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तिरंगे और अशोक चक्र वाला केक काटने पर मद्रास हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, पिछले 8 साल से चल रहा था केस

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Cutting Cake With Tricolour Indian Map Ashoka Chakra Design मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि तिरंगे और अशोक चक्र के डिजाइन वाला केक काटना न तो असंगत है और न ही राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 के तहत राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है. बता दें कि यह मामला 2013 से कोर्ट में चल रहा था.

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Cutting Cake With Tricolour Indian Map Ashoka Chakra Design मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि तिरंगे और अशोक चक्र के डिजाइन वाला केक काटना न तो असंगत है और न ही राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 के तहत राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है. बता दें कि यह मामला 2013 से कोर्ट में चल रहा था.

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सेंथिल कुमार ने क्रिसमस के अवसर पर तिरंगे वाला 6.5 फीट का केक काटने और 2500 से अधिक मेहमानों के बीच बांटने को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी. जिस कार्यक्रम में ये केक काटा गया था, उसमें कोयम्बटूर के जिला कलेक्टर, पुलिस उपायुक्त और विभिन्न अन्य धार्मिक नेताओं और गैर सरकारी संगठनों के सदस्य शामिल हुए थे. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. दरअसल, करीब 8 साल पहले देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव को आहात पहुंचाने के लिए तिरंगे के नक्शे के साथ केक काटने को अपमान बताया था. जिसे न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने सोमवार को खारिज करते हुए केस को समाप्त कर दिया.

जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने सुनवाई करते हुए कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में राष्ट्रवाद बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन, एक देशभक्त सिर्फ वहीं नहीं होता है, जो ध्वज को उठाता है. अपनी हाथ, कलाई या बांह में पहनता है. कोर्ट ने आगे कहा कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक देशभक्ति का पर्यायवाची नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे केक काटना कोई असंगत नहीं है. कोर्ट ने आगे कहा कि जिस कार्यक्रम में केक काटा गया था, उसमें शामिल किसी भी लोग ने किसी भी तरह से राष्ट्रवाद का अपमान नहीं किया. आपराधिक कार्रवाई खारिज करते हुए जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने आगे कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत जैसे लोकतंत्र में राष्ट्रवाद बहुत महत्वपूर्ण है.

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