16.1 C
Ranchi
Saturday, February 22, 2025 | 03:24 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Karnataka: कर्नाटक HC ने कहा, सार्वजनिक स्थान पर हो बदसलूकी, तभी लागू होगा SC-ST एक्ट

Advertisement

Karnataka: कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थान पर जातिसूचक दुर्व्यवहार होने की स्थिति में ही एससी/एसटी अधिनियम लागू होगा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Karnataka: कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अपराधों के लिए जातिसूचक दुर्व्यवहार सार्वजनिक स्थान पर होना चाहिए. कोर्ट ने एक शख्स के खिलाफ लंबित मामले को खारिज कर दिया. क्योंकि, यह पाया गया कि कथित दुर्व्यवहार एक इमारत के तहखाने में किया गया था, जहां सिर्फ पीड़ित और उसके सहकर्मी ही मौजूद थे.

जानें पूरा मामला

यह कथित घटना वर्ष 2020 में हुई थी. जानकारी के मुताबिक, रितेश पायस ने एक इमारत के तहखाने में मोहन को जातिसूचक गाली दी, जहां वह अन्य लोगों के साथ काम करता था. सभी कर्मियों को भवन मालिक जयकुमार आर नायर ने काम पर रखा था. न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने 10 जून को अपने फैसले में कहा कि उपरोक्त बयानों को पढ़ने से दो कारक सामने आएंगे. एक यह है कि इमारत का तहखाना सार्वजनिक स्थल नहीं था और दूसरा अन्य व्यक्ति जो वहां मौजूद होने का दावा करते हैं, वे केवल शिकायतकर्ता और जयकुमार आर नायर के अन्य कर्मचारी या शिकायतकर्ता के मित्र थे.

सार्वजनिक रूप से नहीं कहे गए अपशब्द

हाई कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट रूप से सार्वजनिक स्थान पर या सार्वजनिक रूप से अपशब्द नहीं कहे गए, जो मौजूदा मामले में अधिनियम को लागू करने के लिये उपलब्ध नहीं हैं. अदालत ने कहा कि इसके अलावा मामले में अन्य कारक भी थे. आरोपी रितेश पायस का भवन मालिक जयकुमार नायर से विवाद था और उसने भवन निर्माण के खिलाफ स्थगन ले रखा था. अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि नायर पायस पर अपने कर्मचारी मोहन के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चला रहा था.

कोर्ट ने आरोपों को किया खारिज

अदालत ने कहा कि दोनों के बीच विवाद के मुद्दे को खारिज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह घटनाओं की श्रृंखला में एक स्पष्ट कड़ी को प्रदर्शित करता है. इसलिए, अपराध का पंजीकरण ही प्रामाणिकता की कमी से ग्रस्त है. मंगलुरु में सत्र न्यायालय में जहां मामला लंबित है, अत्याचार अधिनियम के अलावा, पायस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 के तहत भी आरोप लगाया गया है. हाई कोर्ट ने इन आरोपों को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आईपीसी की धारा 323 के तहत दंडनीय अपराध के लिए तकरार में चोट लगी होनी चाहिए.

साधारण खरोंच के निशान IPC की धारा के तहत अपराध नहीं

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में हालांकि, मोहन का घाव प्रमाण-पत्र हाथ के अगले हिस्से पर एक साधारण खरोंच का निशान और छाती पर एक और खरोंच का निशान दिखाता है. रक्तस्राव का संकेत नहीं है. इसलिए, साधारण खरोंच के निशान आईपीसी की धारा 323 के तहत अपराध नहीं हो सकते हैं.

Also Read: Delhi Pollution: केजरीवाल सरकार का बड़ा फैसला, 1 अक्टूबर से दिल्ली में मध्यम-भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक

Prabhat Khabar App: देश-दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, क्रिकेट की ताजा खबरे पढे यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए प्रभात खबर ऐप.

FOLLOW US ON SOCIAL MEDIA
Facebook
Twitter
Instagram
YOUTUBE

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें