16.1 C
Ranchi
Thursday, February 27, 2025 | 04:19 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

‘हमारी जिंदगी पहले ही नरक से कम नहीं थी, Coronavirus ने सब कुछ छीन लिया’, छलका यौनकर्मियों का दर्द

Advertisement

Coronavirus Outbreak : ‘हमारी जिंदगी पहले ही किसी नरक से कम नहीं थी और कोरोना महामारी ने मानों सब कुछ छीन लिया है. ना तो ग्राहक है और ना ही घर में राशन और हमारी सेहत की सुध लेने वाला भी कोई नहीं ', यह कहना है दिल्ली के जी बी रोड रेड लाइट इलाके में रहने वाली एक यौनकर्मी का.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Coronavirus Outbreak : ‘हमारी जिंदगी पहले ही किसी नरक से कम नहीं थी और कोरोना महामारी ने मानों सब कुछ छीन लिया है. ना तो ग्राहक है और ना ही घर में राशन और हमारी सेहत की सुध लेने वाला भी कोई नहीं ‘, यह कहना है दिल्ली के जी बी रोड रेड लाइट इलाके में रहने वाली एक यौनकर्मी का. पान की पीकों से बदरंग संकरी सीढ़ियों से चढ़कर दूसरे तीसरे माले पर बने अनगिनत छोटे छोटे कोठों में पहुंचते ही इनकी दुर्दशा का अहसास हो जाता है.

बीस बाय चालीस के कोठे में जहां आठ से दस लोग गुजारा करने को मजबूर हों, ऐसे में सामाजिक दूरी बनाये रखना भी आसान नहीं. किसी के बच्चे छोटे हैं तो उनके दूध का इंतजाम नहीं है तो किसी के घर में स्टोव जलाने को कैरोसीन नहीं है. पति की मौत के बाद पश्चिम बंगाल से आई शालू का परिवार दार्जिलिंग में है और उसकी थोड़ी बहुत जमा पूंजी भी खत्म हो गयी है. उसने कहा कि लॉकडाउन के पहले हफ्ते में तो कोई हमें पूछने भी नहीं आया. थोड़ा बहुत पैसा पास था, वो भी खत्म हो गया. अब कोई एनजीओ या पुलिस खाना दे जाती है तो खा लेते हैं लेकिन अक्सर वह खाने लायक नहीं होता.

लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के दिशा निर्देशों ने राजधानी के तंग जी बी रोड इलाके में करीब 90 से सौ कोठों में रहने वाली एक हजार से अधिक यौनकर्मियों को फांके काटने पर मजबूर कर दिया है. पिछले 26 साल से यहां रह रही नसरीन बेगम ने बताया कि यहां लोगों का आना तो कोरोना की खबरों के साथ ही खत्म हो गया था. मोबाइल हैल्थ वैन हफ्ते में दो बार आती थी लेकिन 22 मार्च से वह भी बंद है. यहां कई महिलाओं को रक्तचाप, शुगर, दिल की बीमारी है और नियमित दवा खानी होती है जिसके लिये पैसे नहीं है.

भारतीय पतिता उद्धार सभा की दिल्ली ईकाई के सचिव और चार दशक से यहां रह रहे इकबाल अहमद ने कहा कि सरकार की जनधन, स्वास्थ्य समेत किसी योजना का इन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है क्योंकि अधिकांश के पास ना तो आधार कार्ड है और ना ही राशन कार्ड और बैंक में खाते भी नहीं है. उन्होंने कहा कि टीवी मोबाइल से इन्हें जो जानकारी मिली, उसके आधार पर ये कोरोना से सुरक्षा के उपाय खुद कर रही हैं. जितना संभव हो दूरी बनाकर रखती हैं और साफ सफाई रखने की कोशिश करती हैं. कुछ सैनिटाइजर्स और मास्क खरीद लाई हैं लेकिन कुछ के पास पैसा नहीं.

उन्होंने यह भी कहा कि कई संगठन आते हैं और इनमें से कुछ को सामान देकर फोटा खिंचवाकर चले जाते हैं. कुछ कच्चा राशन दे जाते हैं लेकिन ये पकायें कहां. गैस भराने या कैरोसीन लाने के पैसे ही नहीं है. यहां चौथे माले तक छोटे छोटे कमरों तक हर कोई पहुंच भी नहीं पाता लिहाजा सभी को समान सहायता नहीं मिल पाती. आम तौर पर 30 वर्ष से कम उम्र की यौनकर्मी यहां 10 से 30 हजार रूपये महीना तक कमा लेती है जिसमें से 40 प्रतिशत उन्हें और 60 प्रतिशत कोठे के मालिक को मिलता है. वहीं पैतीस पार की महिलाओं की मासिक आय पांच हजार से भी कम है और इनकी संख्या ही यहां अधिक है. इसी पैसे में से इन्हें घर भी भेजना है, पेट और बच्चे भी पालने हैं.

पिछले कई दशक से यौनकर्मियों की बेहतरी के लिये काम कर रहे संस्था के अध्यक्ष खैराती लाल भोला ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से उन्हें देश में दर्जन भर केंद्रों से तरह तरह की समस्याओं को लेकर लगातार फोन आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुंबई, चेन्नई, सूरत, हैदराबाद, वाराणसी, इलाहाबाद हर जगह से फोन आ रहे हैं. भारत में करीब 1100 रेडलाइट एरिया हैं जिनमें लाखों यौनकर्मी और उनसे भी अधिक उनके बच्चे रहते हैं. उन्होंने कहा कि मैंने 26 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस संबंध में पत्र लिखे लेकिन कोई जवाब नहीं आया. 2014 से 2019 तक सभी सांसदों को पत्र लिखे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. सबसे पहले इन सभी का ‘हैल्थ कार्ड’ बनना जरूरी है क्योंकि रेडलाइट इलाका सुनकर अस्पतालों में भी इनको दिक्कत आती है.

दिल्ली महिला आयोग ने मौजूदा हालात में इनकी स्थिति को लेकर पुलिस से छह अप्रैल तक रिपोर्ट मांगी है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर