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पढ़ें- कोरोना का महिलाओं पर और किस प्रकार पड़ सकता है अलग प्रभाव

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कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव के कारण अब तक महिलाओं के यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य तथा लैंगिक समानता की दिशा में हुयी प्रगति पर उलटा प्रभाव पड़ सकता है. एक एनजीओ ने यह टिप्पणी की है. पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने समय से कदम उठाने की सिफारिश की है ताकि महिलाएं और लड़कियां कोविड-19 संबंधी योजना और संबंधित प्रयासों के केंद्र में बनी रहें.

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नयी दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव के कारण अब तक महिलाओं के यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य तथा लैंगिक समानता की दिशा में हुयी प्रगति पर उलटा प्रभाव पड़ सकता है. एक एनजीओ ने यह टिप्पणी की है. पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने समय से कदम उठाने की सिफारिश की है ताकि महिलाएं और लड़कियां कोविड-19 संबंधी योजना और संबंधित प्रयासों के केंद्र में बनी रहें.

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विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर एनजीओ ने एक नीति पत्र ‘‘कोविड​​-19 का महिलाओं पर प्रभाव” जारी किया जिसमें देश भर में कोरोना वायरस संकट के विभिन्न प्रभावों पर व्यापक रूप से गौर किया गया है. इसमें महिलाओं और लड़कियों पर विशेष ध्यान दिया गया है एनजीओ ने कहा कि मौजूदा कोविड-19 के साथ साथ पिछली महामारियों के अनुभव बताते हैं कि आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के बाधित होने से महिलाओं और लड़कियों तक सेवाओं की पहुंच कम हो जाने का खतरा रहता है .

संसाधनों का जोर नियमित स्वास्थ्य सेवाओं से हट जाता है. इससे प्रसव के पहले और बाद की देखभाल, परिवार नियोजन और गर्भनिरोधक आपूर्ति आदि संसाधनों से भी ध्यान हट जाता है. पीएफआई ने कहा कि प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं सहित आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपलब्धता लंबे समय में हानिकारक साबित होगी. पीएफआई की कार्यकारी निदेशक पूनम मुटरेजा ने कहा कि कोरोना वायरस संकट से हमारी सामाजिक सेवाओं और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर अभूतपूर्व दबाव पड़ा है.

इसके साथ ही महिलाओं के खिलाफ यौन और घरेलू हिंसा, उनकी स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान, गर्भ निरोधकों की आपूर्ति में बाधा का भी खतरा बढ़ गया है. महिलाओं में मानसिक तनाव और चिंता संबंधी जोखिम भी बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि नियोजन और कार्यक्रमों में सुधार के लिए लैंगिंग नजरिए से अपनी आपातकालीन प्रतिक्रिया नीतियों पर गौर करने की जरूरत है.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

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