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प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या 18 पहुंची, 18 लापता की तलाश जारी

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देहरादून : उत्तराखंड के पिथौरागढ और चमोली जिलों में लगातार बारिश के कारण तीन दिन पहले हुई बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या आज बढकर 18 हो गयी जबकि इतने ही अन्य लोग अब भी लापता है. लापता लोगों को ढूंढने के लिये सेना, अर्ध सैनिक बल और राज्य पुलिस […]

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देहरादून : उत्तराखंड के पिथौरागढ और चमोली जिलों में लगातार बारिश के कारण तीन दिन पहले हुई बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या आज बढकर 18 हो गयी जबकि इतने ही अन्य लोग अब भी लापता है. लापता लोगों को ढूंढने के लिये सेना, अर्ध सैनिक बल और राज्य पुलिस के जवान दिन-रात मलबा हटाने में जुटे हैं. उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार, 30 जून और एक जुलाई की दरम्यानी रात बादल फटने के कारण पिथौरागढ के सर्वाधिक प्रभावित डीडीहाट तहसील के बस्तेडी और मुनस्यारी तहसील के नोलेडा गांव में आज तीन शव और बरामद होने से जिले में मरने वालों की संख्या 15 हो गयी है.

चमोली जिले की घाट और चमोली तहसील में भारी बारिश के साथ बह गये तीन व्यक्तियों की मृत्यु को मिलाकर तीन दिन पहले आयी प्राकृतिक आपदा में अब तक मरने वालों का आंकडा 18 तक पहुंच गया है. राज्य के अधिकांश हिस्सों में पिछले तीन दिनों से रुक-रुक कर लगातार बारिश जारी है. इसके बावजूद आज भी पिथौरागढ और चमोली के आपदा प्रभावित इलाकों में लापता लोगों को खोजने के लिए लगातार मलबा हटाने का काम चल रहा है.

आज किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं

अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) अनिल रतूडी ने बताया कि भारी बारिश की वजह से आज किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है. उन्होंने बताया कि सेना, अर्ध सैनिक बल, राज्य पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा मोचन बल, के जवान बडी मुस्तैदी के साथ बस्तडी, नौलडा तथा अन्य आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मलबा हटाने में लगे हैं ताकि किसी भी संभावित जीवित व्यक्ति को बाहर निकाला जा सके. ज्ञात हो कि सेना के जवानों ने कल पिथौरागढ में एक बुजुर्ग महिला को जीवित निकाला था जिसकी जानकारी सेना ने ट्विटर पर दी है. इसी बीच, अनिल रतूडी ने बताया कि बस्तेडी गांव में लापता बताये जा रहे व्यक्तियों में से एक व्यक्ति जीवित मिला है. उसकी अभी तक पहचान नहीं हो पायी है क्योंकि हादसे के वक्त वह गांव में नहीं था.

राष्‍ट्रपति ने शोक संवेदना व्यक्त की

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी प्रदेश में अतिवृष्टि और बादल फटने की घटनाओं के कारण हुई व्यापक तबाही पर गहरी संवेदना व्यक्त की है जबकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इन घटनाओं पर दुख व्यक्त किया है. उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश में अतिवृष्टि की संभावनाओं को देखते हुए सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के अवकाश पर आगामी तीन माह तक रोक लगा दी है. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर आपदा प्रबंधन के लिये राज्य को 22 सैटेलाइट फोन के लाइसेंस की स्वीकृति जल्द से जल्द देने का अनुरोध किया है.

विद्युत व संचार सेवाएं पूरी तरह बाधित

पिथौरागढ जिले के बस्तेडी, नौलेडा, रिगोलिया, नाचनी और चर्मा में अतिवृष्टि, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं में 13 व्यक्ति घायल भी हुए हैं जिनमें से तीन की हालत नाजुक है. गंभीर घायलों को हेलीकाप्टर से पिथौरागढ जिला अस्पताल लाया गया है. इन सभी गांवों में विद्युत, जल आपूर्ति और संचार सेवा पूरी तरह बाधित है जिसे बहाल करने के प्रयास किये जा रहे हैं. इन घटनाओं में 16 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि 160 परिवार प्रभावित हुए हैं.

इन्हें राजकीय विद्यालयों और पंचायत घरों में बने राहत शिविरों में रखा गया है. चमोली जिले के गौली, वादुक, जाखणी, सिरजी में तेज बारिश के बाद बाढ आने और भूस्खलन की घटनाओं में जान-माल की हानि के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कई सडकें भी प्रभावित हुई हैं. रिषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग, बाजपुर और मैठाणा के पास मलबा आने के कारण बंद हैं. इसे खोलने का प्रयास जारी है. प्रभावित 28 परिवारों को जाखणीधाट में बने राहत शिविरों में रखा गया है.

राष्‍ट्रपति ने प्रणब मुखर्जी को लिखा पत्र

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रदेश के राज्यपाल डा कृष्णकांत पाल को पत्र लिखकर अतिवृष्टि से हुई घटनाओं पर अपनी संवेदना व्यकत की है. राष्ट्रपति ने लिखा है, ‘विगत दिनों भारी बारिश एवं बादल फटने के कारण हुई कई लोगों की मृत्यु संबंधी खबरों से मैं बहुत व्यथित हूं. मुझे मालूम है कि बचाव और राहत दल निरंतर वहां पर तैनात रहकर काम कर रहे है.’ आपदा प्रभावित परिवारों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए मुखर्जी ने घायलों के भी शीध्र स्वस्थ होने की कामना की है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष ने भी भारी बारिश के चलते हुई इन घटनाओं पर दुख और चिंता व्यक्त की तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से फोन पर बातचीत कर स्थिति का जायजा लिया. उपाध्याय ने बताया कि दोनों पार्टी नेताओं ने इस संबंध में कांग्रेस पार्टी की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया.

मुख्‍यमंत्री हरीश रावत ने राजनाथ से की बात

मुख्यमंत्री रावत ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से आपदा प्रबंधन के लिए राज्य को 22 नए सैटेलाईट फोन के लाईसेंस की स्वीकृति जल्द से जल्द देने का अनुरोध किया है. सिंह को लिखे पत्र में प्रति वर्ष उत्तराखण्ड में अतिवृष्टि से आपदा जैसी स्थिति हो जाने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए यहां वैकल्पिक संचार माध्यमों का होना जरुरी है. रावत ने राज्य पुलिस, एसडीआरएफ एवं अन्य राहत बचाव बलों द्वारा प्रयुक्त नेटवर्क के स्पैक्ट्रम शुल्क पर भी छूट देने का अनुरोध किया है. एक अन्य पत्र में रावत ने केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी रवि शंकर प्रसाद से एचएफ/बीएचएफ नेटवर्क का स्पेक्ट्रम तत्काल आवंटित करने का अनुरोध किया और कहा कि बचाव व राहत कार्यों को सुचारु रुप से सम्पन्न करने में मोबाईल व रेडियो संपर्क का बने रहना बहुत जरुरी है.

अधिकारियों के अवकाश पर तीन माह तक रोक

मुख्यमंत्री हरिश रावत ने प्रदेश में अतिवृष्टि की सम्भावनाओं को देखते हुए ऐहतियातन सभी सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के अवकाश पर आगामी तीन माह तक रोक लगा दी है. उन्होंने पूर्व में स्वीकृत कराई गई छुट्टियों को भी निरस्त करने के आदेश दिये हैं. वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य में अतिवृष्टि व भूस्खलन के कारण जानमाल की हानि, बचाव व राहत कार्यों की समीक्षा करने के बाद मुख्यमंत्री ने आपदा में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के लिए जिलाधिकारियों को 10-10 हजार रुपए की स्वीकृति दी तथा वन विभाग को निशुल्क लकडी उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिये.

बैठक में हुए कई निर्णय

रावत ने आपदा में जिलों को पहले से स्वीकृत राशि के अतिरिक्त भी आपताकालीन प्रकृति के कार्यो के लिये भी धनराशि स्वीकृत की. पिथौरागढ व चमोली को पांच-पांच करोड रुपए, अन्य पर्वतीय जिलों को तीन-तीन करोड रुपए, व मैदानी जिलों को एक-एक करोड रुपए की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की. अधिकारियों के साथ बैठक में इस बार के अपने रिस्पांस को पहले की अपेक्षा तीव्र और बेहतर बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आगे भी कोई घटना होने पर प्रभावित क्षेत्रों तक स्थानीय प्रशासन के लोग तत्काल पहुंचें ताकि लोगों को महसूस हो कि सरकार उनके साथ है.

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