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भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रही हैं पार्टिया, कितना सफल होगा फार्मूला ?

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नयी दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी की बढ़ती ताकत और संगठन विस्तार को देखते हुए विरोधी पार्टियां वर्ष 2019 में होनेवाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अब एकजुट होकर भाजपा से मुकाबले की तैयारी शुरू कर दी है. बिहार में महागठबंधन (जदयू, राजद और कांग्रेस) भाजपा को सत्ता पर काबिज होने से रोकने में कामयाब रहा, […]

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नयी दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी की बढ़ती ताकत और संगठन विस्तार को देखते हुए विरोधी पार्टियां वर्ष 2019 में होनेवाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अब एकजुट होकर भाजपा से मुकाबले की तैयारी शुरू कर दी है. बिहार में महागठबंधन (जदयू, राजद और कांग्रेस) भाजपा को सत्ता पर काबिज होने से रोकने में कामयाब रहा, लेकिन उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन मोदी लहर के आगे नहीं टिक पाया.

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2019 लोकसभा चुनाव : भाजपा के लिए चुनौतियां और अवसर, विपक्ष के बिखराव का लाभ उठाने की कोशिश में भाजपा

हार के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने संकेत दिया कि भाजपा को हराने के लिए पार्टियों को एकजुट होना होगा. हालांकि उन्होंने इस मंच से ईवीएम को भी दोषी ठहरा दिया. वहीं, दिल्ली एमसीडी चुनाव में अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस ने भले ही किसी को समर्थन देने से इनकार कर दिया हो, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने माना है कि भाजपा को हराने के लिए भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट होना होगा. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी भाजपा को हराने के लिए विरोधी पार्टियों से हाथ मिलाने को तैयार हो गयी हैं.

एकजुट होने की कवायद शुरू

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है. लंबे समय से सोनिया गांधी पार्टी के कामकाज से दूर हैं खराब तबीयत के कारण उन्हें लंबा वक्त विदेश में बिताना पड़ा. उत्तर प्रदेश चुनाव में सोनिया गांधी की अनुपस्थिति का खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ा, लेकिन राहुल गांधी ने उपाध्यक्ष के नाते पार्टी की कमान संभाली. हालांकि, इसका कोई खास फायदा पार्टी को नहीं मिला. बिहार राजद, जदयू और कांग्रेस की साझा सरकार है.
उत्तर प्रदेश में मिली जीत के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा था कि हमें 2019 के लोकसभा चुनाव को भूल कर 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव की तैयारी करनी होगी. इससे स्पष्ट है कि मोदी लहर ने भाजपा विरोधी पार्टियों की नींद उड़ा दी है. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने भी कमर कस लिया है. वहीं, दूसरी विरोधी पार्टियां भी यह महसूस कर रही हैं कि साथ मिलकर ही भाजपा को शिकस्त दी जा सकती है़. नीतीश कुमार ने पिछले दिनों मीडिया से बातचीत के जरिये भी संकेत दिये कि सभी विरोधी पार्टियों को एकजुट होना होगा.

बातचीत और मुलाकातों का दौर शुरू

अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात की थी. इस मुलाकात का उद्देश्य क्या था, इसका खुलासा तो नहीं हुआ, लेकिन बैठक के बाद उन्होंने संकेत दिये कि अच्छे लोगों को एक साथ आना होगा. वहीं, गुरुवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवीन पटनायक से मुलाकात की है. इन मुलाकातों से राजनीतिक विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि यह कोशिश है कि महागठबंधन की संभावनाओं को तलाशा जाये.

एक-दूसरे की तारीफ कर रही भाजपा विरोधी पार्टियां

जनता दल युनाइटेड ( जदयू ) के अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आम आदमी पार्टी अध्यक्ष व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच अच्छे संबंध हैं. समय-समय पर तीनों एक-दूसरे की तारीफ करते नजर आये हैं. समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल कई बार अपनी सहयोगी पार्टियों पर टिप्पणी और बयानबाजी के लिए सुर्खियों में रहती हैं. माना जा रहा है कि अखिलेश पार्टी के नये नेता के रूप में उभरे हैं, तो उनकी नीतियां भी अलग होंगी. उत्तर प्रदेश चुनाव में मिली हार के बाद उन्होंने भी संकेत दिये थे कि सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन बरकरार रहेगा.

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