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दिल्ली का भारत मंडपम अभी दुनिया का सबसे शक्तिशाली भवन बना हुआ है. जी-20 की अध्यक्षता भारत के पास है और इसकी सबसे अहम बैठक दिल्ली के भारत मंडपम में हो रही है. तो आइए जानते है इस भवन की खासियत और इतिहास. भारत मंडपम एक नया सम्मेलन परिसर है जो भारत को वैश्विक व्यापार गंतव्य के रूप में प्रदर्शित और बढ़ावा देने में मदद करेगा. भारत मंडपम का नाम भगवान बसवेश्वर के अनुभव मंडपम के विचार से लिया गया है, जो एक सार्वजनिक समारोहों के लिए एक मंडप था. भारत मंडपम परिसर को भारत का सबसे बड़ा MICE (सम्मेलन, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनी) गंतव्य के रूप में विकसित किया गया है.
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प्रगति मैदान के भारत मंडपम में अष्टधातु से बनी नटराज की मूर्ति स्थापित है. यह 27 फीट ऊंची और 18 टन वजनी है. अष्टधातु से बनी यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है. इसे तमिलनाडु के स्वामी मलाई के प्रसिद्ध मूर्तिकार राधाकृष्णन और उनकी टीम ने रिकॉर्ड 7 महीने में तैयार किया है. चोल साम्राज्य काल से ही राधाकृष्णन की 34 पीढ़ियाँ मूर्तियां बना रही हैं. ब्रह्मांडीय ऊर्जा, रचनात्मकता और शक्ति का महत्वपूर्ण प्रतीक नटराज की यह प्रतिमा जी20 शिखर सम्मेलन में आकर्षण बनने जा रही है. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने सोशल मीडिया पर (एक्स) पोस्ट के जरिये यह जानकारी दी है.
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वहीं, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा एक्स पर साझा एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत मंडपम में भव्य नटराज प्रतिमा हमारे समृद्ध इतिहास और संस्कृति के पहलुओं को जीवंत करती है. जैसे ही दुनिया जी20 शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित होगी, यह भारत की सदियों पुरानी कलात्मकता और परंपराओं के प्रमाण के रूप में खड़ा होगा.”
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परिसर में 1,00,000 वर्ग मीटर का एक प्रदर्शनी क्षेत्र, 2,00,000 वर्ग मीटर का एक सम्मेलन क्षेत्र, 3,000 लोगों के लिए एक ऑडिटोरियम, 500 लोगों के लिए एक सेमिनार हॉल, 100 लोगों के लिए कई कार्यशाला हॉल, एक प्रदर्शनी हॉल और कई अन्य सुविधाएं शामिल हैं. भारत मंडपम का डिजाइन शांक (शंख) से प्रेरित है. केंद्र के विभिन्न दीवारों और मुखौटे भारत की पारंपरिक कला और संस्कृति के कई तत्वों को दर्शाते हैं, जिनमें “सूर्य शक्ति”, “शून्य से इसरो” और पंच महाभूत शामिल हैं. सूर्य शक्ति भारत की सौर ऊर्जा के प्रयासों को उजागर करती है.
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विश्व नेताओं के लिए दो दिनों का कार्यक्रम स्थल 123 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. मंडपम को भारत के सबसे बड़े एमआईसीई (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां) गंतव्य के रूप में विकसित किया गया है. आयोजनों के लिए उपलब्ध कवर किए गए स्थान के संबंध में, इस परिसर को विश्व स्तर पर शीर्ष प्रदर्शनी और सम्मेलन परिसरों के रूप में भी स्थान दिया गया है. इसे भव्य अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों, सम्मेलनों, सम्मेलनों आदि की मेजबानी के लिए डिज़ाइन किया गया है.
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इसका बहुउद्देश्यीय हॉल और प्लेनरी हॉल सात हजार उपस्थित लोगों को समायोजित कर सकता है, जो इसे क्षमता के मामले में ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध सिडनी ओपेरा हाउस से बड़ा बनाता है. इसके एम्फीथिएटर में 3,000 व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है और यह इसकी बहुमुखी प्रतिभा और भव्यता को बढ़ाता है. इसका नाम ‘भारत मंडपम’ भगवान बसवेश्वर की अनुभव मंडपम की अवधारणा से प्रेरणा लेता है. भव्य परिसर जनता के लिए भी खुला रहेगा और राष्ट्र की प्रगति की आकांक्षा के समर्थन में व्यापक सुविधाएं प्रदान करेगा.