भोपाल : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री के रुप में अपने कार्यकाल के दस साल पूरे करने के साथ ही इस पद पर इतने लम्बे समय तक रहने वाले प्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री होने का रुतबा भी हासिल कर लिया. हालांकि कार्यकाल के दौरान सरकारी भर्तियों और चिकित्सा पाठ्यक्रमों के प्रवेश में हुए व्यापमं घोटाले तथा लोकसभा सीट पर उपचुनाव में हार जैसी चुनौतियां भी उनके सामने आयी हैं.
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CM के रुप में चौहान ने पूरे किये दस साल, तोड़ा दिग्विजय का रिकार्ड
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भोपाल : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री के रुप में अपने कार्यकाल के दस साल पूरे करने के साथ ही इस पद पर इतने लम्बे समय तक रहने वाले प्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री होने का रुतबा भी हासिल कर लिया. हालांकि कार्यकाल के दौरान सरकारी भर्तियों और चिकित्सा पाठ्यक्रमों के […]

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चौहान ने आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के लगातार 10 साल तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड तोडा है, जो कि प्रदेश में वर्ष 2003 में भाजपा सत्ता में आने से पहले कांग्रेस शासन काल में 1993 से 2003 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इस उपलब्धि के अवसर पर भाजपा ने आज देर समारोहों का आयोजन किया है.
वर्ष 2003 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद राजनैतिक उथल पुथल के चलते प्रदेश को दो भाजपाई मुख्यमंत्री मिले. इसके बाद मुख्यमंत्री चौहान ने 29 नवंबर 2005 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तब से अबतक वह लगातार इस पद बने हुए हैं.
वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में वर्तमान केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने प्रदेश भर में तूफानी चुनाव प्रचार कर वर्ष 1993 से प्रदेश की बागडोर संभाल रहे दिग्विजय सिंह, जो राजा साहब या दिग्गी राजा के नाम से भी जाने जाते है, की सत्ता को उखाड फेंका था. वर्ष 2003 में भाजपा की सत्ता आने के बाद उमा भारती आठ दिसंबर 2003 से 22 अगस्त 2004 तक मुख्यमंत्री रहीं और बाद में बाबूलाल गौर 29 नवंबर 2005 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
यह विडंबना ही है कि वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह ने अपनी पूर्व रियासत के गृह क्षेत्र राघौगढ में चौहान को पराजित किया था, लेकिन कुदरत ने शायद चौहान के लिये कुछ अधिक ही तय कर रखा था, कि इस पराजय के दो साल बाद ही उन्हें बाबूलाल गौर के स्थान पर मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई.
बाबूलाल गौर को इसलिये मुख्यमंत्री पद से हटना पडा क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के कथित अपमान के एक मामले में हुबली जेल से रिहा होने के बाद उमा भारती ने पार्टी से उन्हें पुन: मुख्यमंत्री पद देने की मांग की थी. लेकिन पार्टी द्वारा उनकी यह मांग नहीं मानी गई और परिणामस्वरुप करीब पंद्रह साल के लंबे राजनैतिक जीवन के बाद चौहान को सीधे मुख्यमंत्री पद की कमान हासिल हुई.
चौहान पहली बार वर्ष 1989-90 में बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे और बाद में उन्हें उनकी इच्छा के खिलाफ लोकसभा चुनाव में प्रदेश के विदिशा संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया था. तब से वर्ष 2004 तक लगातार पांच दफे तक चौहान इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे. चौहान ने हालांकि भाजपा में कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दी लेकिन वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बनने से पहले उन्हें कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं था.
व्यापमं घोटाले के अलावा विपक्ष ने उन्हें डम्पर घोटाले में भी घसीटने की कोशिश की थी लेकिन इसमें उन्हें न्यायालय से क्लीन चीट मिल गई. व्यापमं घोटाले पर चौहान ने कहा, ‘‘इस मामले की सख्त जांच की जा रही है. यह मामला सामने आने के बाद प्रदेश में हमने प्रवेश और भर्तियों के लिये एक पारदर्शी व्यवस्था बनाने का प्रयास किया है जबकि इससे पहले प्रदेश में ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं थी.” भाजपा को हाल ही में रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी हार झेलनी पडी.
उन्होंने कहा, ‘‘व्यापमं के जरिये कुल 6 लाख उम्मीदवारों ने विभिन्न परीक्षाएं दीं और इनमें से 3.55 लाख उम्मीदवार चुने गये. हमारा विश्वास है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं हुआ है. व्यापमं घोटाला सामने आने के बाद केवल 1600 मामलों में गडबडियां सामने आई हैं जो कि कुल का मात्र 0.01 प्रतिशत है. मुझे पूरा यकीन है कि अन्य राज्यों में गडबडियों का यह प्रतिशत निश्चित तौर पर इससे अधिक ही होगा.” चौहान ने कहा कि झाबुआ जिले के पेटलावद विस्फोट जिसमें 89 लोगों की मौत हो गयी और दतिया जिले के रतनगढ़ मंदिर में हुई भगदड जिसमें 115 लोगों की जान गई जैसे हादसों ने उन्हें बुरी तरह झकझोर दिया था.
रतलाम-झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की पराजय को ज्यादा तरजीह न देते हुए 65 वर्षीय विशराज सिंह चौहान ने आंकडों के हवाले से बताया, ‘‘जब से मैं मुख्यमंत्री बना हूं प्रदेश में कुल 21 उप चुनाव हुए हैं इनमें से हमने 15-16 में जीत हासिल की और 5-6 में हमें हार का सामना करना पडा. हार और जीत चुनावी राजनीति का एक हिस्सा है और लोगों को इसे इसी रुप में लेना चाहिये.”
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास के आंकडे सामने रखते हुए अपनी उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘‘अपने शुरुआत के कार्यकाल में मैंने प्रदेश का बुनियादी ढांचा जैसे सडक, बिजली, पानी की सुविधाओं को विकसित करने पर ध्यान केंद्रीत किया था. उच्च गुणवत्ता की सडको के निर्माण के साथ ही प्रदेश में वर्तमान में 15,500 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है.
इसके साथ ही प्रदेश की सिंचाई क्षमता 7.5 लाख हेक्टेयर से बढकर 36 लाख हेक्टेयर हो गई है और खाद्यान्न उत्पादन 166 लाख मीट्रिक टन से बढकर 450 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष हो गया है.” इधर कांग्रेस के महासचिव दिग्वियजय सिंह ने संवाददाताओं से प्रदेश के मुख्यमंत्री की इस विकास गाथा को ‘काल्पनिक” आंकडों पर आधारित बताते हुए कहा, ‘‘एक कहावत है कि जो पेड लगाता है वह उसका फल नहीं खा पाता.
यही बात चौहान पर लागू होती है क्योंकि जिन योजनाओं को हमने शुरु किया था, वह आज उनके फलों का आनंद ले रहे हैं.” उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘प्रदेश के अधिकारी हेराफेरी कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली खाद्यान्न के आंकडों और अन्य राज्यों से यहां लाकर बेचे जाने वाले उत्पादों के आंकडों को मिलाकर प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन का आंकडा बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रहे हैं.” मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दस वर्ष के कार्यकाल पूर्ण करने के अवसर पर प्रदेश भाजपा ने आज यहां एक समारोह का आयोजन किया है.
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