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Madhabi Puri Buch: कांग्रेस ने बुच पर तीन जगह से सैलरी लेने का लगाया आरोप, ICICI ने किया खंडन

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Madhabi Puri Buch: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. हिंडनबर्ग के बाद कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगा दिया है.

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Madhabi Puri Buch: कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधवी बुच के खिलाफ जो हितों के टकराव का नया आरोप लगाया है, उसपर ICICI बैंक का बयान सामने आया है. बैंक ने कांग्रेस के सारे आरोप का खंडन कर दिया है. आईसीआईसीआई बैंक ने कांग्रेस के आरोपों पर कहा, सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच अक्टूबर, 2013 में ही बैंक से सेवानिवृत्त हो गई थीं, उसके बाद नहीं किया गया वेतन भुगतान.

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बैंक ने कहा, सेवानिवृत्ति लाभों के सिवाय बुच को कोई वेतन नहीं दिया गया

ICICI बैंक ने कहा, आईसीआईसीआई बैंक या इसकी समूह कंपनियों ने माधबी पुरी बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उनके सेवानिवृत्ति लाभों के सिवाय कोई वेतन या कोई ईएसओपी (कर्मचारी शेयर विकल्प योजना) नहीं दिया गया है. यह ध्यान देने योग्य है कि उन्होंने 31 अक्टूबर, 2013 से प्रभावी सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था. आईसीआईसीआई समूह में अपने कार्यकाल के दौरान बुच को बैंक की नीतियों के अनुरूप वेतन, सेवानिवृत्ति लाभ, बोनस और ईएसओपी के रूप में पारिश्रमिक मिला. बैंक ने कहा, हमारे नियमों के तहत ईएसओपी आवंटित किए जाने की तारीख से अगले कुछ वर्षों में मिलते हैं. बुच को ईएसओपी आवंटन किए जाते समय लागू नियमों के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों समेत बैंक कर्मचारियों के पास विकल्प था कि वे अधिकृत होने की तारीख से 10 साल की अवधि तक कभी भी अपने ईएसओपी का उपयोग कर सकते हैं.

कांग्रेस ने माधवी पुरी बुच पर क्या लगाया आरोप

कांग्रेस ने माधवी पुरी बुच पर आरोप लगाते हुए सोमवार को दावा किया था कि इस बाजार नियामक की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए भी वह आईसीआईसीआई बैंक से नियमित वेतन ले रही थीं और यह कुल राशि 16.80 करोड़ रुपये के करीब है. कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं और 2 मार्च, 2022 से इसकी अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा, माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपए था. वह आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, ईएसओपी और ईएसओपी का टीडीएस भी बैंक से ले रही थीं. उन्होंने कहा, यह सीधे-सीधे सेबी के सेक्शन-54 का उल्लंघन है। इसलिए अगर माधवी पुरी बुच में थोड़ी भी शर्म होगी तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2021-2023 के बीच, वर्तमान सेबी अध्यक्ष को ईएसओपी पर टीडीएस भी प्राप्त हुआ था, जिसका भुगतान आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 1.10 करोड़ रुपये किया गया था.

कांग्रेस ने पीएम मोदी से भी मांगा स्पष्टीकरण

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) के प्रमुख के रूप में बुच की नियुक्ति के मामले में स्पष्टीकरण देने की भी मांग की. पवन खेड़ा ने कहा कि यही नहीं, सेबी अध्यक्ष के हितों के टकराव के और भी कई मामले सामने आए हैं.

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