेदनशील हैं. कमजोर हो गये हैं.

Also Read: Kinnaur Landslide Latest Update: किन्नौर में भूस्खलन से 10 मरे, हिमाचल में मानसून में 228 लोगों की मौत

कांगड़ा जिला में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन में 10 लोगों की मौत हो गयी. सिरमौर जिले में कई भूस्खलन की घटनाएं हुईं, जो भयावह थीं. असल में हिमालय के ऊंचे पहाड़ पर्यावरणीय और टेक्टोनिकली बेहद अधिक संवेदनशील हैं. इसलिए ऐसी जगहों पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए. अगर बहुत जरूरी हो, तभी छोटे-छोटे निर्माण कराये जायें. सड़कों को वैज्ञानिक तरीके से बनाया जाये.

लेकिन, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सड़कों के चौड़ीकरण और निर्माण के नाम पर पहाड़ों के सीने को चीर दिया जा रहा है. सड़क बनाते समय उच्च गुणवत्ता की दीवारें नहीं बनतीं. न तो पत्थरों को रोकने के लिए मजबूत जाल लगाये जाते हैं. इसलिए पहाड़ के टूटने या चट्टानों के गिरने से नुकसान ज्यादा होता है. यदि मजबूत दीवारें बनें और जाल लगाये जायें, तो हादसों की तीव्रता को कम किया जा सकता है.

Also Read: बारिश ने मचाई हिमाचल में तबाही, शिमला में भूस्खलन के मलवे में पांच दबे, कई लोगों की मौत

भूस्खलन संभावित राज्य और उसके क्षेत्र

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने एक नक्शा तैयार किया है, जिसमें बताया गया है कि देश के किन राज्यों का कितना बड़ा हिस्सा भूस्खलन संभावित क्षेत्र है. इस नक्शे में हिमाचल का सबसे ज्यादा 42,100 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र प्राकृतिक आपदा संभावित क्षेत्र है. यानी यहां कभी भी प्राकृतिक आपदा आ सकती है.

हिमाचल के बाद केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का नंबर है. यहां 40 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आपदा संभावित है, तो उत्तराखंड का 39 हजार वर्ग किलोमीटर, जम्मू-कश्मीर का 28,700 वर्ग किलोमीटर और महाराष्ट्र का 28,190 वर्ग किलोमीटर का इलाका शामिल है.

Also Read: Weather Forecast Today: आईएमडी का अलर्ट, 14 अगस्त तक इन चार राज्यों में होगी मूसलाधार बारिश

पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग और कलिम्पोंग के 15 से 20 फीसदी इलाके भूस्खलन संभावित क्षेत्र में आते हैं. सिक्किम, मिजोरम, नगालैंड और उत्तराखंड में भी भूस्खलन का खतरा है. इन राज्यों में भूस्खलन की घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने लैंडस्लाइड मिटिगेशन मेजर्स के नाम पर 29.60 करोड़ रुपये का समझौता किया गया.

इतना ही नहीं, राष्ट्रीय आपदा मिटिगेशन फंड में भूकंपीय और भूस्खलन संबंधी दिक्कतों के लिए 750 करोड़ रुपये के प्रावधान का प्रस्ताव किया है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाये जा सकें.

Posted By: Mithilesh Jha

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें