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SC ने अरुण गोयल की नियुक्ति में जल्दबाजी पर उठाए सवाल, कहा- VRS लेते ही 24 घंटे में बनाए गए चुनाव आयुक्त?

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पीठ ने सवाल किया कि अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के तौर पर नियुक्ति में बहुत तेजी दिखाई गई और उनकी फाइल 24 घंटे भी विभागों के पास नहीं रही. केंद्र ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी के जरिए इसका प्रतिवाद करते हुए पीठ से नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े पूरे मुद्दे पर विचार किए बगैर टिप्पणी न करने का अनुरोध किया.

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयुक्त के तौर पर अरुण गोयल की नियुक्ति में ‘जल्दबाजी’ पर गुरुवार को सवाल उठाए. वहीं, केंद्र सरकार ने कोर्ट की टिप्पणियों का विरोध किया. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कहा कि गोयल की नियुक्ति से जुड़े पूरे मामले पर विस्तारपूर्वक गौर किया जाना चाहिए. मामले की सुनवाई शुरू होने पर जस्टिस केएम जोसेफ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने निर्वाचन आयुक्त के तौर पर गोयल की नियुक्ति से जुड़ी मूल फाइल पर गौर किया. उन्होंने कहा कि यह किस तरह का मूल्यांकन है? हम अरुण गोयल की योग्यता पर नहीं, बल्कि उनकी नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं.

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इतनी तेजी कि 24 घंटे भी विभागों पर नहीं रही फाइल

पीठ ने सवाल किया कि अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के तौर पर नियुक्ति में ‘बहुत तेजी’ दिखाई गई और उनकी फाइल 24 घंटे भी विभागों के पास नहीं रही. केंद्र ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी के जरिए इसका प्रतिवाद करते हुए पीठ से नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े पूरे मुद्दे पर विचार किए बगैर टिप्पणी न करने का पुरजोर अनुरोध किया. सुनवाई के दौरान जब अटॉर्नी जनरल दलीलें दे रहे थे, तो वकील प्रशांत भूषण ने पीठ के समक्ष दलीलें रखने की कोशिश की. इस पर शीर्ष विधि अधिकारी ने प्रशांत भूषण से कहा कि कृपया थोड़ी देर के लिए चुप रहिए.

लिखित जवाब देने के लिए पांच दिन की मोहलत

सर्वोच्च अदालत ने निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और संबधित पक्षों से पांच दिन में लिखित जवाब देने को कहा. पीठ में शामिल जस्टिस अजय रस्तोगी ने वेंकटरमानी से कहा कि आपको अदालत को सावधानीपूर्वक सुनना होगा और सवालों का जवाब देना होगा. हम किसी उम्मीदवार पर नहीं बल्कि प्रक्रिया पर सवाल कर रहे हैं. इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अदालत के सवालों का जवाब देना उनका दायित्व है.

एक दिन में वीआरएस लिया और एक ही दिन में निर्वाचन आयोग

पीठ ने कहा कि 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अरुण गोयल ने एक ही दिन में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली, एक ही दिन में कानून मंत्रालय ने उनकी फाइल को मंजूरी दे दी. चार नामों की सूची प्रधानमंत्री के सामने पेश की गई और अरुण गोयल के नाम को 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गई. पीठ में जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल रहे.

कोर्ट ने कार्यकाल पूरा करने पर भी उठाए सवाल

पीठ ने कहा कि कानून मंत्री ने सूची में शामिल चार नामों में से किसी को भी सावधानीपूर्वक नहीं चुना, जिससे कि वे छह साल का कार्यकाल पूरा कर पाते. वेंकटरमानी ने कहा कि चयन की एक प्रक्रिया तथा मापदंड है और ऐसा नहीं हो सकता कि सरकार हर अधिकारी का पिछला रिकॉर्ड देखे और यह सुनिश्चित करें कि वह छह साल का कार्यकाल पूरा करें. निर्वाचन आयोग (चुनाव आयुक्त की सेवा और कारोबार का संव्यवहार शर्तों) अधिनियम, 1991 के तहत चुनाव आयुक्त का छह साल या 65 वर्ष की आयु तक का कार्यकाल हो सकता है.

गोयल की नियुक्ति से जुड़ी मूल फाइल लौटाई जाए

अरुण गोयल की नियुक्ति का हवाला देते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उनका प्रोफाइल महत्वपूर्ण है न कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, जिसे मुद्दा बनाया जा रहा है. पीठ ने कहा कि 1991 का कानून कहता है कि चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह साल का है और सरकार को यह सुनिश्चित करना होता है कि इस पद पर आसीन व्यक्ति निर्धारित कार्यकाल पूरा करें. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह उन वजहों का पता नहीं लगा पा रहा है कि कानून मंत्री ने कैसे उन चार नामों का चयन किया, जो निर्धारित छह साल का कार्यकाल पूरा नहीं करने वाले थे. मामले में सुनवाई चल रही है और पीठ ने कहा कि गोयल की नियुक्ति से जुड़ी मूल फाइल लौटाई जाए.

कॉलेजियम व्यवस्था पर चल रही सुनवाई

केंद्र ने हाईकोर्ट के बुधवार को दिए निर्देश के अनुसार, पीठ के समक्ष निर्वाचन आयुक्त के तौर पर अरुण गोयल की नियुक्ति की मूल फाइल पेश की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गौर किया. पीठ निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. निवार्चन आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की पड़ताल के दायरे में आ गई, जिसने इस सिलसिले में केंद्र से मूल रिकॉर्ड तलब करते हुए कहा था कि वह (सुप्रीम कोर्ट) जानना चाहता है कि कहीं कुछ अनुचित तो नहीं किया गया है.

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फरवरी 2025 में मुख्य निर्वाचन आयुक्त होंगे अरुण गोयल

पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी अरुण गोयल को 19 नवंबर को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया. वह 60 वर्ष के होने पर 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे. अपनी नई भूमिका संभालने के बाद अरुण गोयल मौजूदा सीईसी राजीव कुमार के फरवरी 2025 में सेवानिवृत्त होने के बाद अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त होंगे. मई में पूर्ववर्ती सीईसी सुशील चंद्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद निर्वाचन आयोग में एक पद रिक्त हुआ था.

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