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मतदाता पंजीकरण में अंतिम तिथि को लेकर फंसा पेंच

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नयी दिल्ली : युवा नागरिकों को 18 वर्ष का होने के बाद जल्द से जल्द मतदाताओं के रुप में पंजीकृत करने की दिशा में भले ही कई तरह की कानूनी बाधाएं हों लेकिन चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि वह मतदाता पंजीकरण के लिए कई अंतिम तिथियां तय करने के अपने प्रस्ताव को लेकर […]

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नयी दिल्ली : युवा नागरिकों को 18 वर्ष का होने के बाद जल्द से जल्द मतदाताओं के रुप में पंजीकृत करने की दिशा में भले ही कई तरह की कानूनी बाधाएं हों लेकिन चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि वह मतदाता पंजीकरण के लिए कई अंतिम तिथियां तय करने के अपने प्रस्ताव को लेकर सरकार के पास जाएगा. चुनाव आयोग ने औपचारिक तौर पर कानून मंत्रालय से कहा है कि वह आगामी दिनों में इस मुद्दे पर चर्चा करें. बैठक में आयोग के शीर्ष अधिकारी और कानून मंत्रालय के अधिकारी शामिल हो सकते हैं. एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि आयोग बैठक के आधार पर फैसला करेगा. कानून मंत्रालय में विधायी विभाग निर्वाचन आयोग के लिए प्रशासनिक मंत्रालय है.

उधर, कानून मंत्रालय के अनुसार, नियमों में बदलाव से या फिर जन प्रतिनिधि कानून में संशोधन तक से कोई खास लाभ नहीं होगा.
कई अंतिम तिथियां रखने के मामले में सरकार में उत्साह की कमी की ओर इशारा करते हुए कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह नीति निर्माताओं को तय करना है कि क्या कई अंतिम तिथियां रखने की वाकई जरुरत है? एक ही अंतिम तिथि होने के कारण प्रभावित होने वालों की संख्या एक प्रतिशत से भी कम है.

मतदाताओं के पंजीकरण के लिए एक से अधिक अंतिम तिथियां रखने की आयोग की योजना को हाल ही में अटॉर्नी जनरल ने लाल झंडी दिखा दी थी. उन्होंने कहा था कि यह संविधान के प्रावधानों के विपरीत है. चुनाव आयोग ने पिछले साल सरकार से कहा था कि मतदाता पंजीकरण की अंतिम तारीख एक जनवरी होने की वजह से कई युवा मतदान की प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित रह जाते हैं.
कानून मंत्रालय ने इस कदम का विरोध किया था लेकिन आयोग की ओर से लगातार की जाने वाली मांगों के चलते मंत्रालय ने यह मामला अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के पास उनकी राय जानने के लिए भेज दिया था. रोहतगी ने कानून मंत्रालय के रुख का समर्थन किया कि एक से ज्यादा अंतिम तिथियां रखना संविधान के अनुच्छेद 326 से ‘विरोधाभास’ रखता है और ऐसी व्यवस्था व्यवहारिक नहीं है.

मंत्रालय और अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अनुच्छेद 326 अंतिम ‘तिथि’ की बात कहता है कि ‘तिथियों’ की नहीं. मतदाता पंजीकरण के मुद्दे पर निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी वर्ष विशेष में होने वाले चुनाव के लिए सिर्फ वही व्यक्ति मतदाता सूची के लिए अपना पंजीकरण करवा सकता है जो एक जनवरी को 18 साल का हो चुका हो.

चुनाव आयुक्त का कहना है कि मौजूदा व्यवस्था का नतीजा यह होता है कि यदि कोई व्यक्ति दो जनवरी को 18 साल का हो रहा है तो भी वह पंजीकरण नहीं करवा सकता. इसलिए एक जनवरी के बाद 18 साल का होने वाले लोगों को पंजीकरण के लिए अगले साल तक का इंतजार करना पडता है. और यदि इसी दौरान चुनाव हो रहे हों तो फिर उन्हें एक लंबे समय तक इंतजार करना पडेगा.
संविधान का अनुच्छेद 326 कहता है कि कोई भी व्यक्ति, जो भारत का नागरिक हो और उपयुक्त विधानपालिका द्वारा बनाए गए कानून के आधार पर या उसके तहत तय की गई :अंतिम: ‘तिथि’ पर 18 साल से कम उम्र का नहीं हो, वह किसी भी ऐसे चुनाव में मतदाता के रुप में पंजीकरण का अधिकारी होगा.

अनुच्छेद 326 कहता है, ‘‘लोकसभा चुनाव और हर राज्य के विधानसभा चुनाव का आधार वयस्क मताधिकार होना चाहिए. इसका अर्थ हर उस व्यक्ति से है, जो भारत का नागरिक है और जिसकी उम्र उपयुक्त विधानपालिका द्वारा बनाए गए किसी कानून के द्वारा या तहत तय की गई ‘तिथि’ पर 21 साल :बाद में इसे संशोधित करके 18 साल किया गया: से कम न हो. 1970 के दशक की शुरुआत में एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि मतदाता के रुप में पंजीकृत होने के लिए जरुरी उम्र पूरी करने वाले लोगों के पंजीकरण के लिए एक से ज्यादा तिथियां- एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्तूबर- रखी जाएं. लेकिन यह प्रस्ताव फलीभूत नहीं हो सका था.

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