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Drugs: नये कानून और नियामक प्रक्रिया के कारण दवा के क्षेत्र में बढ़ा है रिसर्च

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डब्ल्यूएचओ के सहयोग से भारत में पहली बार अंतरराष्ट्रीय औषधि नियामक प्राधिकरण का सम्मेलन आयोजित हो रहा है, जिसमें 200 से अधिक देशों के नियामक प्राधिकरण, नीति निर्माता और स्वास्थ्य अधिकारी शिरकत कर रहे हैं.

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Drugs: सरकार ने फार्मा क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए नये कानून और नियामक प्रक्रिया को बेहतर बनाया है. इसके कारण देश में दवा के क्षेत्र में रिसर्च वैश्विक मानदंड के स्तर पर पहुंच गया है.सभी के लिए सुरक्षित और प्रभावी दवाइयां सुनिश्चित करने के सरकार काम कर रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने 19वें अंतर्राष्ट्रीय औषधि नियामक प्राधिकरण (आईसीडीआरए) के सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही. 

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यह कार्यक्रम विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से भारत में पहली बार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा 14 से 18 अक्टूबर तक आयोजित किया जा रहा है. इसमें 200 से अधिक देशों के नियामक प्राधिकरण, नीति निर्माता और स्वास्थ्य अधिकारी शिरकत कर रहे हैं. भारत में लागू किए गए नए नियमों और नियामक प्रक्रियाओं के कारण रिसर्च का स्तर वैश्विक मानदंड का पूरा कर रहा है. 


पुराने नियमों में किया गया है बदलाव

सरकार ने क्लिनिकल ट्रायल के लिए नए नियम को “न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल्स 2019 और मेडिकल डिवाइस रूल्स 2017 बनाया है. नये नियम वैश्विक मापदंड और अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के अनुसार है. इसके कारण रिसर्च को बढ़ावा मिला है. मेडिकल डिवाइस नियमों में जोखिम-आधारित वर्गीकरण, पंजीकरण के माध्यम से सभी उपकरणों को विनियमन के तहत लाया गया है. भारत, मेडिकल डिवाइस और डायग्नोस्टिक्स के क्षेत्र में नियामक आवश्यकताओं को सुसंगत बनाने के लिए आईएमडीआरएफ, आईएसओ, डब्ल्यूएचओ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और एसईएआरएन जैसे क्षेत्रीय नेटवर्क के साथ वैश्विक स्तर पर सहयोग कर रहा है. भारत को हाल ही में आईएमडीआरएफ के एक सदस्य के तौर पर मान्यता मिली है.

 
एआई स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बना रही है

इस मौके पर नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि नयी तकनीकों का उपयोग स्वास्थ्य सेवा को बेहतर करने में किया जाना चाहिए. गुणवत्तापूर्ण दवाइयां, मानव उत्पादकता के साथ-साथ स्वास्थ्य गुणवत्ता और जीवन शैली को बेहतर बनाती है. भारत के साथ-साथ दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाओं का भविष्य तकनीक द्वारा संचालित होगा. जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी शामिल है. कोरोना महामारी के दौरान इस्तेमाल के लिए उचित विनियामक प्रक्रिया के जरिये 8 वैक्सीन के निर्माण को मंजूरी दी गयी. भारत ने एमआरएनए, डीएनए, नाक के जरिए दिए जाने वाले वैक्सीन सहित कई वैक्सीन का विकास किया, जो दुनिया में उपलब्ध अन्य वैक्सीन की तुलना में काफी सस्ते थे.

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