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जीएसटी बिल को विशेष सत्र में भी पारित करवाने में जयललिता व नीतीश कुमार की भूमिका होगी अहम

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नयी दिल्ली : संविधान संशोधन बिल जीएसटी को पारित करवाने के मद्देनजर आज ऐतिहासिक दिन है. मंगलवार को राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी बिल को पेश कर दिया था, लेकिन हंगामे के कारण उस पर चर्चा नहीं हो सकी थी, ऐसे में आज न सिर्फ देश बल्कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की नजर […]

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नयी दिल्ली : संविधान संशोधन बिल जीएसटी को पारित करवाने के मद्देनजर आज ऐतिहासिक दिन है. मंगलवार को राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी बिल को पेश कर दिया था, लेकिन हंगामे के कारण उस पर चर्चा नहीं हो सकी थी, ऐसे में आज न सिर्फ देश बल्कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की नजर भी भारतीय संसद पर टिकी है. दुनिया टकटकी लगाये हुए है कि क्या भारत के उच्च सदन राज्यसभा में आज जीएसटी बिल पारित हो सकेगा. अगर जीएसटी बिल आज राज्यसभा में पारित हो जायेगा, तो लोकसभा में में इसका पारित होना अपेक्षाकृत अधिक आसान हो जायेगा.

कल जब जीएसटी पर हंगामे के कारण चर्चा नहीं हो सकी, तो वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सदन से बाहर आकर कांग्रेस पर करारा हमला किया और सोनिया गांधी व राहुल गांधी के जिद के कारण देश की प्रगति की रफ्तार रोकने का आरोप लगाया. जिसके बाद कांग्रेस ने बकायदा प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि वह जीएसटी के विरोध में नहीं है, बल्कि इसके मौजूदा स्वरूप में विरोध में है. कांग्रेस ने जीएसटी में कई संशोधन की मांग भी उठा दी. उपर से उसने यह भी कहा कि इसके लिए सरकार को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मंजूरी लेनी चाहिए, जो सरकार ने नहीं लिया. वहीं, सरकार का कहना है कि इसकी मंजूरी पिछले सत्र में ली गयी थी और जब सेंस ऑफ हाउस इस बिल के पक्ष में है, तो इसकी बहुत जरूरत नहीं है.
जीएसटी बिल पारित करवाने की रणनीति व जरूरत
जीएसटी 122वां संविधान संशोधन बिल है. मॉनसून सत्र का कल आखिरी दिन है और ऐसे में यह देखना अहम होगा कि कल तकयह बिल उच्च सदन में पारित हो पाता है या नहीं. भाजपा प्रवक्ता व राज्यसभा सदस्य एमजे अकबर के अनुसार, जीएसटी बिल संविधान संशोधन विधेयक है, ऐसे में इसे हाउस में पारित करवाने के दौरान सदन में हो हंगामा नहीं होना चाहिए और शांतिपूर्ण ढंग से वोटिंग के माध्यम से चीजें तय होनी चाहिए. उनके अनुसार, हंगामे के बीच संविधान संशोधन बिल को नहीं पारित करवाया जा सकता है.
संविधान संशोधन बिल जीएसटी को पारित दोनों सदनों में अलग-अलग ही कम से कम 50 प्रतिशत सांसदों की मौजूदगी में करवाया जा सकता है. और, इसे पारित करवाने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत है. लोकसभा में सांसदों का यह गणित पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में है. हालांकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में सरकार को इस बिल को पारित करवाने के लिए 163 सांसदों के समर्थन की जरूरत है, जिसे भाजपा या एनडीए अकेले अपनी बदौलत नहीं जुटा सकते हैं. हां, यूपीए और लेफ्ट को मिलाकर उनके लगभग 70 राज्यसभाा सदस्यों को माइनस कर दिया जाये और दूसरी सभी पार्टियां का समर्थन मिल जाये तो यह विधेयक पारित हो जायेगा.
अगर मौजूदा सत्र में जीएसटी पारित नहीं हो पाता है, तो जैसा कि वित्तमंत्री अरुण जेटली संकेत दे चुके हैं कि इस बिल को पारित करवाने सरकार विशेष सत्र बुला सकती है. विशेष सत्र में सिर्फ जीएसटी पर चर्चा होगी. संसदीय परंपरा के अनुसार, संयुक्त सत्र में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई वाला यूपीए व विपक्ष वैसे में संसद में सुषमा स्वराज, वसुधंरा राजे व शिवराज सिंह चौहान के मुद्दे पर शोर शराबा नहीं कर सकेगा और सिर्फ उस विधेयक पर चर्चा होगी और वोटिंग के माध्यम से उसका भविष्य तय किया जायेगा. यह भी देखना दिलचस्प होगा कि जीएसटी बुलाने के लिए सरकार विशेष सत्र बिहार चुनाव के पहले या फिर बाद में बुलाती है.
जीएसटी की कुंजी जयललिता और नीतीश के पास!
जीएसटी विधेयक को राज्यसभा में पारित करवाने में दो प्रमुख राजनीतिक दलों का रुख अहम है. ये दल हैं अन्नाद्रमुक व जदयू. अन्नाद्रमुक मौजूदा परिस्थितियों में इस बिल के पक्ष में नहीं है. जबकि, जदयू अबतक इस बिल के समर्थन में खुले तौर पर रहा है. वह अब भी इसके समर्थन का दावा कर रहा है. दरअसल, विर्निमाण में आगे होने के कारण तमिलनाडु को इस विधेयक के पास होने से आर्थिक नुकसान हो सकता है, जबकि बिहार जैसे विकासशील राज्य को लाभ होगा. इस बिल को पारित करवाने के लिए इन दोनों दलों की रुचि या अरुचि अपने-अपने राज्य तमिलनाडु व बिहार के नफे-नुकसान से जुडी है. हालांकि राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव के कारण नीतीश कुमार व नरेंद्र मोदी के बीच जारी राजनीतिक जंग के कारण बिल को लेकर जदयू के स्टैंड पर संदेह है. उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में अन्नाद्रमुक व जदयू दोनों के पास 12-12 यानी कुल 24 सांसद हैं. अगर, बिल पास करवाने के समय कांग्रेस सदन से शांतिपूर्ण ढंग से वाकआउट कर जाती है, तो भाजपा सरकार दूसरे राजनीतिक दलों के सहयोग से इसे पारित करवा सकती है. सपा, तृणमूल कांग्रेस व बीजेडी जैसे अहम राजनीतिक दल इस बिल के खुले समर्थन में हैं.
जीएसटी से क्या बदलेगा और जीएसटी लागू नहीं होने से क्या बिगडेगा?
जीएसटी देश में एक कर प्रणाली की व्यवस्था करने वाला विधेयक है. वर्तमान में चार अलग-अलग प्रकार की कर प्रणाली देश में है. आर्थिक जानकारों का कहना है इस बिल के पारित होने के कारण देश का जीडीपी एक से दो प्रतिशत तक बढ जायेगा. इससे बडी संख्या में नयी नौकरियां उत्पन्न होंगी, जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा. विकास दर तेज होगी. राज्यों के बीच की आर्थिक खाई को भी पाटने में अप्रत्यक्ष मदद मिलेगी. देश में हर वस्तु हर जगह एक ही कीमत पर मिलेगा. टैक्स प्रणाली अधिक पारदर्शी-व्यवस्थित होगी. दुनिया के 193 देशों में से 160 देश अबतक जीएसटी अपना चुके हैं. जीएसटी लागू होने से विदेश निवेशकों का आकर्षण भारतीय अर्थव्यवस्था की ओर बढेगा. निवेश आने से रोजगार व आर्थिक दर बढने में मदद मिलेगी. और, अगर यह विधेयक पारित नहीं हो सका और फिर 2016 अप्रैल में लागू नहीं हो सका, तो घरेलू व विदेशी निवेश का माहौल खराब होगा और देश के आर्थिक हित को क्षति होगी.

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