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डीयू की ”ज्ञानोदय एक्सप्रेस” को मिल सकता है लाल सिग्नल ?

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नयी दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय की ‘कॉलेज ऑन व्हील्स’ परियोजना- ज्ञानोदय एक्सप्रेस के सफर में इस साल बाधा आ सकती है क्योंकि विश्वविद्यालय द्विवार्षिक शैक्षिक दौरों के लिए अब तक कोष संबंधी विकल्पों की तलाश कर रहा है. यह परियोजना पूर्व कुलपति दिनेश सिंह ने वर्ष 2012 में शुरु की थी. विवादित कार्यकाल पूरा होने […]

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नयी दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय की ‘कॉलेज ऑन व्हील्स’ परियोजना- ज्ञानोदय एक्सप्रेस के सफर में इस साल बाधा आ सकती है क्योंकि विश्वविद्यालय द्विवार्षिक शैक्षिक दौरों के लिए अब तक कोष संबंधी विकल्पों की तलाश कर रहा है. यह परियोजना पूर्व कुलपति दिनेश सिंह ने वर्ष 2012 में शुरु की थी.

विवादित कार्यकाल पूरा होने के बाद सिंह पिछले माह ही सेवानिवृत्त हुए हैं. वर्ष 2015 में अब तक विश्वविद्यालय ने ऐसा कोई दौरा आयोजित नहीं किया है. वर्ष 2012 में सिंह के विचार की विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ ने आलोचना की थी. शिक्षक संघ ने इसे गैरकानूनी बताते हुए दावा किया था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसके लिए कोई कोष स्वीकृत नहीं किया है.

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डीयूटीए) ने जब सिंह को हटाने की मांग करते हुए उनके खिलाफ ‘श्वेत पत्र’ जारी किया था तो उसमें भी इस मुद्दे का जिक्र था. इस परियोजना की शुरुआत विश्वविद्यालय के कोषों का उपयोग करते हुए हुई थी और वर्तमान प्रशासन के लिए ऐसा करना बहुत मुश्किल है.

विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने के अनुरोध के साथ बताया ‘ऐसी किसी यात्रा के लिए करीब 2 करोड रुपये की फंडिंग की जरुरत होती है. विश्वविद्यालय के सालाना बजट की नियम पुस्तिका में हालांकि ऐसे किसी कोष के आवंटन का कोई जिक्र नहीं है.’ अधिकारी ने बताया ‘हम आश्वस्त नहीं हैं कि इतनी बडी राशि की व्यवस्था कैसे की जा सकती है. इसलिए परियोजना चलती रहेगी या नहीं, इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है.’

ज्ञानोदय एक्सप्रेस के प्रत्येक दौरे के लिए विश्वविद्यालय ने परियोजना और अनुसंधान संबंधी विचार पेश किए जाने के आधार पर करीब 1,000 छात्रों का चयन किया और उन्हें दौरे पर भेजा. इसका भुगतान खुद संस्थान ने किया. एक्सप्रेस के एक डिब्बे को कक्षा में तब्दील कर दिया जाता था और विश्वविद्यालय के सामुदायिक रेडियो का उपयोग ट्रेन से कार्यक्रमों के सीधे प्रसारण के लिए किया जाता था. दौरे के समापन के बाद छात्र अपने प्रोजेक्ट के दस्तावेज तैयार करते थे.

यह विशेष ट्रेन ‘इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन’ तथा दिल्ली विश्वविद्यालय का संयुक्त प्रयास है और अब तक यह गुजरात, मुंबई, गोवा, बेंगलूर, राजस्थान तथा पंजाब आदि को कवर करते हुए पांच दौरे संपन्न कर चुकी है. पिछले तीन साल में कार्यक्रम के तहत 4,500 से ज्यादा छात्रों ने देश भर का दौरा किया. वर्ष 2013 में लंदन स्थित एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी और किंग्स कॉलेज के 200 छात्रों ने भी डीयू के छात्रों के साथ पंजाब का दौरा किया था.

वर्ष 2013 में सिंह ने डीयू के 91वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान घोषणा की थी कि विश्वविद्यालय भारतीय रेलवे से एक ट्रेन खरीदने की प्रक्रिया में है ताकि छात्रों को कक्षा से बाहर ले जा कर सिखाया जा सके. हालांकि अब तक ट्रेन खरीदने संबंधी कोई पहल नहीं हो पाई है.

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