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व्यापमं घोटाला, सीबीआइ जांच और शिवराज सिंह चौहान की नींद

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जब मध्यप्रदेशकेबहुचर्चित व्यापमं घोटाला पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं, तो ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गये. बेहद सहज व विनम्र दिखने वाले शिवराज सिंह चौहान देश के वैसे चुनिंदा नेताओं में हैं, जो अपनी सार्वजनिक छवि को लेकर बेहद सतर्क […]

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जब मध्यप्रदेशकेबहुचर्चित व्यापमं घोटाला पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं, तो ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गये. बेहद सहज व विनम्र दिखने वाले शिवराज सिंह चौहान देश के वैसे चुनिंदा नेताओं में हैं, जो अपनी सार्वजनिक छवि को लेकर बेहद सतर्क और चौकन्ना रहते हैं. हालांकि, उनके विरोधी और करीबी दोनों कहते रहे हैं कि शिवराज सिंह चौहान की विनम्रता व सहजता में आप उनकी चतुराई को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.
नरेंद्र मोदी से तुलना
संघ परिवार के गढ मध्यप्रदेश में खुद से वरिष्ठ कई नेताओं को राजनीतिक रूप से लगभग अप्रासंगिक बनाकर अपनी प्रासंगिकता पर पूरे देश का ध्यान खीचंने में भी शिवराज सफल रहे हैं. अलबत्ता भाजपा के पितृ पुरुष लालकृष्ण आडवाणी इशारों में उन्हें व उनके काम दोनों को नरेंद्र मोदी (उनके गुजरात का मुख्यमंत्री रहते) से बेहतर बता चुके हैं. पर, अब नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान में बडा राजनीतिक फासला है. नरेंद्र मोदी आज भाजपा व देश की राजनीति में शिखर पर खडे हैं और उनकी पार्टी में भी दूर-दूर तक उनका प्रतिद्वंद्वी नजर नहीं आता है.
शिवराज की गुगली पर विपक्ष की बोलती बंद
सोमवार तक व्यापमं घोटाले की सीबीआइ जांच को खारिज करते रहे शिवराज सिंह चौहान ने अचानक बुधवार को सीबीआइ जांच की हाइकोर्ट से अनुशंसा की एक ऐसी गुगली फेंकी की कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह से लेकर विपक्ष के तमाम छोटे-बडे नेताओं के पास कुछ कहने को नहीं रह गया. कांग्रेस की पहली प्रतिक्रिया यही थी : देर आये, दुरुस्त आये और कांग्रेस ने इसमें एक चीज यह जोडी की सीबीआइ जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट करे.
राजनाथ व अमित शाह का दबाव होने की खबर
मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान ने सीबीआइ जांच कराने की अनुशंसा का निर्णय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व गृहमंत्री राजनाथ सिंह के दबाव में लिया है. परसों ही राजनाथ ने झाबुआ में कहा था कि अगर हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट कहता है, तो इस मामले की सीबीआइ जांच कराने से गुरेज नहीं. हालांकि राज्य सरकार यही कहती रही थी कि एसटीएफ जांच से अदालत संतुष्ट है. कल शिवराज ने पीएम नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर बात होने के सवाल से इनकार किया था.
आरोपों पर पहले भी शिवराज करते रहे हैं चिंतन
मंगलवार को शिवराज सिंह चौहान जब प्रेस वार्ता कर रहे थे, तो उन्हें इस फैसले तक खुद के पहुंचने का कारण बीती रात खुद के जगने को व चिंतन करने को बताया. ध्यान रहे कि शिवराज सिंह चौहान पहले भी ऐसे आरोपों पर रात में जग कर चिंतन करते रहे हैं. 2007-08 में जब कांग्रेस की दिवंगत नेता जमुना देवी डंफर घोटाले में शिवराज सिंह चौहान व उनकी पत्नी के लिप्त होने का आरोप भोपाल, इंदौर से दिल्ली तक घूम-घूम कर लगा रही थीं, तो उस समय भी शिवराज चिंतन करते थे. 2008 के चुनाव में जबरदस्त जीत मिलने के बाद उन्होंने एक साक्षात्कार में भी यह खुलासा किया था.
फिल्म नायक से प्रेरणा पाने वाला राजनेता
शिवराज सिंह चौहान को फिल्म नायक बेहद पसंद है, जिसमें एक पत्रकार भ्रष्ट नेता के द्वारा चुनौती देने पर राजनीति में आता है और मुख्यमंत्री बन जाता है. वह बेहद लोकप्रिय मुख्यमंत्री होता है और भेष बदल कर राज्य की जनता का हाल जानता है. शिवराज सिंह चौहान कह चुके हैं कि वे इस फिल्म से प्रेरणा पाते हैं, ईमानदारी व सत्यनिष्ठा से जनता की भलाई के लिए काम करने की. लेकिन, अब सवाल यह है कि क्या शिवराज सिंह चौहान किसी फिल्मी नायक की तरह खुद पर लगाये जा रहे व्यापमं घोटाले के आरोपों से बाहर निकलेंगे या फिर उनकी राजनीति की उजली कमीज पर हमेशा के लिए एक दाग लग जायेगा?

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