नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के धूलागढ में पिछले महीने दो दिन कथित रुप से हुये सांप्रदायिक दंगों की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने के लिये दायर याचिका पर विचार करने से आज इंकार कर दिया. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति पी सी पंत की पीठ ने कहा कि इस मामले को कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया जा सकता है.
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धूलागढ़ दंगों की सीबीआई जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते ?
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पीठ ने याचिकाकर्ता से जानना चाहा, ‘‘क्या आप उच्च न्यायालय गये? आप राहत के लिये पहले वहां क्यों नहीं जाते?” गैर सरकारी संगठन अम्ताला नागरिक अधिकार रक्षा समिति ने याचिका में दावा किया है कि राज्य पुलिस 13 और 14 दिसंबर के दौरान धूलागढ के इलाके में कथित सांप्रदायिक दंगों के दौरान कानून व्यवस्था बनाये रखने में विफल रही है. याचिका में दावा किया गया है कि इस घटना में 138 घर जलाये गये और महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुये तथा उनके साथ छेडछाड की गयी। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि इस अपराध को करने वाली भीड ने विस्फोटक और एके-47 जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया.
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने इन दो दिन प्रभावित परिवारों को कोई संरक्षण प्रदान नहीं किया और प्राथमिकी में नामित 102 आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है. याचिका में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में यह जरुरी है कि इस घटना की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से करवाकर समय समय पर होने वाले सांप्रदायिक दंगों को उकसाने वाले अंतर सीमा संपर्को और दूसरे राज्यों के सांप्रदायिक अपराधियों का पता लगाया जाये. याचिका में यह आरोप भी लगाया गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार एक समुदाय विशेष के प्रति दुराग्रह रखती है और ऐसी स्थिति में न्याय के हित में इसकी सीबीआई से जांच जरुरी है.
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