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रेलवे एक बड़ा औपनिवेशिक घोटाला था : शशि थरूर

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मुंबई: कांग्रेस नेता शशि थरुर ने आज कहा कि अंग्रेजों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए भारत में रेलवे की शुरुआत की और असल में यह ‘एक बडा औपनिवेशिक घोटाला’ था. थरुर ने कहा कि आम तौर पर इस तरह की धारणा रही है कि देश को रेल सुविधा प्रदान करने के लिए भारतीयों को […]

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मुंबई: कांग्रेस नेता शशि थरुर ने आज कहा कि अंग्रेजों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए भारत में रेलवे की शुरुआत की और असल में यह ‘एक बडा औपनिवेशिक घोटाला’ था. थरुर ने कहा कि आम तौर पर इस तरह की धारणा रही है कि देश को रेल सुविधा प्रदान करने के लिए भारतीयों को ब्रिटिशों का आभारी होना चाहिए, जो कि वास्तव में सही नहीं है.

तिरुवनंतपुरम से लोकसभा के सदस्य थरुर ने कहा, ‘‘हर कोई सोचता है कि ब्रिटिश ने हमें रेल दिया, क्या हमें आभारी नहीं होना चाहिए. हमें पता नहीं है कि रेलवे बहुत बडा औपनिवेशिक घोटाला था. रेलवे का मकसद दुर्गम माने जाने वाले भारत के भीतरी इलाके से सामान, खनिज, कच्चा माल निकालकर ब्रिटिशों की सेवा करना था. ‘ उन्होंने जोड़ा, ‘‘वहां सैनिक भेजकर, मजदूर को लाने और इन सामानों को भीतरी क्षेत्र से लाना था…ये था पहला उद्देश्य.
‘ थरूर यहां ‘टाटा लिटरेचर लाइव’ महोत्सव के सातवें संस्करण के शुभारंभ समारोह के दौरान प्रख्यात लेखक अमिताभ घोष से ‘द लेगेसी ऑफ राज’ के बारे में चर्चा कर रहे थे. इस अवसर पर अपनी किताब ‘एन इरा ऑफ डार्कनेस : द ब्रिटिश एम्पायर इन इंडिया’ का विमोचन करने वाले थरुर ने कहा कि रेलवे निर्माण उस समय समूचे ब्रिटिश बाजार में सबसे फायदेमंद, सुरक्षित निवेश था. उन्होंने कहा कि रेलवे जब शुरू हुआ तब नस्लवाद भरा हुआ था. केवल यूरोपीयन को टिकट कलेक्टर और स्टेशन मास्टर का पद मिलता था, बहुत बाद में एंग्लो इंडियन को भी इन पदों पर लिया जाने लगा. थरुर ने कहा कि इसके अलावा, भारतीय यात्री ब्रिटिशों की प्राथमिकता में कभी नहीं रहे.उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय यात्री उनकी प्राथमिकता में नहीं थे. उन्हें काठ की बेंच पर तीसरे दर्जे में स्थान मिलता था लेकिन उनसे दुनिया में किसी भी रेलवे में सबसे उंची यात्री कीमत अदा करना पडता था.’

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