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एयरलिफ्ट से मिलती-जुलती है “नारायण” की कहानी, सऊदी के जेल में बीताने पड़े 5 साल

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डिजीटल टीम फिल्म एयरलिफ्ट की कहानी खाड़ी देशों में काम कर रहे प्रवासी भारतीयों की जिंदगी की संघर्ष की कहानी कहती है. खाड़ी देशों में अच्छी जिंदगी का सपना पाले लोग वहां पहुंचते है, लेकिन जिंदगी कुछ इस तरह से यू टर्न ले लेती है कि वे खुद को जेल के दीवारों के बीच पाते […]

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डिजीटल टीम

फिल्म एयरलिफ्ट की कहानी खाड़ी देशों में काम कर रहे प्रवासी भारतीयों की जिंदगी की संघर्ष की कहानी कहती है. खाड़ी देशों में अच्छी जिंदगी का सपना पाले लोग वहां पहुंचते है, लेकिन जिंदगी कुछ इस तरह से यू टर्न ले लेती है कि वे खुद को जेल के दीवारों के बीच पाते हैं. केरल के नारायण मानगरथ की कहानी खाड़ी देशों में रह रहे मजदूरों के संघर्ष की कहानी बयां करती है. नारायण मानगरथ से प्रभात खबर डॉट कॉम ने बातचीत की.उनकी जिंदगी की कहानी में आप फिल्म एयरलिफ्ट से कई साम्य ढूंढ सकते हैं.

नारायण मानगरथ रोजगार की तलाश में 1990 में रियाद गये थे.शुरुआतके तीन साल अच्छे से बीते हालांकि उनके पास अब भी ज्यादा पैसे नहीं थे, फिर भी वो खुश थे. कम-से-कम इस आमदनी से वह अपने परिवार की देखभाल कर लेता था. लेकिन अचानक नारायण के स्पांसर का देहांत हो गया. उसकी परेशानियां बढ़ती जा रही थी.
अपनी माली हालात सुधारने के लिए नारायण को कई छोटे-मोटे काम करने पड़े. नारायण ने कार साफ करने का काम शुरू किया. एक दिन उसके पास एक इंसान कार साफ करवाने आया. ठीक आधे घंटे बाद किसी दूसरे इंसान ने खुद को पहले का भाई बताकर कार ले गया. अगले दिन नारायण पर चोरी का केस हुआ. इसके बाद नारायण के शांत और स्थिर जीवन में भूचाल आ जाता है और वह खुद को जेल में पाता है. नारायण बताते है कि उसे पांच साल जेल में रहना पड़ा .
पांच साल जेल में रहने के बाद वो वापस भारत आना चाहते थे लेकिन अब भी उनकी किस्मत उससे नाराज थी. उसके यात्रा करने पर पाबंदी लगा दी गयी थी. पाबंदी हटाने के लिए उन्हें 1,20,000 जुर्माना जमा करना था.नारायण के इस संघर्ष में समन्वय नाम के संगठन ने काफी साथ दिया. समन्वय सऊदी अरब में काम कर रहे भारतीयों का समाजिक – राजनीतिक संगठन है. समन्वय नाम के संगठन ने भारतीय दूतावास के साथ मिलकर नारायण को भारत वापस लाने में काफी अहम भूमिका निभायी.
अंतहीन परेशानियों का सामना कर रहे नारायण के परिवार वालों ने केरल में सरकार से संपर्क किया. इस काम में उनके स्थानीय विधायक ने भी मदद किया . भारत के विदेश मंत्रालय ने सऊदी अरब स्थित दूतावास में सपर्क किया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तत्परता से नारायण मानगरथ को इमरजेंसी पासपोर्ट मिल पाया अौर वे भारत लौट पाये. स्वदेश वापसी के बाद नारायण मानगरथ को उनकी खोई गरिमा वापस मिली, इसके लिए वे उन तमाम लोगों का धन्यवाद अदा करते हैं जिन्होंने स्वदेश वापसी में उनकी मदद की.

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