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पड़ोस से उपजने वाला आतंकवाद देश की सुरक्षा के लिये बडा खतरा : प्रणब मुखर्जी

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अम्मान : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान का संदर्भ देते हुए आज कहा कि ‘हमारे पडोस’ से उत्पन्न आतंकवाद भारत के लिए बडा सुरक्षा खतरा बना हुआ है और इस चुनौती से निपटना अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अहम प्राथमिकता होनी चाहिए. प्रणब ने कहा कि दशकों से लंबित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि […]

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अम्मान : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान का संदर्भ देते हुए आज कहा कि ‘हमारे पडोस’ से उत्पन्न आतंकवाद भारत के लिए बडा सुरक्षा खतरा बना हुआ है और इस चुनौती से निपटना अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अहम प्राथमिकता होनी चाहिए. प्रणब ने कहा कि दशकों से लंबित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को यथाशीघ्र मंजूर किया जाना चाहिए. इससे देशों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए अपनी धरती का इस्तेमाल होने देने पर रोक लगेगी जिससे मानवता का भला होगा. जार्डन विश्वविद्यालय में डाक्टरेट की मानद उपाधि ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, ‘हमारे पडोस से उपजने वाला आतंकवाद हमारे लिये बडा खतरा बना हुआ है.

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उन्‍होंने कहा कि हमारा विश्वास है कि इस चुनौती से निपटना अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एक बडी प्राथमिकता होनी चाहिए. भारत का मानना है कि आतंकवादियों की पहचान करने और उससे निपटने में देशों को चयनात्मक नीति नहीं अपनानी चाहिए. खासकर उनको जो ऐसी ताकतों को अपनी धरती पर पनपने दे रहे हैं. इससे अंतत: इन ताकतों से उन्हीं को खतरा पैदा होगा.’ राष्ट्रपति ने हालांकि पाकिस्तान का नाम नहीं लिया लेकिन ‘भारत के पडोस’ और अन्य टिप्पणियों से यह लगभग स्पष्ट हो गया है कि वह किसका उल्लेख कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि भारत विदेश और आंतरिक नीतियों में शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है और रहेगा. राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमारे पडोस में अस्थिरता हमारी सुरक्षा को खतरा पैदा कर सकती है और हमारी प्रगति को धीमा कर सकती है. ऐसे समय में जबकि पूरा विश्व आतंकवाद से प्रभावित है, यह समझना बहुत जरुरी है कि भारत चार दशकों से अधिक से इस बुराई से जूझ रहा है.’ उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने जार्डन के पायलट मुआत अल कसास्ब एह की निर्मम हत्या की निंदा की थी और आतंकवाद की इस बुराई से लडने में क्षेत्रीय और अतंरराष्ट्रीय प्रयासों को दिशा देने के लिए जार्डन के प्रयासों की सराहना की थी.

मुखर्जी ने कहा, ‘भारत आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत हैं. हम संयुक्त राष्ट्र, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1373 (2011) और 2006 में अपनाये गये संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद निरोधी (जीसीटीएस) के तहत आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने के लिए सभी देशों से इसके पूर्ण एवं सार्वभौम अनुपालन की मांग करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘भारत चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को जल्द से जल्द अंतिम रूप दे और उसे अपनायें. ये दशकों से लंबित पडी है. यह समग्र संधि देशों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए अपनी धरती का आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने से रोकेगी जिससे पूरी मानवता का भला होगा.’ राष्ट्रपति ने कहा कि इसे अपनाये जाने से देश आतंकवाद के विरुद्ध आपसी सहयोग करने में सक्षम होंगे और आतंकवाद को बढावा देने, साजिश रचने, वित्त पोषण करने, सहयोग करने वालों को दंडित करने में सक्षम होंगे.

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