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केरल यूथ फेस्टिवल में नॉन-वेज डिश नहीं परोसे जाने पर बवाल, सोशल मीडिया पर बहस शुरू

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एक सोशल मीडिया यूजर ने आरोप लगाया कि कला उत्सव की रसोई में ब्राह्मणवादी आधिपत्य कायम है. उन्होंने मांग की कि इसे समाप्त किया जाना चाहिए और इसके मंडपों में सभी प्रकार के भोजन परोसे जाने चाहिए.

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केरल में इस समय यूथ फेस्टिवल का आयोजन किया गया है. लेकिन आयोजन के साथ ही यह महोत्सव विवादों की भेंट चढ़ गया. इस आयोजन की व्यंजन सूची में नॉन-वेज डिश को शामिल नहीं किये जाने पर भारी बवाल हो गया है. इसको लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. आयोजन में मांसाहारी भोजन को शामिल किया जाना चाहिए या नहीं, इसको लेकर बहस तेज हो गई है.

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ब्राह्मण वर्चस्व का लग रहा आरोप

राज्य की खान-पान राजधानी कहे जाने वाले कोझिकोड़ में केरल स्कूल कला महोत्सव आयोजित किया गया है. सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि बच्चों के इस कला महोत्सव के दौरान व्यंजन के मामले में ब्राह्मण वर्चस्व देखने को मिल रहा है क्योंकि खान-पान मामलों के विशेषज्ञ पी मोहनन नंबूदिरी रसोई टीम का नेतृत्व कर रहे हैं. इस महोत्सव को स्कूल स्तर पर एशिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम कहा जाता है.

केरल के शिक्षा मंत्री ने आरोपों को किया खारिज

सोशल मीडिया पर जारी बहस के बीच केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बहस पूरी तरह गैर-जरूरी है. बताया जा रहा है कि दशकों से इस महोत्सव में भाग लेने वाले बच्चों, उनके शिक्षकों, माता-पिता और मीडिया कर्मियों को स्वादिष्ट शाकाहारी व्यंजन परोसे जाते रहे हैं.

महोत्सव में सभी प्रकार के भोजन परोसे जाने की मांग

एक सोशल मीडिया यूजर ने आरोप लगाया कि कला उत्सव की रसोई में ब्राह्मणवादी आधिपत्य कायम है. उन्होंने मांग की कि इसे समाप्त किया जाना चाहिए और इसके मंडपों में सभी प्रकार के भोजन परोसे जाने चाहिए.

महोत्सव में केवल शाकाहारी व्यंजनों का होना शाकाहारी कट्टरवाद का हिस्सा

एक फेसबुक यूजर ने आरोप लगाया कि महोत्सव में केवल शाकाहारी व्यंजनों का होना शाकाहारी कट्टरवाद का हिस्सा है और जातीय विश्वास का प्रतिबिंब है. एक सोशल मीडिया यूजर ने कहा कि सरकार द्वारा आयोजित ऐसे उत्सवों में मांसाहारी व्यंजन समेत सभी प्रकार के भोजन परोसे जाने चाहिए.

भोजन को धार्मिक रंग देने की हो रही कड़ी आलोचना

एक ओर जहां महोत्सव में नॉन-वेज डिश परोसे जाने की मांग हो रही है, तो दूसरी ओर कई फेसबुक यूजर ने भोजन को धार्मिक रंग देने का आरोप लगाया. ऐसे लोगों ने समाज में विभाजन पैदा करने का प्रयास बताया और इसकी कड़ी आलोचना की. बहस के बीच सरकार की ओर से बयान दिया गया. मंत्री शिवनकुट्टी ने कहा कि इस बात पर राज्य सरकार का कोई अडियल रुख नहीं है कि महोत्सव में मांसाहारी व्यंजन नहीं परोसे जाने चाहिए. लेकिन, इतनी बड़ी संख्या में लोगों को परोसने के लिए बड़ी मात्रा में मांसाहारी व्यंजन तैयार करने में व्यावहारिक दिक्कतें हैं. उन्होंने बच्चों को मांसाहारी भोजन परोसने के जोखिम की ओर भी इशारा किया और कहा कि यह सभी के लिए समान रूप से अच्छा नहीं हो सकता.

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