15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बाबरी प्रकरण : आडवाणी, जोशी और उमा भारती सहित 13 के खिलाफ चल सकता है केस, SC ने दिये संकेत

Advertisement

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में 1992 में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी ढांचा गिराये जाने के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, डा मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप हटाने के आदेश का परीक्षण करने का विकल्प आज खुला रखा. न्यायमूर्ति पी सी […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में 1992 में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी ढांचा गिराये जाने के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, डा मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप हटाने के आदेश का परीक्षण करने का विकल्प आज खुला रखा.

- Advertisement -

न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा कि विवादित ढांचा गिराये जाने की घटना के बाद दर्ज दो प्राथमिकी से संबंधित मामलों पर संयुक्त सुनवाई करने का आदेश देने का विकल्प भी है.

पीठ ने कहा, ‘‘तकनीकी आधार पर 13 व्यक्तियों को आरोप मुक्त किया गया था. आज, हम कह रहे हैं कि दोनों मुकदमों को क्यों नहीं हम एकसाथ कर देते और इनकी संयुक्त रुप से सुनवाई करायें.’ पीठ ने कहा, ‘‘हम तकनीकी आधार पर आरोप मुक्त करना स्वीकार नहीं करेंगे और हम पूरक आरोप पत्र की अनुमति देंगे.’ शीर्ष अदालत ने इस प्रकरण से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक रुप से ये टिप्पणियां की और फिर इसे 22 मार्च के लिये सूचीबद्ध कर दिया.
हालांकि, दोनों प्राथमिकियों को एक में मिलाने का आरोपियों के वकील ने विरोध किया और कहा कि दोनों मामलों में अलग अलग व्यक्ति आरोपी हैं और इनके मुकदमों की सुनवाई अलग अलग स्थानों पर काफी आगे बढ़ चुकी है. वकीलों का कहना था कि इन मामलों की संयुक्त सुनवाई का मतलब नये सिरे से कार्यवाही शुरू करना होगा.
इस मामले में आडवाणी, जोशी और उमा भारती सहित 13 व्यक्तियों को आपराधिक साजिश के आरोप से मुक्त कर दिया गया था. इस मामले की सुनवाई रायबरेली की विशेष अदालत में हो रही है. दूसरा मामला अज्ञात ‘कारसेवकों’ के खिलाफ है जो विवादित ढांचे के ईद गिर्द थे और इस मुकदमे की सुनवाई लखनऊ में हो रही है.
दिसंबर, 6, 1992 को विवादित ढांचा गिराने के मामले में भाजपा नेता आडवाणी, जोशी और 19 अन्य के खिलाफ साजिश के आरोप खत्म करने के आदेश के विरुद्ध हाजी महबूब अहमद (अब मृत) और सीबीआई ने अपील दायर की थी. सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा कि पूरक आरोप पत्र आरोप मुक्त किये गये 13 व्यक्तियों के खिलाफ नहीं बल्कि आठ व्यक्तियों के खिलाफ दायर किया गया था.
भाजपा नेताओं आडवाणी, जोशी, उमा भारती के अलावा कल्याण सिंह (इस समय राजस्थान के राज्यपाल), शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे और विश्व हिन्दू परिषद के नेता गिरिराज किशोर (दोनों अब मृत) के खिलाफ भी साजिश के आरोप खत्म कर दिये गये थे.
इनके अलावा, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया, सतीश प्रधान, सी आर बंसल, अशोक सिंघल (अब मृत), साध्वी श्रृतम्बरा, महंत अवैद्यनाथ (अब मृत), आर वी वेदांती, परमहंस राम चंद्र दास (अब मृत), जगदीश मुनि महाराज, बी एस शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धरम दास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे (अब मृत) के खिलाफ भी साजिश के आरोप खत्म कर दिये गये थे.
इलाहाबाद उच्च न्यायलाय ने 20 मई, 2010 को विशेष अदालत का फैसला बरकरार रखते हुये इन सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के तहत आपराधिक साजिश का आरोप हटा दिया था. इस आदेश के खिलाफ दायर अपील में उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया गया है. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सितंबर, 2015 को शीर्ष अदालत से कहा था कि उसके निर्णय लेने की प्रक्रिया को किसी ने भी प्रभावित नहीं किया है और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ इस मामले में आपराधिक साजिश के आरोप उसकी पहल पर नहीं हटाये गये थे.
जांच ब्यूरो ने यह भी कहा था कि उसके निर्णय लेने की प्रक्रिया सीबीआई की अपराध मैनुअल के प्रावधानों के अनुरुप होती है और निर्णय लेने की प्रक्रिया में ऐसी व्यवस्था है जो प्रत्येक स्तर पर अधिकारियों को स्वतंत्र रुप से निर्णय लेने और तर्कसंगत सिफारिशें करने की अनुमति देती है. उच्च न्यायालय के मई 2010 के आदेश में कहा गया था कि विशेष अदालत के चार मई, 2001 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की पुनरीक्षण याचिका में कोई दम नहीं है. विशेष अदालत ने इसी आदेश के तहत आपराधिक साजिश के आरोप हटाये थे.
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में आडवाणी और 20 अन्य आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए :विभिन्न वर्गो के बीच कटुता पैदा करना, धारा 153-बी राष्ट्रीय एकता को खतरा पैदा करने वाले दावे करना: और धारा 505 :सार्वजनिक शांति भग करने या विद्रोह कराने की मंशा से गलत बयानी करना, अफवाह आदि फैलाना: के तहत आरोप लगाये थे. जांच ब्यूरो ने बाद में धारा 120-बी के तहत आपराधिक साजिश का भी आरोप लगाया था जिसे विशेष अदालत ने निरस्त कर दिया था.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें