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चीन ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए खोला नाथू ला दर्रा मार्ग, यात्रा होगा आसान

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नैदुइला : चीन ने भारत के साथ ताजा विश्वास बहाली उपायों के तहत कैलाश-मानसरोवर यात्रा में भारतीय श्रद्धालुओं के पहले जत्थे को इजाजत देते हुए आज नाथू ला होकर तिब्बत जाने का दूसरा मार्ग खोल दिया. समुद्र तल से 4,000 मीटर की उंचाई पर सिक्किम में नाथू ला के हिमालयी दर्रे से होकर दूसरे मार्ग […]

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नैदुइला : चीन ने भारत के साथ ताजा विश्वास बहाली उपायों के तहत कैलाश-मानसरोवर यात्रा में भारतीय श्रद्धालुओं के पहले जत्थे को इजाजत देते हुए आज नाथू ला होकर तिब्बत जाने का दूसरा मार्ग खोल दिया. समुद्र तल से 4,000 मीटर की उंचाई पर सिक्किम में नाथू ला के हिमालयी दर्रे से होकर दूसरे मार्ग को खोले जाने की औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले महीने चीन के दौरे के दौरान हुई थी और इससे और अधिक श्रद्धालुओं को इस पवित्र यात्रा पर जाने का मौका मिलेगा.

लिपू लेख दर्रा के अलावा यह एक नया मार्ग है. 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ की वजह से इस मार्ग को बहुत ज्यादा क्षति पहुंची थी. इस वार्षिक यात्रा के लिए आज 44 श्रद्धालुओं के पहले जत्थे ने सिक्किम में भारत की ओर से सीमा को पार किया और तिब्बत की ओर चीनी अधिकारियों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. तिब्बत में तकरीबन 6,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कैलाश के लिए विभिन्न उम्र समूहों और भारत के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं ने नाथू ला दर्रा पार किया.
इस साल यात्रा में हिस्सा लेने के लिए 250 लोगों के पहले जत्थे को मंजूरी मिली और ये श्रद्धालु इसी समूह के सदस्य हैं. एक श्रद्धालु भरत दास ने बताया, मेरे लिए कैलाश-मानसरोवर की यात्रा जीवन की एक उपलब्धि के समान है. जीवन में इससे ज्यादा और कुछ नहीं हो सकता. श्रद्धालुओं में कई अधेड़ और सेवानिवृत्त लोग हैं. इन लोगों का कहना है कि लंबे समय से इस तरह के मौके का वह इंतजार कर रहे थे.
नाथू ला दर्रे से होकर गुजरने वाला यह मार्ग भारतीय श्रद्धालुओं के लिए आरामदायक है. बसों के जरिए यह यात्रा खासकर भारतीय बुजुर्ग नागरिकों के लिए अच्छी रहेगी हालांकि हिमालयी क्षेत्रों में ऑक्सीजन का स्तर कम होना भी उनके लिये एक चुनौती होती है. भारत में चीन के राजदूत ली युचेंग भारत की तरफ से कल यहां पहुंचने वाले पहले ऐसे चीनी अधिकारी हो गए जिन्होंने नये मार्ग के जरिए सीमा पार की.
ली के साथ भारतीय दूतावास में वाणिज्य दूत श्रीला दत्त कुमार और तिब्बत के आला चीनी अधिकारियों ने सीमा पार करने पर श्रद्धालुओं का स्वागत किया. चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पिछले साल सितंबर में नई दिल्ली की यात्रा के दौरान मोदी से यात्रा के लिए नये मार्ग को खोलने का वादा किया था. कठिन और दुर्गम चढाई, खच्चरों पर बैठकर जोखिम वाली यात्रा सहित उत्तराखंड और नेपाल होकर मौजूदा मार्गों की कठिनाइयों के चलते मोदी यात्रा के लिए दूसरा मार्ग चाहते थे.
1500 किलोमीटर लंबे नाथू ला मार्ग से श्रद्धालु बसों के जरिए नाथू ला से कैलाश तक जा सकेंगे. श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए ली ने कहा कि चीनी तरफ खासकर तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की प्रांतीय सरकार ने नये होटल का निर्माण कर, सडकें सुधार कर, अनुवादकों, पर्यटन गाइडों और भारतीय भोजन की तैयारियों के लिए प्रशिक्षित किये जाने के साथ काफी तैयारियां की हैं. उन्होंने कहा कि यह मार्ग पुराने मार्ग की तुलना में ज्यादा आरामदायक और सुरक्षित होगा.
दुर्गम घाटियों से होकर यात्रा के बडे जोखिमों की जगह आप बस से रास्ते की सुंदरता को निहारते हुए पवित्र जगह तक जा सकते हैं.उन्होंने कहा, मुझे भरोसा है कि भारतीय दोस्त भी गर्मजोशी भरा आतिथ्य और चीनी लोगों के दोस्ताना रवैये को महसूस करेंगे.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय श्रद्धालु केवल आध्यात्मिक मजबूती ही नहीं हासिल करेंगे बल्कि चीन के प्रति बेहतर समझ भी विकसित होगी. दूसरे मार्ग की अनुमति देने के लिए चीन में भारत के दूत अशोक के कंठ का बयान पढा गया जिसमें चीन का आभार जताया गया. उन्होंने नये मार्ग को ऐतिहासिक पहल और भारत-चीन संबंधों में मील का पत्थर बताया.
उन्होंने कहा, नया श्रद्धालु मार्ग भारत और चीन के बीच बढते आपसी संपर्क का प्रतीक है. कंठ ने कहा, लोगों के बीच आपसी विविध और बहुआयामी भागीदारी इस कोशिश के केंद्र में है और नाथू ला के जरिए नया मार्ग खोला जाना नया मील का पत्थर है. उन्होंने कहा, श्रद्धालुओं की मदद के लिए सभी सुविधा सुनिश्चित करने के वास्ते हम चीन की तरफ से कठिन मेहनत की सराहना करते हैं.

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