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Farm Bills 2020: किसानों के लिए MSP का क्या है महत्व, क्यों इसको लेकर सड़कों पर हैं किसान

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Farm Bills 2020: कृषि संबंधी विधेयकों को सबसे ज्यादा विरोध न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP- Minimum Support Price) को लेकर हो रहा है. किसानों और विपक्षी पार्टियों को सरकार पर आरोप है कि इन बिल से एमएसपी खत्म हो जायेगा.

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मोदी सरकार (Modi Government) ने खेती-किसानी के क्षेत्र में सुधार के लिए तीन विधेयक लाई है. कृषि संबंधी विधेयकों (Farm Bills 2020) को सदन के दोनों सदनों से पास करा लिया है. संसद के उच्च सदन राज्यसभा में रविवार को कृषि संबंधी विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया. किसान नेताओं में सरकार के इस बिल के खिलाफ काफी गुस्सा है.पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में कृषि से जुड़े विधेयकों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. कृषि संबंधी विधेयकों को सबसे ज्यादा विरोध न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP- Minimum Support Price) को लेकर हो रहा है. किसानों और विपक्षी पार्टियों को सरकार पर आरोप है कि इन बिल से एमएसपी खत्म हो जायेगा. आइये जानते हैं न्यूनतम समर्थन मूल्य ((MSP) के बारें में ….

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क्या है MSP

सरकार द्वारा किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए जो मूल्य निर्धारित की जाती है उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कहते हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य का मुख्य उद्देश्य किसानों को बिचौलियों के शोषण से बचाकर उनकी उपज का अच्छा मूल्य प्रदान करना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिये अनाज की खरीद करना है. बता दें कि MSP किसानों के लिए एक बहुत बड़ा सहारा है, यदि किसी फसल का ज्यादा उत्पादन हो जाने से और बाजार में उसकी अधिकता होने के कारण उसकी कीमत कम हो जाती है तो ऐसे में सरकारी एजेंसियां किसानों की अधिकांश फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लेती हैं. जिससे किसान किसी नुकसान से बच जाते है.

MSP के फायदें

बता दें कि आजादी के बाद देश जब अपने पैरों पर खड़ा हो रहा था , तब उसके सामने बहुत सारी समस्यायें थीं. 1950 और 1960 के दशक में किसानों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. उस समय यदि किसी फसल का बम्पर उत्पादन होता था, तो उन्हें उसकी अच्छी कीमतें नहीं मिल पाती थी. इस स्थिति में सुधार के लिए वर्ष 1957 में केंद्र सरकार ने खाद्य-अन्न जांच समिति (Food-grains Enquiry committee) का गठन किया और इस समिति ने अनाजों की कीमत तय करने के बारे में सुझाव दिये. 1966-67 में पहली बार गेहूं और धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया गया. MSP का सबसे बड़ा फायदा ये है कि यदि किसी फसल का ज्यादा उत्पादन हो जाने से और बाजार में उसकी अधिकता होने के कारण उसकी कीमत कम हो जाती है तो ऐसे में सरकारी एजेंसियां किसानों की अधिकांश फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लेती हैं. जिससे किसान किसी नुकसान से बच जाते है.

एमएसपी पर मचा है हंगामा 

मोदी सरकार के नए कृषि बिल का किसानों बड़ी संख्या में विरोध कर रहे हैं. पंजाब और हरियाणा के किसान सड़कों पर हैं. सरकार की सहयोगी पार्टी आकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने इस मुद्दे से केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा भी दे दिया है. सदन में पास कराए गए बिल में से जो सबसे ज्यादा किसानों के लिए चिंता की बात है वो है एमएसपी. किसानों को इस बात का डर है कि नए दो कानून आने के बाद एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो जाएगी. हालांकि पीएम मोदी समेत सरकार से जुड़े तमाम लोगों का यह का कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा.

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