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जेएनयू पर राज्यसभा में हंगामा , जानिये क्या बोले शिक्षा मंत्री

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नयी दिल्ली : राज्यसभा में आज विपक्षी सदस्यों ने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में विरोध प्रदर्शनों तथा इसके एक छात्र द्वारा हाल में की गई आत्महत्या का मुद्दा उठाया. वहीं, सरकार ने कहा कि कई आंदोलनों का विश्वविद्यालय से कोई लेना-देना नहीं है. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने पूरक प्रश्नों के जवाब […]

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नयी दिल्ली : राज्यसभा में आज विपक्षी सदस्यों ने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में विरोध प्रदर्शनों तथा इसके एक छात्र द्वारा हाल में की गई आत्महत्या का मुद्दा उठाया. वहीं, सरकार ने कहा कि कई आंदोलनों का विश्वविद्यालय से कोई लेना-देना नहीं है. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने पूरक प्रश्नों के जवाब में जेएनयू में विश्वविद्यालय से संबंधित विरोध प्रदर्शनों का और उन विरोध प्रदर्शनों का ब्योरा रखा जिनका विश्वविद्यालय से संबंध नहीं है.

जावडेकर ने ब्योरा पढते हुए कहा, जेएनयू में कुछ विरोध प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में उत्पीडन के आरोपों, बाबरी मस्जिद गिराए जाने, निर्भया मामले, अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की भारत यात्रा जैसे मुद्दों से जुडे हैं. मंत्री ने कहा, मैं भी छात्र राजनीति में था. लेकिन यह भी एक हकीकत है, जो आप देखेंगे. उन्होंने उल्लेख किया कि अशांति की बडी घटनाओं में से एक घटना नौ फरवरी 2016 को हुई जब आपत्तिजनक नारे लगाए गए.
मंत्री ने कहा कि इनमें कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी, हम क्या मांगें आजादी, बंदूक से लेंगे आजादी, छीन के लेंगे आजादी, एक अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा, पाकिस्तान जिन्दाबाद” जैसे नारे शामिल थे. माकपा के सीताराम येचुरी ने मंत्री द्वारा उल्लिखित नारों पर आपत्ति जताई और कहा कि एक अदालत में यह कहा गया था कि घटना के वीडियो से छेड़छाड़ की गई.
उन्होंने कहा कि यदि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की यात्रा के दौरान अमेरिकी साम्राज्यवाद से जुडे मुद्दे उठाए गए तो कुछ भी गलत नहीं है. जावडेकर ने कहा कि उन्होंने सवाल के जवाब में सिर्फ एक सूची दी है. मंत्री द्वारा उपलब्ध कराए गए ब्योरे में 51 विरोध प्रदर्शनों का उल्लेख था जिनमें से 44 विरोध प्रदर्शनों का विश्वविद्यालय से संबंध नहीं था.
जेएनयू से जुडे विरोध प्रदर्शनों में यूजीसी के दिशा-निर्देशों और प्रशासन के खिलाफ सीटों में कटौती, छात्र नजीब के लापता होने, स्मृति ईरानी के दौरे, भाजपा नेता सुब्रमह्ण्यम की एक टिप्पणी और कुलपति के खिलाफ हुए तथा अन्य मुद्दों पर हुए विरोध प्रदर्शन शामिल हैं.अन्य विरोध प्रदर्शन कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान आदि से संबंधित थे.
इस दौरान येचुरी ने कहा कि यूजीसी की अधिसूचना से शोधार्थियों की संख्या काफी कम हो गई है.जावडेकर ने कहा कि यूजीसी ने एक सीमा रखी कि एक प्रोफेसर आठ, सह प्रोफेसर छह और सहायक प्रोफेसर चार शोधार्थियों को गाइड कर सकता है.
उन्होंने कहा कि जेएनयू के एक प्रोफेसर ने 44 छात्रों, जबकि एक अन्य ने 28 छात्रों को गाइड किया. क्या पीएचडी क्लासरुम है ? मंत्री ने कहा कि 104 शिक्षक दस- दस से अधिक छात्रों को गाइड कर रहे थे. 29 शिक्षक 20 से 30 छात्रों कोगाइड कर रहे थे. चार अन्य शिक्षक 30 से अधिक तथा एक अन्य 40 छात्रों को गाइड कर रहा था. पीएचडी इस तरह का मामला नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह सीमा संप्रग के शासन में लगाई गई थी जिसे माकपा ने समर्थन दिया था. यहां तक कि अदालत ने भी व्यवस्था दी थी कि यूजीसी के दिशा-निर्देश सभी विश्वविद्यालयों पर लागू होंगे. द्रमुक के तिरचि शिवा ने कहा कि मुथू कृष्णन द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद जेएनयू अधिकारियों ने परिवार को सूचना देने में देरी की.
कांग्रेस सदस्य राजीव गौडा ने कहा कि शोध में छात्रों की संख्या से संबंधित कडे नियमों में ढील दी जानी चाहिए.उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘छेडछाड” कर बनाए गए वीडियो की वजह से कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी हुई. उन्होंने लापता छात्र नजीब के मामले में एबीवीपी के छात्रों के लाई डिटेक्टर टेस्ट में प्रगति के बारे में भी जानना चाहा. जावडेकर ने कहा कि यह मामला अदालत में है.उन्होंने कहा कि जेएनयू एक ‘‘बहुत सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय है” लेकिन यह किसी और वजह से चर्चित हो गया है.
जेएनयू की उपलब्धियों के बारे में उन्होंने कहा कि इसने मलेरिया रोधी टीका, डीएनए रैप्लीकेशन, टीबी की जांच के लिए सस्ता उपकरण, एंथ्रैक्स के टीके जैसी कई चीजें बनाईं. उन्हें उनके काम के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन इसे कभी प्रचार नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि उन्हें ताज्जुब है कि राजीव गौडा को लगता है कि एक प्रोफेसर 40 छात्रों को गाइड कर सकता है. ‘‘मैं इससे सहमत नहीं हूं. जावडेकर ने कहा कि रोहित वेमुला की मौत के बाद मंत्रालय ने काउंसलिंग जैसे कई कदम उठाए हैं जिससे कि आत्महत्या की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो. अंत में येचुरी को यह कहते सुना गया कि कि जेएनयू ने देश को सर्वाधिक आईएएस और आईपीएस उपलब्ध कराए हैं.

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