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इंसानियत जिंदाबाद, कोरोना काल में हिंदू डाॅक्टर ने मुसलमान मरीज के लिए पढ़ा ‘कलमा’, हो रही तारीफ

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इकाॅनाॅमिक्स टाइम्स में छपी खबर के अनुसार डाॅक्टर ने बताया कि मैंने ऐसा कुछ करने का नहीं सोचा था. पता नहीं मैंने कैसे अचानक यह किया. मैं दुबई में पैदा हुई थी और वहीं पली-बढ़ी थी इसलिए मैं मुसलमानों के रीति-रिवाज जानती हूं. लेकिन यह कोई धार्मिक कृत्य नहीं बल्कि यह मानवता का धर्म था, जो मैंने किया.

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इंसानियत से ऊपर कोई धर्म नहीं और यह बात साबित हुई है कोरोना काल में, जब लोगों ने धर्म से ऊपर उठकर भी एक दूसरे की मदद की है और लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने की कोशिश की है. कुछ ऐसी ही कोशिश एक डाॅक्टर ने अपनी मरीज के लिए की, जो अपने जीवन की अंतिम सांसें गिन रहीं थीं, उस वक्त डाॅक्टर जो कि हिंदू थी उसने उसके कानों में कलमा पढ़कर सुनाया.यह घटना केरल के कोझिकोड की है. कोरोना काल में डाॅक्टरों ने अपने मरीजों की दिन-रात सेवा की है और उनकी जान बचाने की कोशिश की है. मानवता की ऐसी सेवा करने वालों की लिस्ट में डाॅ रेखा कृष्णा का नाम भी जुड़ गया है.

डाॅ रेखा कृष्णा की परवरिश दुबई में हुई है इसलिए वे मुस्लिम रीति-रिवाजों से परिचित थीं. डाॅ रेखा की मरीज मुस्लिम थी और दो सप्ताह से वेंटिलेटर थी . 17 मई को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी तब उनके रिश्तेदारों को सूचित किया गया. डाॅक्टर जब वहां पहुंची तो उन्हें ऐसा लगा कि अंतिम सांसें लेने में मरीज को दिक्कत हो रही है, तब डाॅक्टर ने उनकी कानों में कलमा पढ़ा (मुसलमानों की प्रार्थना), जिसके बाद मरीज ने कुछ गहरी सांस ली और फिर इस दुनिया से विदा हो गयी. डाॅक्टर रेखा ने यह घटना अपने एक दोस्त को बतायी थी, जिसने इसे सोशल मीडिया में शेयर किया था.

इकाॅनाॅमिक्स टाइम्स में छपी खबर के अनुसार डाॅक्टर ने बताया कि मैंने ऐसा कुछ करने का नहीं सोचा था. पता नहीं मैंने कैसे अचानक यह किया. मैं दुबई में पैदा हुई थी और वहीं पली-बढ़ी थी इसलिए मैं मुसलमानों के रीति-रिवाज जानती हूं. लेकिन यह कोई धार्मिक कृत्य नहीं बल्कि यह मानवता का धर्म था, जो मैंने किया.

Also Read: माफी मांगें बाबा रामदेव, आपके बयान से कोरोना वाॅरियर्स का अपमान हुआ और भावनाओं को ठेस पहुंची, डाॅ हर्षवर्धन ने पत्र लिखकर गुरू को लगायी फटकार

Posted By : Rajneesh Anand

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