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सामने आये पाक के नापाक मंसूबे, लखवी की आवाज का नमूना देने से किया इनकार

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लाहौर/ नयी दिल्ली : पाकिस्तान सरकार ने मुंबई हमले के सरगना और लश्कर ए तैयबा के ऑपरेशन कमांडर की आवाज का सैंपल देने से इनकार कर दिया है. पाकिस्तान सरकार ने अपना रुख दो दिनों के अंदर बदल लिया. पहले पाक आवाज का नमूना देने के लिए राजी था लेकिन अचानकर उसने नमूना ना देने […]

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लाहौर/ नयी दिल्ली : पाकिस्तान सरकार ने मुंबई हमले के सरगना और लश्कर ए तैयबा के ऑपरेशन कमांडर की आवाज का सैंपल देने से इनकार कर दिया है. पाकिस्तान सरकार ने अपना रुख दो दिनों के अंदर बदल लिया. पहले पाक आवाज का नमूना देने के लिए राजी था लेकिन अचानकर उसने नमूना ना देने का फैसला लिया. गौरतलब है कि दो दिन पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आवाज का नमूना देने की बात स्वीकार की थी. आवाज का नमूना ना देने के पीछे

अभियोजन टीम के प्रमुख चौधरी अजहर ने तर्क दिया कि मुंबई आतंकवादी हमले की सुनवाई कर रही रावलपिंडी की एक अदालत ने चार साल पहले लखवी की आवाज के नमूने हासिल करने की एक अर्जी इस आधार पर खारिज कर दिया था. ऐसा कोई कानून देश में मौजूद नहीं है जो किसी आरोपी की आवाज का नमूना प्राप्त करने की इजाजत देता हो.
अजहर ने कहा कि पाकिस्तान सरकार मुंबई हमला मामले में लखवी की आवाज हासिल करने के लिए आतंकवाद रोधी अदालत में कोई नयी याचिका दायर नहीं करेगी. लखवी फिलहाल साक्ष्य के अभाव में जमानत पर रिहा है.
क्या कहा पाक उच्चायुक्त ने
पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने मुंबई हमलों के सरगना जकी उर रहमान लखवी की आवाज के नमूने के लिए सरकार द्वारा कोई नई याचिका दायर नहीं करने के इसके अभियोजकों के बयान पर समय से पहले निष्कर्ष निकालने के प्रति आज आगाह किया.
बासित ने कहा कि दोनों देशों ने रावलपिंडी की एक आतंकवाद रोधी अदालत में मुंबई हमले की सुनवाई को तेज करने के तौर तरीकों पर चर्चा करने के लिए अब तक बैठक नहीं की है, जिसके लिए शुक्रवार को एक संयुक्त बयान में सहमति बनी थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच रुसी शहर उफा में वार्ता के बाद यह संयुक्त बयान जारी किया गया था.
बासित ने कहा, ‘‘मैं आपसे एक बार फिर संयुक्त बयान पढने का अनुरोध करुंगा जिसमें स्पष्ट रुप से कहा गया है कि दोनों देश सुनवाई को तेज करने के तौर तरीकों पर चर्चा करेंगे.’’
शरीफ के इस सिलसिले में मोदी को वादा किए जाने के बाद लश्कर ए तैयबा के ऑपरेशन कमांडर लखवी की आवाज का नमूना मुहैया करने के मुद्दे पर पाकिस्तान के अपने रुख से पलटने के बारे में संवाददाताओं द्वारा पूछे जाने पर बासित ने कहा, ‘‘दोनों देशों ने तौर तरीकों पर चर्चा के लिए बैठक नहीं की है. इसलिए हमें इंतजार करने दीजिए और समय से पहले निष्कर्ष नहीं निकालें.’’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा यहां दी गई इफ्तार में बासित ने यह कहा.पाकिस्तान की अभियोजन टीम के प्रमुख चौधरी अजहर ने लाहौर में कहा कि सरकार लखवी की आवाज का नमूना हासिल करने का अनुरोध करने के लिए निचली अदालत में कोई नयी याचिका दायर नहीं करेगी.
क्या कह रही है कांग्रेस
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने पाकिस्तानी अभियोजक के बयान को लेकर मोदी सरकार को आडे हाथ लिया. उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान संयुक्त बयान के परवान चढने से पहले ही इसका समूचा आधार ध्वस्त हो गया है. ये बयान कुछ और नहीं, बल्कि मामूली बात है.उन्होंने पूछा कि लखवी की अवाज का नमूना पाने के मुद्दे पर भारत सरकार अब क्या करने जा रही है.
थरुर ने सरकार से पूछा, पाकिस्तान वार्ता के लिए कितना गंभीर है?
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरुर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच द्विपक्षीय बातचीत के नए दौर से पहले सरकार को देखना चाहिए कि पाकिस्तान इसे लेकर कितना गंभीर है. यदि वह आतंकवाद के मसले पर सहयोग करने के लिये तैयार नहीं है तो बातचीत का कोई अर्थ नहीं है.
थरुर ने आज फिक्की लेडीज आर्गेनाइजेशन की ओर से आयोजित ‘‘इंडिया ए साफट पावर’’ विषय पर परिचर्चा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि आतंकवाद पर कार्रवाई हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और पाकिस्तान को इसमें सहयोग करना चाहिए लेकिन वहां लखवी को जमानत मिल रही है. पहले भी हम देख चुके है कि लाहौर बस यात्र के बाद करगिल हुआ. आगरा की बातचीत के बाद आतंकवादी घटनाएं हुईं. ऐसे में यदि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर गंभीर नहीं है तो हमारी बातचीत का कोई अर्थ नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस बातचीत को शुरु करने से पहले सरकार ने अपनी तैयारी कर ली होगी.
थरुर ने कहा कि योग को विश्व स्तर पर पहचान दिलाना अच्छी बात है, हालांकि यह काम पहले भी हो रहा था, लेकिन सरकार ने इसे किया और विश्व योग दिवस के रुप में इसे मनाया गया, यह अच्छा है. लेकिन जिस तरह की दूसरी सोच चल रही है और सरकार से जुडे संगठनों के ही लोग जिस तरह की बातें करते है उन पर रोक लगनी चाहिए, वरना यह देश की मिली जुली संस्कृति के लिये खतरा बनेगा.
ललितगेट के बारे में उन्होंने सरकार के रुख पर हैरानी जताते हुए कहा कि कांगेस के कार्यकाल में तो सिर्फ आरोप लगने पर इस्तीफे दे दिये जाते थे, लेकिन इस सरकार में तो आरोपों के बारे में सरकारी एजेंसियों की जांच के बावजूद कुछ नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का त्यागपत्र मांगा है. लेकिन मैं समझता हूं कि इस्तीफा हो या नहीं हो, जांच पूरी होनी चाहिए.

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