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प्रधानमंत्री करेंगे निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति? राज्यसभा में बिल पेश, केजरीवाल और कांग्रेस का हमला

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने हमेशा कहा है कि मौजूदा केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय के ऐसे किसी भी आदेश को पलट देगी जो उसे पसंद नहीं आएगा. उन्होंने कहा कि यह एक खतरनाक स्थिति है और इससे चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है.

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केंद्र सरकार ने गुरुवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल के विनियमन के लिए राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया. इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि भविष्य में निर्वाचन आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति द्वारा किया जाएगा जिसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे.

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अर्जुन राम मेघवाल ने बिल राज्यसभा में पेश किया

विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 को विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच सदन में पेश किया. विधेयक का यह प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के मार्च के फैसले के विपरीत है जिसमें कहा गया था कि समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रधान न्यायाधीश शामिल होने चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर क्या फैसला सुनाया था

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसका मकसद मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाना है. कोर्ट ने फैसला दिया था कि उनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी. न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में कहा था कि यह मानदंड तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि इस मुद्दे पर संसद में कोई कानून नहीं बन जाता.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते थे चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति

उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी.

अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार पर लगाया गंभीर आरोप

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने हमेशा कहा है कि मौजूदा केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय के ऐसे किसी भी आदेश को पलट देगी जो उसे पसंद नहीं आएगा. उन्होंने कहा कि यह एक खतरनाक स्थिति है और इससे चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है. केजरीवाल ने ट्वीट किया और लिखा, प्रस्तावित समिति में भारतीय जनता पार्टी के दो और कांग्रेस के एक सदस्य होंगे. उन्होंने कहा, जाहिर है कि जो निर्वाचन आयुक्त चुने जाएंगे, वह भाजपा के वफादार होंगे.

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कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने सरकार पर लगाया गंभीर आरोप

कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार पर संविधान पीठ के आदेश को शिथिल करने का आरोप लगाया. कांग्रेस नेता और लोकसभा में पार्टी के सचेतक मणिक्कम टैगोर ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह यह विधेयक लाकर निर्वाचन आयोग को नियंत्रित करना चाहते हैं. टैगोर ने ट्वीट किया, मोदी और शाह निर्वाचन आयोग को नियंत्रित करना चाहते हैं, जैसा वे अभी कर रहे हैं. कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा, यह पूरी तरह से अनुचित है…सरकार तटस्थता नहीं चाहती थी. वे चुनाव आयोग को एक सरकारी विभाग बनाना चाहते हैं…स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बात पूरी तरह से गायब हो जाएगी. हम ऐसा नहीं कर सकते. इस बिल को स्वीकार करें.

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब कैसे होगी

मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 के अनुसार मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी. विधेयक के अनुसार प्रधानमंत्री इस समिति के प्रमुख होंगे और समिति में लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री होंगे. यदि लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है तो सदन में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता को नेता प्रतिपक्ष माना जाएगा.

निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडे अगले साल करेंने रिटायर

मौजूदा निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडे अगले साल 14 फरवरी को 65 वर्ष की उम्र होने के बाद अवकाशग्रहण करेंगे. वह 2024 के लोकसभा चुनावों की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले अवकाशग्रहण करेंगे.

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