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भारत में कोरोना के आंकड़ों से खौफ, क्या कोविड टेस्ट की रणनीति बदलने की जरूरत है, पढ़ें विशेषज्ञों की केंद्र को सलाह

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coronavirus in india, coronavirus Covid-19 testing , Covid-19 testing strategy: पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले घातक कोरोना वायरस ने भारत में अब अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है. देश में पिछले एक महीने में कोरोना के जो आंकड़े सामने आए (करीब 20 लाख मामले) वो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. कोरोना की तेज रफ्तार को देखते हुए क्या देश में कोविड जांच का तरीका बदलना होगा? क्या कोविड जांच के लिए देश की रणनीति सही है? देश में कोरोना जांच की मौजूद स्थिति को लेकर प्रख्यात स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है.

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coronavirus in india, Covid-19 testing strategy: पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले घातक कोरोना वायरस ने भारत में अब अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है. देश में पिछले एक महीने में कोरोना के जो आंकड़े सामने आए (करीब 20 लाख मामले) वो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. कोरोना की तेज रफ्तार को देखते हुए क्या देश में कोविड जांच का तरीका बदलना होगा? क्या कोविड जांच के लिए देश की रणनीति सही है? देश में कोरोना जांच की मौजूद स्थिति को लेकर प्रख्यात स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है.

एचटी के मुताबिक, इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आपीएचए) के विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार से कोविड -19 परीक्षण रणनीति को इस तरह से देखने की सिफारिश की है, जिसके परिणामस्वरूप यह सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को निर्देशित करने और रोग के प्रसार को प्रभावी रूप से सीमित करने में कारगर हो.

31 दिन..हजारों मौतें…ये अगस्त फिर ना आए

बता दें कि भारत में अब तक 3,687,939 कोरोना के केस दर्ज किए गए हैं, जबकि 64,469 लोग जान गंवा चुके हैं. माह दर माह कोरोना की रफ्तार तेज ही होती जा रही है. जुलाई के अंत तक आंकड़ा 16 लाख का था जो अगस्त के अंत तक 36 लाख के पार जा पहुंचा. केवल अघस्त माह में ही करीब 20 लाख मामले सामने आए और 28 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई. हालांकि कई लोगों का मानना है कि कोरोना की जांच ज्यादा होने के कारण मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं. दिन पर पर देश में कोरोना जांच की संख्या भी बढ़ रही है. आईसीएमआर के आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार तक देश में 4 करोड़ 23 लाख सात हजार 914 कोरोना जांच हए हैं.

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तो क्या किया जाए,,

आईपीएचए के अध्यक्ष डॉ. संजय राय ने कहा कि मौजूद स्थिति में प्रति 10 लाख लोगों पर 140 लोगों की जांच हो रही है. और इसका पॉजिटिविटी रेट 5 फीसदी से भी कम है. उनके मुताबिक, कोरोना जांच शहरी इलाकों में ज्यादा किया जा रहा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण दूसरे तरह से फैल सकता है.अक्सर ऐसा होता है कि जब तक कोरोना जांच की रिपोर्ट आती है तबतक उस व्यक्ति के कारण कई अन्य लोग कोरोना की चपेट में आ जाते हैं.

ऐसा ग्रामीण इलाकों में ज्यादा हो रहा है. टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट और आइशोलेट अब तक रणनीति रही है जिसे अब बदलने की जरूरत है. यह कोरोना के शुरुआती दौर में सही था लेकिन अब जब संक्रमण का दायरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है तो जरूरत इस बात की है कि जिन क्षेत्रों में संक्रमण ज्यादा है वहां आइशोलेशन की संख्या बढ़ा दी जाए और और उपचार की सविधा में तेजी लाया जाए. जिन लोगों को कोरोना संक्रमण का शक हो उन्हें बिना जांच के भी आइशोलेट कर दिया जाए. ऐसा होने से निश्चित तौर पर संक्रमण फैलने को रोकने में मदद मिलेगी..

ये है समस्या की जड़

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों की संख्या सबसे ज्यादा है और यही समस्या की जड़ है.उनके मुताबिक , मौजूदा रणनीति में बिना लक्षण वालों का जांच नहीं किया जाता जबतक कि वह किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में नहीं आया हो. आरटीपीसीआर, सीबीएनएएटी, ट्रूनेट, आरएटी जैसे जांच की संख्या सबसे ज्यादा है.

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रिपोर्ट के मुताबिक यह अब तक तय नहीं है किसी मरीज का कौन सा जांच किया जाएगा. जैसे कि आरएटी जांच वहीं किया जाता है जो कंटेनमेंट जोन ना हो और जहां स्वास्थ्य सुविधाएं न के बराबर हैं. कोरोना जांच की संख्या साथ ही आइशोलेशन बढ़ाया जाए.

Posted By: Utpal kant

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