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Hathras Case: पुलिस ने पता नहीं किसका शव जलाया, न्याय मिलने के बाद ही करेंगे अस्थि विसर्जन, पीड़िता के परिवार ने हाईकोर्ट में कहा

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Hathras Case Allahabad High Court लखनऊ : हाथरस मामले (Hathras Case) में पीड़िता के परिवार इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के लखनऊ बेंच के समक्ष पेश होने के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच हाथरस लौट गये हैं. परिवार ने कोर्ट को बताया कि बिना उन्हें जानकारी दिये पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. परिवार ने कहा कि पुलिस ने किसका अंतिम संस्कार किया, यह भी नहीं पता. परिवार ने न्याय की गुहार लगायी और कहा कि जब तक न्याय नहीं मिल जाता पीड़िता के अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे.

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Hathras Case Allahabad High Court लखनऊ : हाथरस मामले (Hathras Case) में पीड़िता के परिवार इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के लखनऊ बेंच के समक्ष पेश होने के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच हाथरस लौट गये हैं. परिवार ने कोर्ट को बताया कि बिना उन्हें जानकारी दिये पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. परिवार ने कहा कि पुलिस ने किसका अंतिम संस्कार किया, यह भी नहीं पता. परिवार ने न्याय की गुहार लगायी और कहा कि जब तक न्याय नहीं मिल जाता पीड़िता के अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे.

यूपी का चर्चित हाथरस कांड के संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने सोमवार को पीड़िता के परिवार को बयान दर्ज करवाने के लिए लखनऊ बेंच के सामने पेश होने को कहा था. साथ ही सरकार को भी अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया था. यूपी पुलिस कड़ी सुरक्षा के बीच परिवार के सदस्यों को हाथरस से लखनऊ ले गयी थी, उसके बाद देर रात परिवार को हाथरस भी पहुंचा दिया गया. कोर्ट ने परिवार के बयान के बाद यूपी पुलिस को जमकर फटकार लगायी. कोर्ट ने कहा कि अगर आपकी बेटी होती तो आखिरी बार उसका चेहरा देखे बिना अंतिम संस्कार करने देते.

अदालत ने प्रकरण की अगली सुनवाई के लिए दो नवंबर की तारीख तय की है. न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की पीठ ने दोपहर बाद मामले की सुनवाई शुरू की. इस दौरान पीड़ित परिवार अदालत में मौजूद रहा. इसके अलावा, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, पुलिस महानिदेशक एच.सी.अवस्थी, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार के साथ-साथ हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण लक्षकार और पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल भी अदालत में हाजिर हुए.

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रात में क्यों किया गया अंतिम संस्कार 

रात में ही शव जलाने के प्रश्न पर जिलाधिकारी लक्षकार ने अदालत से कहा कि कथित बलात्कार पीड़िता के शव का रात में अंतिम संस्कार करने का फैसला कानून और व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर किया गया था और ऐसा करने के लिए जिला प्रशासन पर प्रदेश शासन का कोई दबाव नहीं था. राज्य सरकार का पक्ष रख रहे अपर महाधिवक्ता वी के साही ने दलील देते हुए कहा कि जिला प्रशासन ने बिल्कुल सही तरीके से काम किया.

पीड़िता के परिवार ने रखी तीन मांग

हाईकोर्ट में पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने अदालत के बाहर संवाददाताओं को बताया कि परिवार की तीन मांगें हैं. पहली, परिवार को सुरक्षा मिले, दूसरी, मामले की दिल्ली या मुंबई में सुनवाई की जाए और तीसरी, जो भी जांच चले उसे सार्वजनिक न किया जाए. सीमा ने बताया कि अदालत ने परिवार के हर सदस्य से बात की और उनसे पूछा कि आखिर उनके साथ और उनकी बेटी के साथ क्या हुआ था? अदालत ने जब लड़की के अंतिम संस्कार के बारे में पूछा तो परिजन ने अपनी बात रखी.

कोर्ट ने क्या कहा

पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने बताया कि अदालत ने सरकार से पूछा कि उसने अंतिम संस्कार करने में इतनी जल्दबाजी क्यों की? इस पर सरकार ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता को कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी. सीमा ने कहा ‘हमारे पास सुबूत है कि उस वक्त मौके पर 50-60 ही ग्रामीण थे, जबकि पुलिसकर्मियों की संख्या 300-400 थी. क्या इतने पुलिसकर्मी 50 लोगों को नहीं संभाल सकते थे? जिले की सारी सीमाएं सील थीं, तब कानून-व्यवस्था को आखिर कैसे खतरा था? मगर इसके बावजूद प्रशासन ने बुरी नीयत से लड़की का अंतिम संस्कार करवा दिया.

क्या था पूरा मामला

गौरतलब है कि गत 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र में 19 साल की एक दलित लड़की से अगड़ी जाति के चार युवकों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था. इस घटना के बाद हालत खराब होने पर उसे अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था जहां गत 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई थी.

Posted By: Amlesh Nandan.

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