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Agriculture: छोटे और सीमांत किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है पीएम-आशा

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पीएम आशा सितंबर 2018 में दलहन, तिलहन और खोपरा के लिए न्यूनतम मूल्य प्रदान करने, किसानों के लिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने, फसल कटाई के बाद की बिक्री मजबूरी को कम करने और दलहन और तिलहन के फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गयी है.

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Agriculture: किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं. इसके तहत प्रमुख कृषि उत्पादों के लिए बनायी सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य मुहैया कराना ताकि खेती में निवेश को बढ़ावा दिया जा सके. सरकार 24 फसलों के लिए उत्पादन लागत का 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की योजना लागू की है. इसका मकसद दलहन, तिलहन और खोपरा(नारियल) के लिए शुरू की गयी है.

पीएम आशा सितंबर 2018 में दलहन, तिलहन और खोपरा के लिए न्यूनतम मूल्य प्रदान करने, किसानों के लिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने, फसल कटाई के बाद की बिक्री मजबूरी को कम करने और दलहन और तिलहन के फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की है. सितंबर 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य कमी भुगतान योजना (पीडीपीएस) और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) को शामिल करते हुए पीएम आशा के रूप में एकीकृत योजना जारी रखने को मंजूरी दी. 

छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाना है लक्ष्य


पीएम आशा का मकसद छोटे और सीमांत किसानों के लिए सुरक्षा तंत्र मुहैया कराना है. क्योंकि बाजार में उतार-चढ़ाव के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील छोटे और सीमांत किसान होते हैं. यह फसल के बाद होने वाले नुकसान को कम कर किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना है. ताकि छोटे किसानों की आय बढ़ सके. किसानों की आय बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को मजबूती मिलेगी. पीएम आशा योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित केंद्रों पर किसानों की कृषि उपज की खरीद के लिए राज्य स्तरीय एजेंसियों के साथ नैफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियां काम करती है.

 रबी 2023-24 सीजन के दौरान 2.75 लाख किसानों से 4820 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 6.41 लाख मीट्रिक टन दलहन और 5.29 लाख किसानों से 6900 करोड़ रुपये के मूल्य के 12.19 लाख मीट्रिक टन तिलहन की खरीद की गयी. चालू खरीफ सीजन की शुरुआत में सोयाबीन के बाजार भाव एमएसपी से काफी नीचे चला गया, जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही थी. पीएम आशा के तहत भारत सरकार के हस्तक्षेप से सरकार ने 11 दिसंबर 2024 तक 2700 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 5.62 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदी गयी.

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