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गरीबी पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती : मोदी

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नयी दिल्ली : जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत केरुख पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि एक ही तरह के नियम सभी देशों पर लागू नहीं किए जा सकते क्योंकि उन्होंने पर्यावरण के लिए गरीबी की सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर पहचान की. मोदी ने कहा कि कभी-कभार पर्यावरण […]

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नयी दिल्ली : जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत केरुख पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि एक ही तरह के नियम सभी देशों पर लागू नहीं किए जा सकते क्योंकि उन्होंने पर्यावरण के लिए गरीबी की सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर पहचान की.

मोदी ने कहा कि कभी-कभार पर्यावरण के लिए चिंता को संकीर्ण तरीके से परिभाषित किया गया जबकि जलवायु न्याय के लिए जोरदार वकालत की. उन्होंने सतत विकास पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही. इस सम्मेलन में प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और अन्य ने हिस्सा लिया.
जलवायु परिवर्तन से लड़ने में संतुलित रवैये का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश की इससे निपटने की अपनी चुनौतियां और तरीके हैं और ‘‘अगर हम सभी देशों और सभी लोगों के लिए एक ही नियम लागू करते हैं तो यह कारगर नहीं होगा.’ उन्होंने कहा कि कोई रास्ता तभी टिकाउ होता है जब सारे हिस्सेदारों को लाभ हो.
उन्होंने कहा कि हिस्सा प्राकृतिक और अंतर्निहित होना चाहिए और ‘‘इसे उन लोगों को शामिल करने तक नहीं बढाया जा सकता है जो प्रछन्न मंशा से काम कर रहे हैं.’ भारत लगातार कह रहा है कि विकसित देश ऐतिहासिक रुप से प्रदूषण फैलाने वाले रहे हैं और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए उन्हें अधिक योगदान देना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘विधि का शासन कहता है कि दूसरे के गलत कृत्यों के लिए किसी को भी दंडित नहीं किया जा सकता. हमें इस बात को पहचानने की आवश्यकता है कि ऐसे अनेक लोग हैं जो जलवायु परिवर्तन की समस्या के लिए बेहद कम जिम्मेदार हैं. वे ऐसे लोग हैं जो अब भी आधुनिक सुविधाओं तक पहुंच की प्रतीक्षा करते हैं.’ उन्होंने कहा कि गरीब, कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समूह के लिए जलवायु आपदा से निपटने के लिए बेहद कम संसाधन हैं और उनकी मौजूदा और भावी पीढियां पर्यावरण पर कानूनों और समझौतों से बोझग्रस्त हैं.

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