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हैदराबाद छात्र आत्महत्या : अब दलित और ओबीसी के बीच फंसा रोहित

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नयी दिल्ली : हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रोहित वेमूला की खुदकुशी को लेकर जहां राजनीति गरमा गयी है वहीं दूसरी ओर उसकी जाति को लेकर भी संदेह पैदा होने लगा है. मीडिया में चल रही खबर के अनुसार रोहित के चाचा ने कहा है कि वह ओबीसी समुदाय से आता है. इस खबर के सामने […]

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नयी दिल्ली : हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रोहित वेमूला की खुदकुशी को लेकर जहां राजनीति गरमा गयी है वहीं दूसरी ओर उसकी जाति को लेकर भी संदेह पैदा होने लगा है. मीडिया में चल रही खबर के अनुसार रोहित के चाचा ने कहा है कि वह ओबीसी समुदाय से आता है. इस खबर के सामने आने के बाद रोहित के दलित होने के दावे पर भी सवाल खड़े हो गए है. बताया जा रहा है कि रोहित वेमूला ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी में सामान्य मेरिट वर्ग से प्रवेश लिया था लेकिन प्रवेश पत्र में उसने खुद को अनुसूचित जाति (एससी) बताया था.

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मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों ने जानकारी दी कि रोहित ने सामान्य मेरिट वर्ग से प्रवेश लिया था, इसलिए उन्हें यूनिवर्सिटी में एससी होने का प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं पड़ी थी. पुलिस ने जानकारी दी कि रोहित के चाचा ने बताया है कि वह वडेरा जाति से आता है जो आंध्र प्रदेश में पिछड़ी जाति (ओबीसी) में आता है. इस जाति के लोग यहां पत्थर काटने का काम करते हैं. पुलिस ने रोहित के चाचा का नाम उजागर नहीं किया है हालांकि रोहित की मां ने खुद को एससी जाति का बताया था.

आपको बता दें कि रोहित गुंटूर जिले का रहने वाला था और वह हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी में पीएचडी कर रहा था. रोहित को अंबेडकर स्टूडेंट यूनियन से जुड़ा बताया जा रहा है. उसे 12 दिन पहले हॉस्टल से सस्पेंड कर दिया गया था. इन छात्रों के समर्थन में 10 संगठन थे जिन्होंने रविवार को भूख हड़ताल की थी. रविवार को ही रोहित ने हॉस्टल के रुम में खुद को फंदे से लटका लिया था. इन संगठनों की मांग थी कि छात्रों के निलंबन को वापस लिया जाए. छात्र संगठनों का मानना है कि ये छात्र सामाजिक बहिष्कार के शिकार हैं.

उल्लेखनीय है कि रोहित व चार अन्य छात्रों पर भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता पर हमला करने का आरोप लगा था और इसी मामले में उन्हें यूनिवर्सिटी से निलंबित किया गया था. इस कारण रोहित व उसके साथियों को हॉस्टल में नहीं घुसने दिया जा रहा था और इस कारण उन्हें टेंट में सोना पड़ा था. जिन छात्रों पर मारपीट का आरोप लगा था वे सारे छात्र आंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन के सदस्य हैं.

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