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असम बाल विवाह: ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों के बाद भारी हंगामा, बचने के लिए कानून का हथियार की तरह हो रहा इस्तेमाल!

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असम में बाल विवाह के कुछ ऐसे मामले सामने आये हैं जहां दूल्हा और दुल्हन के परिवारों के बीच एक आपसी समझौता या हलफनामा बनाया जाता है और कुछ नियमों और शर्तों के साथ सरकार द्वारा अधिकृत नोटरी एडवोकेट द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता है. लेकिन कई मौकों पर नियमों और शर्तों का ठीक से पालन नहीं किया जाता.

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असम में बाल विवाह उल्लंघन कानून मामले ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों के बाद हर तरफ हंगामा मचा है मगर इन सब के बीच बाल विवाह के कुछ ऐसे मामले सामने आये हैं जिसमे कानून का हि, सहारा लेकर क़ानून से से बचने का प्रयास किया गया है. बाल विवाह के कुछ मामले सामने आये हैं जहां दूल्हा और दुल्हन के परिवारों के बीच एक आपसी समझौता या हलफनामा बनाया जाता है और कुछ नियमों और शर्तों के साथ सरकार द्वारा अधिकृत नोटरी एडवोकेट द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता है. लेकिन वास्तव में, कई मौकों पर नियमों और शर्तों का ठीक से पालन नहीं किया जाता है और पुलिस सूत्रों की मानें तो इन हलफनामों का इस्तेमाल कानून प्रवर्तन से बचने के लिए उपकरण के रूप में किया जाता है.

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एग्रीमेंटमें कई शर्तों का उल्लेख

न्यूज एजेंसी एएनआई के पास असम के कोकराझार जिले की 14 वर्षीय लड़की और 18 वर्षीय लड़के के परिवार के बीच हुए इस तरह के विवाह समझौते की एक प्रति है, समझौते के इस कॉपी पर 24 मई, 2021 की नोटरी मुहर लगी है. इस एग्रीमेंट में जबकि पक्ष की बेटी के साथ-साथ दूसरे पक्ष का बेटे को भी नाबालिग बताया गया है. दोनों पक्ष मुस्लिम शरीयत के अनुसार परिपक्वता की उम्र प्राप्त करने के बीच और उसके बीच अपने शब्दों के विवाह को संपन्न करने में रुचि रखते हैं, लेकिन परिपक्कव आयु नहीं होने की वजह से, वे इस समय शादी करने में असमर्थ हैं, लेकिन उनकी संतुष्टि के लिए, वे निम्नलिखित नियमों और शर्तों के साथ इस आपसी समझौता करने के लिए तैयार हैं, ऐसा एग्रीमेंट की कॉपी में लिखा गया है. आपसी समझौते की कुछ निम्नलिखित शर्तें भी हैं- जैसे की परिपक्वता की आयु से पहले, दूसरा पक्ष और उसका बेटा पहले पक्ष के साथ-साथ उसकी बेटी पर भी इसके लिए कोई दबाव नहीं डालेगा. समझौते में आगे कहा गया है कि जब तक दूसरे पक्ष के बेटे और पहले पक्ष की बेटी के बीच सामाजिक विवाह नहीं हो जाता है, तब तक वे अलग-अलग रहेंगे और वे अपने-अपने घरों में रहेंगे, अगर दोनों अभिभावक नाबालिग पर कोई गैरकानूनी गतिविधि करने का दबाव बनाएंगे, तो पार्टियों को कानून के परिणाम का सामना करना पड़ेगा.

एग्रीमेंट की शर्तों का नहीं होता पालन

आपको बताएं की नाबालिगों के बीच शादी के ऐसे आपसी समझौते कोकराझार, धुबरी और असम के अन्य जिलों में बड़े पैमाने पर हुए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई मौकों पर नाबालिगों के माता-पिता समझौते के नियमों और शर्तों का पालन नहीं करते हैं.

बाल विवाह उल्लंघन क़ानून मामले में आरोप पत्र दाखिल करना चुनौती

असम में अबतक बाल विवाह उल्लंघन क़ानून मामले में 2500 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. वहीं असम के डीजीपी पर बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई के बाद अब समय सीमा के अंदर आरोपपत्र दाखिल करने की चुनौत है, असम के डीजीपी जीपी सिंह ने मंगलवार को कहा कि राज्य में बाल विवाह के मामलों में 2,500 से अधिक गिरफ्तारियां होने के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती निर्धारित समय सीमा के अंदर आरोपपत्र दाखिल करने की है, इस मामले में DGP जीपी सिंह ने से कहा कि पुलिस की मंशा किसी को परेशान करने की नहीं है, लेकिन इसका लक्ष्य दो-तीन वर्षों के अंदर बाल विवाह की प्रथा को खत्म करना है.

DGP जेपी सिंह ने कहा कि, हमने 4,074 मामले दर्ज किये हैं और मंगलवार सुबह तक 2,500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इन मामलों के सभी आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा तथा उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती अब 60 से 90 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाखिल करने की है.

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