नयी दिल्ली : नकदी संकट से जूझ रहे लोगों की दिक्कतें कम नहीं हुई हैं. एटीएम से पैसा जल्दी गायब हो रहा है और बैंकों को भी अधिक से अधिक ग्राहकों को नकदी उपलब्ध कराने के लिए ‘करेंसी की राशनिंग’ करनी पड रही है. बैंकों में इस समय ऐसे लोग की भीड अधिक है जो अपना वेतन निकालना चाहते हैं.
देशभर से इस तरह की खबरें हैं कि बैंक शाखाओं को वेतन के दिन के लिए पर्याप्त नकदी उपलब्ध नहीं कराई गई है. जहां रिजर्व बैंक ने साप्ताहिक निकासी की सीमा 24,000 रुपये तय की है वहीं बैंक खुद ही इस सीमा को और कम कर रहे हैं जिससे अधिक से अधिक लोगों को नकदी उपलब्ध कराई जा सके. एटीएम भी लोगों के मददगार साबित नहीं हो रहे हैं. जैसे ही एटीएम में पैसा डाला जाता है इतनी भीड जुट जाती है कि उनमें नकदी कुछेक देर में समाप्त हो जाती है. बहुत से एटीएम ऐसे हैं जिनसे सिर्फ 2,000 रुपये का नोट निकल रहा है.
सूत्रों ने बताया कि बैंकों ने रिजर्व बैंक से एसओएस कॉल के जरिये अगले चार-पांच दिन के लिए अतिरिक्त नकदी उपलब्ध कराने को कहा है. कई बैंक शाखाओं से गरमा-गरमी होने की खबरें भी आ रही हैं. इस बीच, आल इंडिया बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने वित्त मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि नोटबंदी की वजह से आज बैंक कर्मियों को तनाव, बहस, लडाई, अपमान, दुर्व्यवहार का सामना करना पड रहा है. इससे उन पर मानसिक और शारीरिक दबाव पड रहा है. कई ऐसे मामले भी आए हैं जब गुस्साए लोगों ने बाहर से बैंक शाखाओं पर ताला लगा दिया है. एआईबीईए ने कहा कि स्थिति काफी खराब हो चुकी है और अब बैंक कर्मचारी धैर्य खोने की राह पर हैं. एआईबीईए ने कहा कि रिजर्व बैंक नोटों की आपूर्ति बढाने के लिए कदम उठाए और बैंकों को आपूर्ति किए गए नोटों की दैनिक आधार पर घोषणा की जाए.
ढाई लाख करोड रुपये बैंकिंग प्रणाली में नहीं लौटेंगे : एसबीआई
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का अनुमान है कि नोटबंदी के बाद करीब 2.5 लाख करोड रुपये बैंकिंग प्रणाली में वापस नहीं आएंगे. सरकार ने गत 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया था. इससे अर्थव्यवस्था से करीब 14 लाख करोड रुपये की मुद्रा बाहर निकल गई. एसबीआई के आर्थिक अनुसंधान विभाग की रपट में कहा गया है कि करीब ढाई लाख करोड रुपये बैंकिंग प्रणाली में नहीं लौटेंगे.’
एसबीआई के विश्लेषण के अनुसार 14.18 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा के अनुमान (बैंकों के पास मौजूद नकदी को छोडकर) मार्च, 2016 के आंकडों पर आधारित है. यह नोटबंदी के एक दिन बाद 9 नवंबर के आंकडों पर आधारित होना चाहिए. एसबीआई ने कहा कि 9 नवंबर के आंकडों के अनुसार बडी मूल्य की मुद्रा के बंद किए गए नोट 15.44 लाख करोड़ रुपये होने चाहिए. इसमें बैंकों के पास मौजूद नकदी शामिल नहीं है. यह मार्च के आंकडों से 1.26 लाख करोड रुपये अधिक है. रपट में कहा गया है कि 10 से 27 नवंबर तक बैंकों में 8.44 लाख करोड रुपये जमा किए गए और बदले गए. इन अनुमानों के आधार पर बैंकिंग प्रणाली में 13 लाख करोड़ रुपये आने की संभावना है.
नगदी निकालने की सीमा तय करने का फैसला न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर: दिल्ली उच्च न्यायालय
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नोटबंदी की कवायद को बडी राहत देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि बैंक खाताधारकों पर नगदी निकालने की सीमा तय किए जाने का फैसला एक नीतिगत निर्णय है, जो न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने यह फैसला उस अर्जी पर सुनाया जिसमें बैंकों से रोजाना नगदी निकालने की सीमा तय करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी. पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसमें ‘‘दम नहीं है’, क्योंकि ‘‘गैर-नगद लेन-देन’ पर कोई ‘‘बंदिश नहीं’ है.
न्यायालय ने कहा, ‘‘यह भी जोडा जा सकता है कि विशिष्ट राशि के बैंक नोटों को नौ नवंबर 2016 से वापस लेने के फैसले को अमल में लाने का तौर-तरीका एक नीतिगत निर्णय है, जो न्यायिक समीक्षा के अधिकार के दायरे से बाहर है.’ पीठ ने कहा, ‘‘कानून निर्धारित है कि अदालत तभी दखल दे सकती है जब तैयार की गई नीति पूरी तरह मनमानी हो या तर्कसंगत नहीं हो और लचीला नहीं हो और असत्यापित बयान हो, जिससे भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) का उल्लंघन होता हो.’
उच्च न्यायालय का आदेश अहम है क्योंकि नोटबंदी से जुडे मामले से उच्चतम न्यायालय को भी अवगत कराया गया है और आठ नवंबर की अधिसूचना को चुनौती देने वाली अर्जियों पर शीर्ष अदालत में सुनवाई हो रही है. उच्चतम न्यायालय केंद्र की उस अर्जी पर भी सुनवाई कर रहा है जिसमें अलग-अलग उच्च न्यायालयों में लंबित ऐसी सभी याचिकाओं को या तो शीर्ष न्यायालय या किसी एक उच्च न्यायालय में भेजने की गुजारिश की गई है.
पीठ ने 25 नवंबर को वह अपील खारिज कर दी थी जो एक उद्योगपति अशोक शर्मा ने दायर की थी. इस अपील में केंद्र सरकार को, 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट अमान्य किए जाने के फैसले से पहले बैंकों में लोगों द्वारा जमा किए गए धन को रोज निकालने पर लगाई गई रोक को हटाने का आदेश देने की मांग की गई थी.
उच्च न्यायालय ने अपना पूर्व का आदेश वापस लेने की मांग कर रहे आवेदन पर 30 नवंबर को अपना फैसला आज तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. अपील में आरोप लगाया गया था कि केंद्र सरकार ने अदालत में झूठा बयान दिया कि बैंकों से 24,000 रुपये निकालने की सीमा केवल 24 नवंबर तक थी जबकि यह सीमा अवधि बढा कर 30 दिसंबर कर दी गई है.