नयी दिल्ली : कारगिल युद्ध के समय कैप्टन सौरव कालिया की पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा क्रूरता पूर्वक हत्या करने के मामले ने देश में सरकार के कदम को लेकर बहस छेड़ दी है.
Advertisement
सुप्रीम कोर्ट के कहे बिना शहीद सौरव कालिया के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट नहीं जा सकते : सुषमा स्वराज
Advertisement
नयी दिल्ली : कारगिल युद्ध के समय कैप्टन सौरव कालिया की पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा क्रूरता पूर्वक हत्या करने के मामले ने देश में सरकार के कदम को लेकर बहस छेड़ दी है. देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से कैप्टन सौरव कालिया की अंतरराष्ट्रीय युद्धबंदी कानून का उल्लंघन करके पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा हत्या किये जाने […]
ऑडियो सुनें
देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से कैप्टन सौरव कालिया की अंतरराष्ट्रीय युद्धबंदी कानून का उल्लंघन करके पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा हत्या किये जाने के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने से इनकार कर दिया है.
सुषमा में कहा कि राष्ट्रमंडल देशों के नियम की वजह से सरकार इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में नहीं ले जा सकती. सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत जवाब देने पर उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब देगी और उच्चतम न्यायलय से पूछेगी कि इस मामले में सरकार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस जा सकती है या नहीं.
गौरतलब है कि साल 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी सेना और आतंकियों की घुसपैठ के बाद भारतीय क्षेत्रों पर कब्जे के बाद भारतीय सेना की कार्रवाई के तहत कैप्टन 13 मई 1999 को कैप्टन सौरव कालिया और उनके पांच भारतीय साथियों ने पाकिस्तानी सेना के कब्जे से पोस्ट को छुड़ाने की कोशिश की थी. उस वक्त पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें बंदी बना लिया था और बाद में बड़े ही नृशंस तरीके से इन सभी की हत्या कर दी थी.
नरेंद्र मोदी सरकार ने सौरव कालिया के मामलों को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने को मैटर इज नोट प्रैक्टिकल यानी व्यवहारगत नहीं बताया है. सरकार की यह प्रतिक्रिया कैप्टन सौरव के परिजनों द्वारा इस मुद्दे की अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग के बाद आयी है. उनके परिजनों की इस संबंध में अपील पर सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अगस्त तक केंद्र से अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा है. शहीद कालिया के पिता एम के कालिया डेढ दशकों से इस मुद्दे पर संघर्ष कर रहे हैं. उनकी अपील पर अदालत यूपीए सरकार को भी नोटिस जारी कर चुकी है.
दरअसल, किसी युद्धबंदी की नृशंस हत्या करना जेनेवा संधि व भारत पाक के बीच द्विपक्षीय शिमला समझौते का भी उल्लंघन है. भारत ने 13 मई 2015 को पाकिस्तान सैनिकों द्वारा अपने इस बहादुर जवानों को बंदी बनाये जाने व उनकी नृशंस हत्या किये जाने के एक दिन बाद 14 मई 1999 को उन्हें मिसिंग घोषित किया था. हालांकि पाकिस्तान ने इन शहीदों का शव 22-23 दिन बाद सात जून 1999 को भारत को सौंपा था.
ट्रेंडिंग टॉपिक्स
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Word Of The Day
Sample word
Sample pronunciation
Sample definition