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Judiciary: कॉलेजियम सिस्टम खत्म करने को लेकर आंदोलन करेगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा

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उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आरक्षण में उप वर्गीकरण जायज है. क्रीमी लेयर के मापदंड को सभी वर्ग के लिए खत्म किया जाना चाहिए और उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए मौजूदा कॉलेजियम व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए ताकि सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके.

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Judiciary: राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने न्यायपालिका में कॉलेजियम की व्यवस्था खत्म करने के लिए आंदोलन करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम को सरकार और संसद तक नकार चुकी है, लेकिन अदालत ने इस मामले को खारिज कर कॉलेजियम सिस्टम को बरकरार है. इससे आमतौर पर जो लोग प्रभावशाली होते हैं, उन्हें ही न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया जाता है. इस सिस्टम के तहत दलित और पिछड़ी जातियों के उम्मीदवारों को जगह नहीं मिलती है. उन्होंने राष्ट्रीय नियुक्ति आयोग(एनजेएसी) का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान की रक्षा करने का जिनके उपर दायित्व है, वहीं लोग संसद द्वारा पारित कानून को रद्द कर इस तरह की व्यवस्था को जारी रखने के हिमायती हैं. कुशवाहा ने कहा कि न्यायाधीशों की चुनने की प्रक्रिया अपने उत्तराधिकारी चुनने के समान है. इस मुद्दे को उनकी पार्टी शुरू से उठा रही है और इस मुद्दे को वह फिर से सड़क से संसद तक ले उठाने का काम करेगी.

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न्यायपालिका में भी यूपीएससी की तरह लागू हो व्यवस्था


कुशवाहा ने कहा कि यूपीएससी में आरक्षण की व्यवस्था है. गरीब छात्र भी चुनकर जाते हैं, लेकिन यूपीएससी के ट्रेनिंग के जो तय मापदंड है, उस पर उन्हें खरा उतरना होता है. इस व्यवस्था में जो छात्र उस परीक्षा के योग्य होते हैं, वहीं चुनकर आते हैं. इसलिए जरूरत इस बात की है कि न्यायपालिका में जो वर्तमान व्यवस्था है उसे खत्म किया जाये. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे खारिज करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारा काम न्यायपालिका पर जनमत के द्वारा दबाव बनाना है, जिससे इस तरह की व्यवस्था को खत्म किया जा सके. गौरतलब है कि नेशनल ज्यूडिशियल काउंसिल कानून को सरकार ने 2014 में लागू किया था. यह अधिनियम न्यायिक नियुक्तियों को लेकर जिम्मेदार था और इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई), सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीश, कानून मंत्री और दो अन्य प्रमुख व्यक्ति शामिल थे, जिन्हें सीजेआई, प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता द्वारा नामित किया गया था. हालांकि, अक्टूबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए कॉलेजियम व्यवस्था को बरकरार रखा. 

आरक्षण के लाभ से वंचित तबके को मिलना चाहिए फायदा

आरक्षण में जिन जातियों को कम लाभ मिल रहा है, उसे भी लाभ मिलने से संबंधित सवाल के जवाब में कुशवाहा ने कहा कि इसमें गलत क्या है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राज्य यह देखें कि आरक्षण में कोई वर्ग छूटे नहीं, आरक्षण का लाभ जिन जातियों को नहीं मिल रहा है, उसकी समीक्षा होनी चाहिए. लेकिन क्रीमी लेयर की व्यवस्था दलित, आदिवासी ही नहीं पिछड़े वर्ग के आरक्षण में भी नहीं होना चाहिए. जाति जनगणना के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह होना चाहिये. बिहार में सभी दल तैयार है. जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर मिलने आये थे, तो उसमें भाजपा के नेता भी शामिल थे. 

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पूरे बिहार में सदस्यता अभियान चलायेगी और आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए को हर सीट पर जीत सुनिश्चित करने का काम करेगी. आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरा कौन होगा, से संबंधित एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में चेहरा होंगे. विधानसभा में सीट शेयरिंग पर कुशवाहा ने कहा कि लोकसभा चुनाव से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव का समीकरण अलग होता है. लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी कम सीटों पर चुनाव लड़ी और उसका नुकसान उठाना पड़ा.यह पुरानी बात हो चुकी है, आगे इसे करेक्ट कर लिया जायेगा.

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