लाहौर: मुंबई हमलों के सरगना जकी उर रहमान लखवी को मिली जमानत को पाकिस्तान सरकार शायद दोबारा चुनौती नहीं देगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने जमानत रद्द करने के मामले में सरकार की ‘अपनी कमजोरियों’ का जिक्र करते हुए यह बात कही , जबकि 26: 11 मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए तय समय सीमा खत्म हुए एक महीने से अधिक हो गया है. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने लखवी की जमानत को रद्द करने के लिए दायर सरकार की याचिका का निपटारा करने के दौरान मुंबई हमला मामले को संपन्न करने के लिए अप्रैल में दो महीने की समय सीमा तय की थी.
Advertisement
पाक सरकार लखवी की जमानत को दोबारा चुनौती नहीं देगी:अधिकारी
Advertisement
लाहौर: मुंबई हमलों के सरगना जकी उर रहमान लखवी को मिली जमानत को पाकिस्तान सरकार शायद दोबारा चुनौती नहीं देगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने जमानत रद्द करने के मामले में सरकार की ‘अपनी कमजोरियों’ का जिक्र करते हुए यह बात कही , जबकि 26: 11 मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए तय समय सीमा […]
ऑडियो सुनें
उच्च न्यायालय ने भी घोषणा की थी कि यदि निचली अदालत दो महीने में और मध्य जून तक मामले को संपन्न करने में नाकाम रहती है तो वह लखवी की जमानत रद्द कर देगा.हालांकि, उच्च न्यायालय द्वारा तय समय सीमा को खत्म हुए डेढ महीना गुजर गया है लेकिन लखवी की जमानत को दोबारा चुनौती देने के बारे में सरकार ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार द्वारा लखवी की जमानत को दोबारा चुनौती देने की संभावना नहीं है. मूल रुप से उच्च न्यायालय ने सरकार की याचिका का निपटारा करने के दौरान यह भी कहा कि यदि बचाव पक्ष (लखवी) के वकील मामले में देर के लिए जिम्मेदार पाए जाते हैं तो अदालत उसकी जमानत रद्द कर सकती है लेकिन जमीनी स्थिति बिल्कुल अलग है.उन्होंने कहा कि मामले में देर अभियोजन पक्ष के कुछ सदस्यों की ओर से की गई जिन्हें सरकार हर सुनवाई में पेश होने के लिए अच्छी खासी रकम देती है.
उन्होंने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय की दो महीने की समय सीमा के गुजर जाने के बाद सरकार लखवी की जमानत को दोबारा कैसे चुनौती दे सकती है जब इसके अपने ही कुछ अभियोजक मामले में देर के लिए जिम्मेदार हैं.’’ सरकार ने लाहौर के वकील मिसबाह उल हसन काजी और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अकरम कुरैशी को कुछ महीने पहले काम पर रखा था क्योंकि मुंबई हमला मामले के अभियोजक मामले को सक्रियता से आगे बढाना चाहते थे.
अधिकारी ने कहा कि लेकिन ऐसा नहीं हुआ. काजी और कुरैशी हर सुनवाई में पेश होने के लिए मोटी रकम ले रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने लाखों रुपये के एक अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किया है. मामले की सुनवाई जितनी खिंचेगी, उन्हें उतना अधिक पैसा मिलेगा.
उन्होंने लखवी की जमानत को अपनी खुद की कमजारियों के चलते दोबारा चुनौती नहीं देने की सरकार की योजना होने की बात से इनकार किया.गौरतलब है कि भारत सरकार ने सुनवाई में धीमी प्रगति होने का विरोध किया है और पिछले साल दिसंबर में जमानत पर लखवी के रिहा होने के बाद इसके द्वारा आलोचना बढ गई.
अधिकारी ने बताया कि काजी और कुरैशी ने अभियोजन एजेंसी से फीस के तौर पर तीन..तीन करोड रुपये का दावा किया है. यदि नये वकीलों के फीस का मुद्दा नहीं सुलझा तो मामले की कार्यवाही प्रभावित हो सकती है.लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा पंजाब सरकार के आदेश को निरस्त किए जाने के बाद 10 अप्रैल को 55 वर्षीय लखवी को रावलपिंडी के अदियाला जेल से रिहा कर दिया गया था.
ट्रेंडिंग टॉपिक्स
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Word Of The Day
Sample word
Sample pronunciation
Sample definition