21.2 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 06:19 pm
21.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित सुप्रसिद्ध कवि और लेखक मंगलेश डबराल का कोरोना से निधन

Advertisement

मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral) यानी समकालीन हिंदी साहित्य का सबसे प्रसिद्ध नाम जो अब हमारे बीच नहीं है. कोरोना वायरस के संक्रमण से आज उनका निधन हो गया. वे पिछले कुछ दिनों से एम्स दिल्ली में भरती थे. आज शाम उनके निधन की सूचना आयी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयी दिल्ली : मंगलेश डबराल यानी समकालीन हिंदी साहित्य का सबसे प्रसिद्ध नाम जो अब हमारे बीच नहीं है. कोरोना वायरस के संक्रमण से आज उनका निधन हो गया. वे पिछले कुछ दिनों से एम्स दिल्ली में भरती थे. आज शाम उनके निधन की सूचना आयी.

- Advertisement -

मंगलेश डबराल उत्तराखंड के रहने वाले थे उनकी आयु 72 साल की थी. समकालीन हिंदी कवियों में उन्होंने सबसे ज्यादा ख्याति पायी. उन्होंने देहरादून से शिक्षा पायी थी. उन्होंने कई साहित्यिक पत्रिका में अपना योगदान दिया.

मंगलेश डबराल के पांच काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं. पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु. वर्ष 2000 में इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इनकी कविताओं का अंग्रेजी, रुसी, जर्मन सहित विश्व की कई भाषाओं में अनुवाद हुआ था. उनके निधन से हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर है. सभी अपनी-अपनी संवेदना और यादें साझा कर रहे हैं.

रांची के प्रसिद्ध साहित्यकार अशोक प्रियदर्शी ने उनके निधन पर कहा-नयी कविता का स्तंभ गिर गया. डबराल जी बहुत ही सहज व्यक्ति थे. उनके निधन की खबर बहुत ही दुखद है. जाने वाले की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता. निकट भविष में हिंदी कविता में उनके जैसा सूक्ष्म दृष्टि वाला कवि होना मुश्किल है. वे बहुत ही सहज और सरल थे. रांची में आयोजित कवि सम्मेलन में वे आये थे, उनकी छवि आंखों में तैर गयी है. बहुत ही दुखद उनका जाना

साहित्यकार रणेंद्र ने कहा कि मैंने अपना अग्रज खो दिया. यह हिंदी साहित्य की क्षति तो है ही मेरी व्यक्तिगत क्षति भी है. मैंने और मेरी पीढ़ी के लोगों ने जिन साहित्यकारों और कवियों से बहुत कुछ सीखा था वे धीरे-धीरे इस संसार से जा रहे हैं. वे हमारे दीप स्तंभ थे. मैंने अपने उपन्यास गूँगी रुलाई का कोरस की पांडुलिपि उन्हें भेजी थी, व्यस्त होने के बावजूद उन्होंने मुझे उसमें सुधार करवाया था. वे बहुत ही सहज और सूक्ष्म दृष्टि के कवि साहित्यकार थे.

Posted By : Rajneesh Anand

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें