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Hemant Soren: की अंतरिम राहत की मांग पर बुधवार को भी शीर्ष अदालत करेगा सुनवाई

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Hemant soren: जमीन घोटाले मामले में जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव को देखते हुए केजरीवाल की तरह अंतरिम राहत की मांग को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की है. लेकिन फिलहाल उन्हें राहत मिलती नहीं दिख रही है.

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Hemant Soren: चुनाव प्रचार के लिए केजरीवाल की तरह अंतरिम जमानत की मांग वाली हेमंत सोरेन की याचिका पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इंकार कर दिया. इस मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी. सोरेन ने जमीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय के गिरफ्तारी को चुनौती दी है. मंगलवार को सोरेन की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि इस मामले में विशेष अदालत जांच एजेंसी के आरोप पत्र पर संज्ञान ले चुका है और जमानत की याचिका भी खारिज कर चुका है. ऐसे में क्या गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती दी जा सकती है. न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने सोरेन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई बुधवार को की जाएगी. सुनवाई के दौरान सोरेन की ओर से इस बात पर जोर दिया गया कि जमीन का मामला प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट का मामला नहीं है और ऐसे में प्रवर्तन निदेशालय को सोरेन को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है.

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 सोरेन की ओर से वरिष्ठ वकील सिब्बल ने पेश की दलील

सुनवाई के दौरान सोरेन की ओर से वरिष्ठ वकील वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जिस जमीन की बात हो रही है वह 8.86 एकड़ भूमि है और छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत इस भूमि का हस्तांतरण नहीं किया जा सकता है. यही नहीं इस जमीन से सोरेन का कोई लेना-देना नहीं है. सिब्बल ने कहा कि जांच एजेंसी का आरोप है कि वर्ष 2009-10 के दौरान सोरेन ने जबरन इस भूमि को कब्जाने की कोशिश की. इसकी शिकायत अप्रैल 2023 में की गयी, जबकि 2009-10 से लेकर 2023 तक किसी ने शिकायत दर्ज नहीं करायी. इस जमीन पर खेती करने वाले के नाम पर बिजली का कनेक्शन है. उन्होंने कहा कि जमीन का मामला सिविल से जुड़ा है और प्रवर्तन निदेशालय इसकी जांच नहीं कर सकता है. जांच एजेंसी का कहना है कि अगर वह इस मामले में दखल नहीं देते तो जमीन पर मालिकाना हक सोरेन का होता. आखिर जांच एजेंसी यह बात कैसे कह सकती है.

 सोरेन का मामला केजरीवाल से अलग

सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि कई आधार पर सोरेन का मामला अरविंद केजरीवाल के मामले से अलग है. चुनाव की घोषणा से काफी पहले 31 जनवरी 2023 को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गया. विशेष अदालत आरोपपत्र पर संज्ञान ले चुकी है और इससे जाहिर होता है कि विशेष अदालत ने माना है कि प्रथम दृष्यता सोरेन के खिलाफ मामला बनता है. विशेष अदालत प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 45 के तहत सोरेन की रेगुलर जमानत याचिका को खारिज कर चुका है. राजू ने कहा कि अगर चुनाव के आधार पर सोरेन को अंतरिम जमानत दी जाती है तो जेल में बंद कई राजनेताओं को अंतरिम राहत देनी होगी. सोरेन गिरफ्तारी को चुनौती देने के साथ ही अंतरिम जमानत की मांग कर रहे हैं. 

पीठ ने क्या कहा


न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने कहा कि विशेष अदालत आरोपपत्र पर संज्ञान ले चुकी है और प्रथम दृष्टया आरोप को सही माना है. लेकिन आपका तर्क है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी अवैध है क्योंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. लेकिन जब विशेष अदालत आरोपपत्र का संज्ञान ले चुकी है तो सबूत नहीं होने की बात बेमानी हो जाती है. न्यायाधीश दत्ता ने कहा कि प्रबीर पुरकायस्थ मामले में शीर्ष अदालत ने गिरफ्तारी का कारण नहीं बताने के कारण इसे अवैध करार दिया. जबकि सोरेन के मामले में ऐसा नहीं है. सोरेन ने विशेष अदालत के फैसले को चुनौती नहीं दी, ऐसे में शीर्ष अदालत इस मामले में दखल नहीं दे सकती है. सिब्बल ने कहा कि जमीन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय को जांच का अधिकार नहीं है. ऐसे में यह गिरफ्तारी अवैध है. 

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