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कृषि मंत्री ने राज्यसभा में दी सफाई, बोले – कानून लाने से पहले राज्य सरकारों और किसानों से की गई थी बातचीत

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कांग्रेस से केसी वेणुगोपाल और भाकपा के बिनॉय विश्वम ने सरकार से तीनों कृषि कानूनों को लाने से पहले पूर्व-विधायी परामर्शों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए कहा था और साथ ही इस काम के लिए व्यक्तियों, संगठनों और यूनियनों की संख्या के बारे में पूछा था.

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नयी दिल्ली : केंद्र ने तीन नए कृषि कानूनों को लाने से पहले ‘उचित प्रक्रिया’ का पालन करते हुए किसान समुदाय को विकल्प के रूप में अपने कृषि उपजों के अवरोध मुक्त व्यापार की सुविधा देने के लिए विभिन्न राज्यों और किसानों के साथ राय-मशविरा किया था. यह जानकारी संसद को शुक्रवार को दी गई. राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अध्यादेश-विधेयकों को तैयार करते समय विधिवत प्रक्रिया का पालन किया गया था.

कांग्रेस से केसी वेणुगोपाल और भाकपा के बिनॉय विश्वम ने सरकार से तीनों कृषि कानूनों को लाने से पहले पूर्व-विधायी परामर्शों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए कहा था और साथ ही इस काम के लिए व्यक्तियों, संगठनों और यूनियनों की संख्या के बारे में पूछा था. जून 2020 में तीन अध्यादेशों को लाने के ‘तात्कालिक’ कारणों का हवाला देते हुए तोमर ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान बाजारों और आपूर्ति शृंखलाओं के विघटन के कारण, किसानों को लाभकारी कीमत पर अपने खेत के निकट अपने उत्पाद की बिक्री कर सकने की सुविधा प्रदान करने की अनुमति देने की सख्त आवश्यकता थी.

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की स्थिति का मांग पक्ष पर वैश्विक रूप से लंबे समय तक प्रभाव हो सकता है. इसलिए, अध्यादेशों को लाने की आवश्यकता बनी, ताकि किसानों की आमदनी को बढ़ाने के मकसद को ध्यान में रखते हुए उन्हें नई सुविधाओं को उपलब्ध कराया जाए और उन्हें राज्य के भीतर और अंतरराज्यीय बाधामुक्त व्यापार के जरिये बिक्री के लिए बेहतर बाजार पहुंच की सुविधा दी जा सके.

इसके अलावा, मंत्री ने कहा कि अध्यादेशों के मसौदे को विभिन्न मंत्रालयों, नीति आयोग, अन्य के बीच उनकी टिप्पणियों के लिए भेजा गया था. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के साथ भी 21 मई, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से परामर्श किया गया था, जिसमें राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के अधिकारियों ने भाग लिया था, ताकि किसानों को विकल्प प्रदान करने के लिए उन्हें राज्य के भीतर और अंतरराज्यीय बाधा मुक्त व्यापार की सुविधा दी जा सके.

तोमर ने कहा कि कोरोना महामारी की परिस्थिति के मद्देनजर सरकार ने पांच जून, 2020 से 17 सितंबर, 2020 तक की अवधि के दौरान नए कृषि कानूनों के बारे में किसानों और अन्य अंशधारकों के साथ कई वेबिनार के जरिये बातचीत की थी. उन्होंने कहा कि किसान संघों जैसे अंशधारकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर ‘किसान’ की परिभाषा में संशोधन किया गया है.

परामर्श के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में भाकपा नेता के प्रश्न पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तोमर ने कहा कि भारत में कृषि प्रणाली में सुधार के लिए लगातार मांग होती रही है, ताकि किसानों को अपनी उपज की बिक्री से बेहतर मूल्य की प्राप्ति की सुविधा मिले. समय-समय पर विभिन्न समितियों द्वारा भी इस बात का सुझाव दिया गया है.

तोमर ने कहा कि सरकार ने किसानों के साथ बैठकों के दौरान इन कानूनों की कानूनी वैधता सहित इनके लाभ का विवरण दिया है. हालांकि, किसान इन कानूनों को रद्द किये जाने की मांग को छोड़कर, कृषि कानूनों पर विचार करने के बारे में कभी सहमत नहीं हुए. हजारों किसान, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ भाग से आए किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डेरा जमाए हुए हैं और तीन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

Also Read: Farmers Protest : किसान संगठनों के चक्का जाम का कांग्रेस ने किया समर्थन, कहा- नए कृषि कानून वापस होने चाहिए

Posted By : Vishwat Sen

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