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छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका, आदिवासी चेहरा नंद कुमार साय कांग्रेस में शामिल

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chhattisgarh election 2023 : भाजपा के एक प्रमुख आदिवासी चेहरा एवं उत्तरी छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले नंद कुमार साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गये थे. जानें साय ने भाजपा क्यों छोड़ा

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chhattisgarh election 2023 : छत्तीसगढ़ में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल भाजपा को जोरदार झटका लगा है. जी हां…भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार साय ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. इससे पहले रविवार को वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से ही उनके कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाये जा रहे थे. साय ने भाजपा से इस्तीफा देकर पार्टी के साथ अपना चार दशक से अधिक पुराना नाता तोड़ दिया है.

इस्तीफा देते हुए नंद कुमार साय ने क्या कहा

दो बार के लोकसभा सांसद और तीन बार के विधायक नंद कुमार साय (77) पूर्व में छत्तीसगढ़ और अविभाजित मध्य प्रदेश दोनों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. साय ने अपने त्यागपत्र में आरोप लगाया कि उनके सहयोगी साजिश रच रहे थे और उनकी छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे थे, जिससे उन्हें बहुत दुख हुआ. आगे उन्होंने कहा कि मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं. पार्टी ने मुझे जो भी जिम्मेदारियां दी हैं, मैंने उन्हें पूरी निष्ठा के साथ निभाया. मैं इसके लिए पार्टी का आभार व्यक्त करता हूं.

कांग्रेस हुई हमलावर

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की संचार शाखा के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि साय जैसे ‘‘ज्ञानी, विनम्र और सहिष्णु नेता” का पार्टी छोड़ना इस बात का संकेत है कि भाजपा आदिवासी नेताओं को अपमानित और उपेक्षित कर रही है. शुक्ला ने कहा कि यदि उन्होंने पार्टी छोड़ी है तो इसका मतलब है कि भाजपा इस बहुत बड़े वर्ग (आदिवासी) की उपेक्षा कर रही है, जिसे साय बर्दाश्त नहीं कर सके.

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नंद कुमार साय का राजनीतिक सफर

भाजपा के एक प्रमुख आदिवासी चेहरा एवं उत्तरी छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले नंद कुमार साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गये थे. वह 1980 में भाजपा की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख चुने गये. वह 1985 में तपकरा से भाजपा विधायक चुने गये. वह 1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा सदस्य और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गये. नंद कुमार साय 2003-05 तक छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष और 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश भाजपा प्रमुख रहे.

नवंबर 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद नंद कुमार साय छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के पहले नेता बने. साय 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष बने.

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