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Explainer : मिजोरम से क्यों भाग रहे हैं मैतेई समुदाय के लोग ? जानें पूरा मामला

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पड़ोसी राज्य मणिपुर में ताजा अशांति के बीच मिजोरम में मैतेई लोगों के बीच बेचैनी फैलने की खबरों के बीच, मिजोरम सरकार ने मेइती लोगों को आश्वासन दिया है कि वे राज्य में सुरक्षित हैं.

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Manipur Violence : पड़ोसी राज्य मणिपुर में ताजा अशांति के बीच मिजोरम में मैतेई लोगों के बीच बेचैनी फैलने की खबरों के बीच, मिजोरम सरकार ने मैतेई लोगों को आश्वासन दिया है कि वे राज्य में सुरक्षित हैं. जैसा कि विपक्ष ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की, कपिल सिब्बल ने रविवार को मिजोरम की स्थिति पर ध्यान आकर्षित किया और कहा कि सरकार के आश्वासन के बावजूद, कई मेइती हवाई या सड़क मार्ग से राज्य छोड़ रहे हैं. सिब्बल ने ट्वीट किया, “हमें एक संवेदनशील सक्रिय सरकार की जरूरत है. प्रतिक्रियाशील सरकार की नहीं. अन्य राज्यों का हवाला देकर बहस को गंदा करने से मदद नहीं मिलेगी.”

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मिजोरम में क्या हो रहा है?

पूर्व उग्रवादियों के एक संगठन ने शुक्रवार को मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच मिजोरम में रहने वाले मैतेई लोगों से ‘सावधानी’ बरतने को कहा. PAMRA (पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज़ एसोसिएशन) द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि “मणिपुर में उपद्रवियों द्वारा किए गए बर्बर और जघन्य कृत्य के मद्देनजर” मणिपुर के मैतेई लोगों के लिए मिजोरम में रहना अब सुरक्षित नहीं है. इस चेतावनी के कारण मिजोरम से मैतेई समुदाय के लोगों का पलायन शुरू हो गया क्योंकि कम से कम 69 मैतेई लोगों ने आइजोल के लेंगपुई हवाई अड्डे से इम्फाल के लिए उड़ान भरी.

41 लोग मिजोरम से असम पहुंचे

मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाए जाने की घटना को लेकर पूर्व उग्रवादियों के एक समूह की धमकी के बाद मैतेई समुदाय के 41 लोग मिजोरम से असम पहुंचे. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मणिपुर की घटना का वीडियो प्रसारित होने के बाद पूर्व उग्रवादियों के एक समूह ने मैतेई समुदाय के लोगों को राज्य छोड़ने के लिए कहा था.

मिजोरम से सिलचर पहुंचे कई लोग

कछार के पुलिस अधीक्षक नुमल महत्ता ने बताया कि ये लोग शनिवार रात पड़ोसी राज्य मिजोरम से सिलचर पहुंचे और उन्हें बिन्नाकांडी क्षेत्र में लखीपुर विकास खंड में एक इमारत में रखा गया है. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘ये सभी संपन्न परिवार हैं और अपने-अपने वाहनों से आए हैं. इनमें से कुछ कॉलेज के प्रोफेसर हैं, जबकि कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के रूप में काम करते हैं. उन्होंने बताया है कि मिजोरम में फिलहाल कोई हमला नहीं हुआ है.’

मिजोरम सरकार उन्हें सभी सुरक्षा प्रदान कर रही

उन्होंने कहा कि मिजोरम सरकार उन्हें सभी सुरक्षा प्रदान कर रही है, लेकिन वे खुद कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और अपनी सुरक्षा के लिए असम आए हैं. पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘वे कह रहे हैं कि स्थिति सामान्य होने तक वे यहीं रहेंगे.’ उन्होंने कहा कि असम पुलिस उन्हें सुरक्षा मुहैया करा रही है. मेइती, कुकी और हमार समुदायों के हजारों लोग मणिपुर से चले गये हैं और तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से असम में रह रहे हैं.

मेइती समुदाय को सुरक्षा का आश्वासन

मिजोरम सरकार ने शनिवार को राज्य में रहने वाले मैतेई समुदाय को सुरक्षा का आश्वासन दिया था और उनसे अफवाहों पर ध्यान न देने को कहा था. तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के कुछ दिन बाद 15 मई को मणिपुर के इंफाल पूर्वी जिले में 18 वर्षीय एक लड़की पर हमला किया गया और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया.

पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने ट्विटर पर दावा किया

मीडिया के एक वर्ग में छपी एक खबर का हवाला देते हुए, पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने ट्विटर पर दावा किया, ‘मणिपुर के लिए त्रासदी खत्म नहीं होती है!’ तृणमूल कांग्रेस ने ट्वीट किया, ‘महिलाओं के एक समूह ने 18 वर्षीय एक लड़की को चार हथियारबंद लोगों को सौंप दिया. बाद में 15 मई को मणिपुर के इंफाल पूर्व में उसके साथ मारपीट की गई और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. यदि इस तरह के क्रूर मामले एक महीने से अधिक समय के बाद लोगों के सामने आ रहे हैं, तो जो घटनाएं अभी भी छिपी हुई है, वे कितनी भयानक होंगी.’

मणिपुर में हुई ‘शर्मनाक’ घटना पर कोई राजनीति नहीं

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि मणिपुर में हुई ‘शर्मनाक’ घटना पर कोई राजनीति नहीं की जानी चाहिए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान से इस मुद्दे पर सरकार का रुख साफ हो गया है. उन्होंने विपक्षी दलों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार से जुड़ी किसी भी चीज में खामी खोजने के अपने ‘‘एकमात्र एजेंडे’’ को छोड़ने को कहा.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी कटाक्ष

उन्होंने 1999 के पुलवामा आतंकवादी हमले पर कथित टिप्पणी को लेकर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी कटाक्ष किया. उन्होंने कहा, ‘‘घटना पर पाकिस्तानी रुख पर चलने वाले नेता जनता के बीच अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहे हैं जो वास्तविकता जानते हैं.’’

घटना से पूरे देश का सिर शर्म से झुक गया

सिंह ने यहां एक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से कहा, ‘‘संसद के मानसून सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस घटना से पूरे देश का सिर शर्म से झुक गया है और किसी भी दोषी को नहीं छोड़ा जायेगा. प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद इसे (मणिपुर घटना) लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के बयान से इस मुद्दे पर सरकार का रुख साफ हो गया है.

आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान हिंसा भड़की

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडेरिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं. राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

विपक्ष के द्वारा हमेशा चुनिंदा घटनाओं की निंदा

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री सिंह ने आरोप लगाया कि विपक्ष हमेशा हत्याओं और मानवाधिकार उल्लंघन की चुनिंदा घटनाओं की निंदा करता है. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी विपक्षी दलों ने हमेशा नरेन्द्र मोदी सरकार से संबंधित किसी भी चीज में खामी खोजने के ही एजेंडे को अपनाया है.’’

उनके हाथ मिलाने का मतलब कि वे कमजोर महसूस कर रहे

अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों के एकजुटता के प्रयासों पर सिंह ने कहा कि उनके हाथ मिलाने का मतलब है कि वे कमजोर महसूस कर रहे हैं और यह पता लगाने के लिए एक साथ आ रहे हैं कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना कैसे किया जाये.

मणिपुर में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के कथित तौर पर विफल रहने को लेकर रविवार को गुजरात के आदिवासी बहुल इलाकों में बंद रखा गया. जनजातीय बहुल 14 जिलों में से तापी, वलसाड, दाहोद, पंचमहाल, नर्मदा और छोटा उदयपुर में कई बाजार सुनसान नजर आए क्योंकि दुकानें बंद रहीं और विभिन्न संगठनों ने बंद के तहत धरना दिया.

विभिन्न आदिवासी संगठनों ने आज बंद का आह्वान किया था, जिसका विपक्षी दल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने समर्थन किया. आप के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक चैतर वसावा ने संवाददाताओं से कहा कि मणिपुर में हुई हिंसा ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. वसावा ने कहा, ‘‘गुजरात के 14 जिलों के कुल 52 तालुकों में बंद सफल रहा. किसानों और धार्मिक संगठनों समेत कई व्यापारिक संगठनों ने भी बंद का समर्थन किया. हमें उम्मीद है कि सरकार मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए कदम उठाएगी.’’

मणिपुर में तीन मई को जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. मणिपुर में एक समुदाय की दो महिलाओं को विरोधी समुदाय के लोगों के एक समूह द्वारा निर्वस्त्र कर घुमाने का एक वीडियो वायरल होने के बाद देश में व्यापक स्तर पर रोष जताया गया. यह घटना चार मई की है, जिसका वीडियो 19 जुलाई को सामने आया.

डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल हिंसाग्रस्त मणिपुर पहुंचीं

बता दें कि इससे पहले दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल रविवार को हिंसाग्रस्त मणिपुर पहुंचीं. हालांकि, इससे एक दिन पहले, मणिपुर सरकार ने उन्हें दौरे की अनुमति देने से कथित रूप से इनकार कर दिया था. मालीवाल ने रविवार सुबह कहा था कि वह पूर्व निर्धारित योजना के तहत पूर्वोत्तर राज्य का दौरा करेंगी. मालीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘अभी मणिपुर पहुंची हूं. मैंने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात के लिए समय मांगा है. मुझे उम्मीद है कि वह मेरा अनुरोध जल्द से जल्द स्वीकार कर लेंगे.’’

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